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विकलांगता प्रमाण पत्र: प्रक्रिया, आवश्यकता एवं लाभ

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सम्यक ललित
सम्यक ललित | 12 सितम्बर 2023 (Last update: 12 सितम्बर 2023)

सम्यक ललित एक विकलांगता अधिकार कार्यकर्ता, लेखक और तकनीक विशेषज्ञ हैं। वे विकलांगता.कॉम, WeCapable.com, दशमलव जैसी अनेक परियोजनाओं के संस्थापक हैं। वेबसाइट: www.lalitkumar.in

विकलांगता प्रमाण पत्र किसी भी व्यक्ति की विकलांगता और उसकी गंभीरता को प्रमाणित करने वाला सरकारी दस्तावेज़ है। भारत में यह प्रमाण पत्र उमूमन सरकारी अस्पतालों में गठित चिकित्सीय समिति द्वारा जारी किया जाता है। विकलांगजन के लिए यह एक ज़रूरी दस्तावेज़ है क्योंकि उन्हें मिलने वाली हर सरकारी सुविधा और लाभ इसी प्रमाण प्रत्र के आधार पर मिलते हैं। आपको मालूम होगा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों ही विकलांग व्यक्तियों के लिए अनेक सुविधाओं का प्रबंध करते हैं। इनमें से किसी भी सुविधा का लाभ उठाने के लिए व्यक्ति के पास विकलांगता प्रमाण पत्र होना ज़रूरी होता है।

विकलांगता प्रमाण पत्र में क्या-क्या बातें लिखी होती हैं?

विकलांगता प्रमाण पत्र में निम्नलिखित बातें अनिवार्य रूप से होती हैं:

  1. विकलांगता का प्रकार – विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 में कुल 21 प्रकार की विकलांगताएँ दी गई हैं। विकलांगता प्रमाण पत्र में यह लिखा होता है कि उक्त व्यक्ति उन 21 प्रकार की विकलांगताओं में से किस विकलांगता से पीड़ित है। आर.पी.डब्ल्यू.डी अधिनियम 2016 में उल्लेखित 21 प्रकार की विकलांगताएँ निम्नलिखित हैं:
  1. विकलांगता की गंभीरता – विकलांगता प्रमाण पत्र में विकलांगता के प्रकार के अलावा उसकी गंभीरता का भी उल्लेख होता है। गंभीरता को प्रतिशत में दर्शाया जाता है। इस प्रतिशत का बहुत महत्त्व होता है क्योंकि सरकार की बहुत-सी सुविधाएँ विकलांगता की गंभीरता या प्रतिशत पर ही निर्भर करती है। कम प्रतिशत वाले विकलांगजन को अपेक्षाकृत कम लाभ मिलते हैं। अधिकतर 40% या इससे अधिक की बेंचमार्क विकलांगता ही सरकारी सुविधाओं को प्राप्त करने के लिये मान्य होती है।
  2. विकलांगता की स्थायीता – विकलांगता प्रमाण पत्र में यह भी उल्लेखित होता है कि व्यक्ति की विकलांगता स्थायी है अथवा अस्थायी।
  3. वैधता की अवधि – प्रमाण पत्र बनाते समय चिकित्सीय समिति उस पर वैधता की अवधि का भी उल्लेख करती है। यदि व्यक्ति की विकलांगता अस्थायी है तो प्रमाण पत्र की वैधता समाप्त होने के बाद उस व्यक्ति की विकलांगता का पुनः आकलन होगा और ज़रूरत होने पर नया प्रमाण पत्र दिया जाएगा। यदि विकलांगता स्थायी है तो स्थायी प्रमाण पत्र दिया जा सकता है जो आजीवन वैध होता है।

विकलांगता प्रमाण पत्र कैसे बनता है

यदि आपको किसी प्रकार की विकलांगता है और आप अपने लिये प्रमाण पत्र बनवाना चाहते हैं तो आपको अपने जिला अस्पताल (सदर अस्पताल) में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थय अधिकारी (CMO) से सम्पर्क करना चाहिये। आवेदन करने के पश्चात विकलांगता के आकलन हेतु आपको एक मेडिकल बोर्ड के सामने उपस्थित होना होगा। इस बोर्ड में एक या एक से अधिक डॉक्टर / अधिकारी हो सकते हैं। यह मेडिकल बोर्ड आपकी जाँच करेगा। इस जाँच के ज़रिये बोर्ड आपकी विकलांगता के प्रकार, उसकी गंभीरता व स्थायीता का पता लगाएगा। इसी जानकारी के आधार पर आपको विकलांगता प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।

विकलांगता प्रमाण पत्र के लाभ

सरकार ने विकलांगता प्रमाण पत्र के साथ कई लाभ और सुविधाएँ जोड़ी हैं। हालाँकि ये लाभ और सुविधाएँ अलग-अलग राज्यों और अलग-अलग प्रकार की विकलांगताओं के लिए अलग होते हैं। मोटे तौर पर विकलांगता प्रमाण पत्र धारक व्यक्ति को नीचे दिए गए लाभ मिल सकते हैं। आपको इनमें से कोई भी लाभ या सुविधा चाहिए तो आपको उसके विषय में अपने जिले के समाज कल्याण विभाग के दफ़्तर से सम्पर्क करना चाहिये। वहाँ से आपको यह जानकारी मिल जाएगी कि आपके राज्य/जिले में कौन-सी सुविधाएँ उपलब्ध हैं और कौन-सी उपलब्ध नहीं हैं:

टिप्पणी: विकलांगता प्रमाण पत्र अब उमूमन यू.डी.आई.डी. से बदला जा चुका है। यदि आपके पास यू.डी.आई.डी. नहीं है तो बनवा लें।

© Viklangta.com   इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं। इससे विकलांगता डॉट कॉम की सहमति आवश्यक नहीं है।
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महेंद्र कुमार
महेंद्र कुमार
3 months ago

मेरे को यू डी आई डी कार्ड बनाना है

PRABHU NATH OJHA
PRABHU NATH OJHA
1 month ago

मेरी भतीजी का दुर्घटना में मल्टी आर्गन इंजरी थी… पैर में कूल्हा,जंघा,घुटना, नीचे पंजे से ऊपर मल्टी सर्जरी हुई थी जिससे प्लेट लगाने व सर्जरी के दौरान पैर छोटा हो गया तथा घुटने व पंजे से मुड़ नही रहा है व ब्रेन में चोट के कारण बिहेवियर में बदलाव हो गया…. बिहेवियर धीरे धीरे एक हद तक ठीक तो नही हां ठीक होने की दिशा में आगे बढ़ रहा है परंतु आवाज में समस्या है बहुत जोर देने पर कम मात्रा वाले शब्द जैसे पापा, चाचा जैसा शब्द यदाकदा बोल लेती है…. दिव्यांगता प्रमाण पत्र में 45% मानसिक वाचलता की अनुशंसा चिकित्सक द्वारा की गई है जबकि पेसेंट के स्थिति को देखकर ऐसा कम ही है… वही पैर दिव्यांगता के लिए चिकित्सक पहले प्लेट हटाने व फिर बहुदिव्यंगता जारी करने की बात कर रहे हैं.. जिसमे महीनों समय लग जाना है.. जो की न्यायपूर्ण आचरण नही है
आपसे उचित परामर्श का अनुरोध है..!!!


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