पहिया… ज़िन्दगी का

पहिया… ज़िन्दगी का — विकलांगता डॉट कॉम पर आलोकिता का कॉलम

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पहिया... ज़िन्दगी का

चलो कुछ ज़िम्मेदारियों की बात करते हैं

सामान्यजन यदि कुछ छोटी-छोटी बातों का भी ध्यान रखें तो विकलांगजन के लिये जीवन आसान हो सकता है। आलोकिता इन्हीं में से कुछ महत्त्वपूर्ण बातों पर प्रकाश डाल रही हैं।

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पहिया... ज़िन्दगी का

हमने सुना है… तुमने जीवन साथी चुना है!

आलोकिता बता रही हैं कि विकलांगजन को भी विवाह जैसे निजी मसले में अपना निर्णय स्वयं लेने की आज़ादी होनी चाहिये और अन्य लोगों को उनके निर्णय के प्रति आलोचनात्मक दृष्टि नहीं रखनी चाहिये।

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पहिया... ज़िन्दगी का

क्या चलने का नाम ही ज़िन्दगी है?

आलोकिता बता रही हैं कि चलना बेशक मानव जाति के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण क्रिया है लेकिन यह एक क्रिया आपकी पूरी ज़िन्दगी से बड़ी नहीं है। आगे बढ़ते रहना ज़रूरी है लेकिन चलना ही ज़िन्दगी नहीं है।