हिन्दी में कुछ कहानीकारों ने विकलांग व्यक्तियों के जीवन के विविध प्रसंगों को केन्द्र में रखकर मार्मिक कहानियों का सर्जन किया है। डॉ. सुमित्रा महरोल ऐसी ही कुछ कहानियों का एक आकलन कर रही हैं।
श्रेणी: विकलांगता विमर्श
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टूटे पंखों से परवाज तक / सुमित्रा महरोल
सुमित्रा महरोल द्वारा लिखित “टूटे पंखों से परवाज तक” नामक पुस्तक भारतीय समाज में दलित समुदाय से आने वाली एक विकलांग स्त्री की आत्मकथा है।
क्यों कहता है मन, मुड़ के देखो मुझे?
डॉ. गीता शर्मा द्वारा लिखित विकलांगता-केन्द्रित 10 कहानियों का संग्रह है “मुड़ के देखो मुझे”। डॉ. शर्मा विटामिन ज़िन्दगी पुरस्कार विजेता लेखिका हैं।
तुम्हारी लंगी (कंचन सिंह चौहान)
तुम्हारी लंगी कंचन सिंह चौहान द्वारा लिखित एक कहानी संग्रह है जिसे राजपाल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है।
विकलांगता विमर्श में श्वेतवर्णा प्रकाशन का अवदान
श्वेतवर्णा प्रकाशन ने विकलांगता विमर्श सम्बंधी अनेक महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन किया है।
विकलांगता विमर्श: एक नया साहित्यिक आंदोलन
हिन्दी साहित्य में विकलांगता विमर्श की पुस्तकें, कहानियाँ, उपन्यास, कविताएँ, संस्मरण व अन्य विधाओं में सामग्री