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विकलांगता क्या है?

प्रदीप सिंह बता रहे हैं कि वास्तव में विकलांगता क्या है। प्रदीप कहते हैं कि “कहीं हम हमारे विकृत अंगों से उनके स्वीकृत लोक में खलबली न मचा दें। उनका यही डर इस विश्व में सबसे बड़ी विकलांगता है।”

statue of dick hoyt and rick hoyt

डिक हॉइट और रिक हॉइट की कहानी

टीम हॉइट, यानी पिता-पुत्र डिक हॉइट और रिक हॉइट, की अद्भुत कहानी। रिक हॉइट जन्म से ही सेरेब्रल पाल्सी से प्रभावित थे लेकिन उनके पिता रिक को व्हीलचेयर पर साथ लिये 30 से अधिक बॉस्टन मैराथन में दौड़े।

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हमने सुना है… तुमने जीवन साथी चुना है!

आलोकिता बता रही हैं कि विकलांगजन को भी विवाह जैसे निजी मसले में अपना निर्णय स्वयं लेने की आज़ादी होनी चाहिये और अन्य लोगों को उनके निर्णय के प्रति आलोचनात्मक दृष्टि नहीं रखनी चाहिये।

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अपने जैसे लोग

यदि एक साथ रहते हुए भी, तुम एक-दूसरे को ही नहीं जानते/समझते, तो बाहर दुनिया में अपने जैसे लोगों को क्या ही समझ पाओगे? जब तक एक-दूसरे को समझोगे ही नहीं, तब तक तुम्हें ऐसा लगेगा कि तुम्हारा दर्द ही सबसे बड़ा दर्द है। दुनिया में अकेले सिर्फ़ तुम ही संघर्ष कर रहे हो।

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समाज को फूल तो पसंद हैं लेकिन तभी जब कोई और खिला कर दे दे

राही मनवा 04: लोगों द्वारा ख़ुद तय की गई अपनी संकीर्ण-सीमाओं के कारण ही हम एक प्यासे समाज में रह रहे हैं — यहाँ हर कोई किसी-न-किसी रूप में प्यासा है क्योंकि हम अपनी संकीर्ण सीमा से बाहर निकल कर रेगिस्तान में कुएँ खोदने कोशिश नहीं करते…

image of a girl with angel like wings sitting on a wheelchair while tying her ballerina shoes.

हर नज़र का अपना नज़रिया…

एक ही चीज़ को देखने के अनेक दृष्टिकोण हो सकते हैं। व्हीलचेयर पर बैठी, बड़े-बड़े पंखो वाली एक बैले नर्तकी की तस्वीर के बारे में नूपुर शर्मा बता रही हैं अपना नज़रिया।

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क्या चलने का नाम ही ज़िन्दगी है?

आलोकिता बता रही हैं कि चलना बेशक मानव जाति के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण क्रिया है लेकिन यह एक क्रिया आपकी पूरी ज़िन्दगी से बड़ी नहीं है। आगे बढ़ते रहना ज़रूरी है लेकिन चलना ही ज़िन्दगी नहीं है।

equal rights for persons with disabilities

भारत में विकलांगजन के कानूनी अधिकार

विकलांगजन को भारत में प्राप्त कानूनी अधिकार। अपने अधिकारों की रक्षा के लिये आवाज़ उठाना आवश्यक है अन्यथा किसी को आपके अधिकार के बारे में पता भी नहीं चल पाएगा।

social activities of persons with disabilities

समाज की विकलांगजन से अपेक्षाएँ

समाज की विकलांगजन से किस तरह की अपेक्षाएँ होती हैं इसके बारे में नुपूर शर्मा विस्तार से बता रही हैं। कई बार समाज की नकारात्मक अपेक्षाओं के कारण विकलांग व्यक्ति अपना जीवन खुल कर नहीं जी पाता और अपने लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाता।

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किसी का उपहास न करें, किसी को कमतर न अनुभव कराएँ

राही मनवा 04: कल फ़ेसबुक पर मित्र संजय कुमार वैद्य ने मुझसे पूछा कि मैं ‘दिव्यांग’ शब्द को लेकर क्या सोचता हूँ। मुझसे यह प्रश्न अक्सर पूछा जाता है और मैंने विभिन्न मंचों से अपना जवाब बताया भी है। आज सोचा कि संजय भाई के प्रश्न का उत्तर फ़ेसबुक पर न देकर ‘राही मनवा’ के ज़रिये दिया जाए ताकि यह बात अधिक लोगों तक पहुँचे।

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हम अल्पसंख्यक हैं, क्या इसीलिए नज़र-अंदाज़ कर दिया?

विकलांगजन भारत में भले ही सिर्फ़ 2% हों लेकिन हम अपने आप में एक पूरा देश हैं। हम जनसंख्या में लगभग 56 देशों से बड़ा देश हैं। फिर भी हमें नज़रअंदाज़ करने देने का क्या कारण है? क्या विकलांगजन को इसलिये नज़र-अंदाज़ कर दिया जाता है क्योंकि वे अल्पसंख्यक हैं?

library mein ek vidyarthi

विकलांग विद्यार्थियों के विदेश में पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप

विकलांग विद्यार्थियों के विदेश में पढ़ने के लिए भारत सरकार की नेशनल ओवरसीज़ स्कालरशिप योजना के बारे में पूरी जानकारी हिन्दी में।