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आलोकिता

पटना, बिहार की निवासी आलोकिता हिन्दी व अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में लेखन कार्य करती हैं। आपका एक उपन्यास 'लकीर के उस पार' शीर्षक से प्रकाशित हो चुका है। आलोकिता पोलियो से प्रभावित हैं और व्हीलचेयर प्रयोग करती हैं।
Photograph of आलोकिता

Articles by आलोकिता

चलो कुछ ज़िम्मेदारियों की बात करते हैं

सामान्यजन यदि कुछ छोटी-छोटी बातों का भी ध्यान रखें तो विकलांगजन के लिये जीवन आसान हो सकता है। आलोकिता इन्हीं में से कुछ महत्त्वपूर्ण बातों पर प्रकाश डाल रही हैं।

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हमने सुना है… तुमने जीवन साथी चुना है!

आलोकिता बता रही हैं कि विकलांगजन को भी विवाह जैसे निजी मसले में अपना निर्णय स्वयं लेने की आज़ादी होनी चाहिये और अन्य लोगों को उनके निर्णय के प्रति आलोचनात्मक दृष्टि नहीं रखनी चाहिये।

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क्या चलने का नाम ही ज़िन्दगी है?

आलोकिता बता रही हैं कि चलना बेशक मानव जाति के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण क्रिया है लेकिन यह एक क्रिया आपकी पूरी ज़िन्दगी से बड़ी नहीं है। आगे बढ़ते रहना ज़रूरी है लेकिन चलना ही ज़िन्दगी नहीं है।

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