विकलांगता क्या है?
प्रदीप सिंह बता रहे हैं कि वास्तव में विकलांगता क्या है। प्रदीप कहते हैं कि “कहीं हम हमारे विकृत अंगों से उनके स्वीकृत लोक में खलबली न मचा दें। उनका यही डर इस विश्व में सबसे बड़ी विकलांगता है।”
प्रदीप सिंह बता रहे हैं कि वास्तव में विकलांगता क्या है। प्रदीप कहते हैं कि “कहीं हम हमारे विकृत अंगों से उनके स्वीकृत लोक में खलबली न मचा दें। उनका यही डर इस विश्व में सबसे बड़ी विकलांगता है।”
टीम हॉइट, यानी पिता-पुत्र डिक हॉइट और रिक हॉइट, की अद्भुत कहानी। रिक हॉइट जन्म से ही सेरेब्रल पाल्सी से प्रभावित थे लेकिन उनके पिता रिक को व्हीलचेयर पर साथ लिये 30 से अधिक बॉस्टन मैराथन में दौड़े।
आलोकिता बता रही हैं कि विकलांगजन को भी विवाह जैसे निजी मसले में अपना निर्णय स्वयं लेने की आज़ादी होनी चाहिये और अन्य लोगों को उनके निर्णय के प्रति आलोचनात्मक दृष्टि नहीं रखनी चाहिये।
यदि एक साथ रहते हुए भी, तुम एक-दूसरे को ही नहीं जानते/समझते, तो बाहर दुनिया में अपने जैसे लोगों को क्या ही समझ पाओगे? जब तक एक-दूसरे को समझोगे ही नहीं, तब तक तुम्हें ऐसा लगेगा कि तुम्हारा दर्द ही सबसे बड़ा दर्द है। दुनिया में अकेले सिर्फ़ तुम ही संघर्ष कर रहे हो।
भारत सरकार द्वारा दिव्यांगता अधिकार अधिनियम 2016 में सूचीबद्ध 21 प्रकार की विकलांगता के नाम, कारण व लक्षण
राही मनवा 04: लोगों द्वारा ख़ुद तय की गई अपनी संकीर्ण-सीमाओं के कारण ही हम एक प्यासे समाज में रह रहे हैं — यहाँ हर कोई किसी-न-किसी रूप में प्यासा है क्योंकि हम अपनी संकीर्ण सीमा से बाहर निकल कर रेगिस्तान में कुएँ खोदने कोशिश नहीं करते…
एक ही चीज़ को देखने के अनेक दृष्टिकोण हो सकते हैं। व्हीलचेयर पर बैठी, बड़े-बड़े पंखो वाली एक बैले नर्तकी की तस्वीर के बारे में नूपुर शर्मा बता रही हैं अपना नज़रिया।
आलोकिता बता रही हैं कि चलना बेशक मानव जाति के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण क्रिया है लेकिन यह एक क्रिया आपकी पूरी ज़िन्दगी से बड़ी नहीं है। आगे बढ़ते रहना ज़रूरी है लेकिन चलना ही ज़िन्दगी नहीं है।
विकलांगजन को भारत में प्राप्त कानूनी अधिकार। अपने अधिकारों की रक्षा के लिये आवाज़ उठाना आवश्यक है अन्यथा किसी को आपके अधिकार के बारे में पता भी नहीं चल पाएगा।
विकलांगजन को अपने स्वास्थ्य का विशेष-रूप से ध्यान रखना चाहिये। इसमें संतुलित भोजन का बहुत अधिक योगदान है।
समाज की विकलांगजन से किस तरह की अपेक्षाएँ होती हैं इसके बारे में नुपूर शर्मा विस्तार से बता रही हैं। कई बार समाज की नकारात्मक अपेक्षाओं के कारण विकलांग व्यक्ति अपना जीवन खुल कर नहीं जी पाता और अपने लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाता।
राही मनवा 04: कल फ़ेसबुक पर मित्र संजय कुमार वैद्य ने मुझसे पूछा कि मैं ‘दिव्यांग’ शब्द को लेकर क्या सोचता हूँ। मुझसे यह प्रश्न अक्सर पूछा जाता है और मैंने विभिन्न मंचों से अपना जवाब बताया भी है। आज सोचा कि संजय भाई के प्रश्न का उत्तर फ़ेसबुक पर न देकर ‘राही मनवा’ के ज़रिये दिया जाए ताकि यह बात अधिक लोगों तक पहुँचे।
विकलांगजन भारत में भले ही सिर्फ़ 2% हों लेकिन हम अपने आप में एक पूरा देश हैं। हम जनसंख्या में लगभग 56 देशों से बड़ा देश हैं। फिर भी हमें नज़रअंदाज़ करने देने का क्या कारण है? क्या विकलांगजन को इसलिये नज़र-अंदाज़ कर दिया जाता है क्योंकि वे अल्पसंख्यक हैं?
भारतीय रेल में SLR coach का अर्थ और इसकी फ़ुल फ़ॉर्म। यह कोच विकलांगजन और महिलाओं के आरक्षित होता है।
विकलांग विद्यार्थियों के विदेश में पढ़ने के लिए भारत सरकार की नेशनल ओवरसीज़ स्कालरशिप योजना के बारे में पूरी जानकारी हिन्दी में।