क्या एक विकलांग दूसरे विकलांग की मजबूरी और संघर्ष को समझता है
सामान्य लोगों द्वारा ऐसा व्यवहार तो आम बात है परंतु विकलांग व्यक्तियों द्वारा इस तरह का व्यावहार क्या उचित है?
सामान्य लोगों द्वारा ऐसा व्यवहार तो आम बात है परंतु विकलांग व्यक्तियों द्वारा इस तरह का व्यावहार क्या उचित है?
लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था। ग्राम विकास अधिकारी के पद पर रहते हुए 8 माह के कार्यकाल के बाद विभाग द्वारा पुनः जाँच हुई जिसमें एक आँख को 6/24 और दूसरी को 6/18 बता कर मेरी विकलांगता 40% से घटाकर 10% कर दी गई और मुझे अपात्र घोषित करते हुए नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।
उस वक़्त स्कूटी लाने के विचार से लेकर स्कूटी से अकेले बाहर जाने तक मैंने जिन-जिन समस्याओं का सामना किया उन समस्याओं के कुछ समाधान मेरे मन में बनते और बिगड़ते रहते थे। उन्हीं समाधानो में से एक समाधान के विचार को यहाँ साझा कर रही हूँ।
सुमित्रा महरोल द्वारा लिखित “टूटे पंखों से परवाज तक” नामक पुस्तक भारतीय समाज में दलित समुदाय से आने वाली एक विकलांग स्त्री की आत्मकथा है।
ऑस्टोजेनेसिस इम्परफ़ेक्टा से प्रभावित बरेली की राशि सक्सेना दिल्ली के एम्स अस्पताल में हुए अपने एक अनुभव के बारे में बता रही हैं।
टीम हॉइट, यानी पिता-पुत्र डिक हॉइट और रिक हॉइट, की अद्भुत कहानी। रिक हॉइट जन्म से ही सेरेब्रल पाल्सी से प्रभावित थे लेकिन उनके पिता रिक को व्हीलचेयर पर साथ लिये 30 से अधिक बॉस्टन मैराथन में दौड़े।