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श्रेणी: ख़ुद से बातें

ख़ुद से बातें — विकलांगता डॉट कॉम पर प्रदीप सिंह का कॉलम

This category contains the following 12 articles.
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यही पल ज़िंदगी

विकलांगता केवल उदासी, अकेलेपन, मजबूरी, और बेचारगी नहीं होती। उससे कहीं आगे की यात्रा होती है। विकलांगों को अजीब नजरों से देखना बंद कीजिए, उन्हें दोस्त की तरह अपना कर देखें।

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नर्क

पिछले किसी जन्म में तुम भी इसके (विकलांग) किए गुनाहों में सहभागी थे इसलिए तुम भी सज़ा के बराबर हकदार हो। तुमने इसके किए गुनाह में ऐसे साथ दिया इसलिए तुम इसकी माँ बनी, तुम फलां तरीके से जुर्म में शामिल थे इसलिए तुम इसके पिता हो। इसकी सेवा तुम्हारे हिस्से आई है तुम्हारा जन्म सफल हुआ समझो।

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न देव न दैत्य

अब जब भी कोई कहीं इस शब्द से संबोधित करता है तो मन करता है कि उससे कहूँ कि अगर इसे दिव्यता कहते हैं तो आइये आप भी इस दिव्यता को जी कर देखिए।

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क्या मुसीबत है यार…

खुद पर खुद का बोझ ज़ब नहीं होता। आवाज़ सुनकर जवाब देना मुश्किल लगता है तो जीवन भर के सन्नाटों को जीने वालों से क्या कहेंगे? किसी आवाज़ को आवाज़ से जवाब दे सकना इतना भी मुश्किल नहीं होता।

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शर्त इतनी है…

विकृतियों पर हँसने वाले या उन पर नाक-भौं सिकोड़ने वाले और विकृतियों को देख उन पर अपने ‘ओह्ह बेचारे’ रूपी तेज़ाब छिड़कने वाले इस समाज पर तरस नहीं हँसी आनी चाहिए

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सुविधाजनक-लीपापोती

सुविधाओं के नाम जितनी लीपापोती हमारे साथ की जा रही है शायद ही कहीं और होती हो। एक-दो जगहों को छोड़ कर बड़ी तस्वीर में देखें तो सुविधाओं के नाम पर बस लीपापोती ही मिलती है विकलांगजन को।

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पटाखों का शोर और सेरेब्रल पाल्सी से प्रभावित लोग

दीपावली व अन्य अवसरों पर होने वाले पटाखों के शोर से सेरेब्रल पाल्सी से प्रभावित लोगों को बहुत कष्ट होता है। इसी के बारे में प्रदीप सिंह के विचार।

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हेलेन केलर: एक मुक्तद्वार

सम्पूर्ण मानवता को धर्य, जिज्ञासा, अंगों का सही इस्तेमाल, कड़ी मेहनत, समर्पण और लगातार सीखते रहने की सीख हेलेन केलर अपने जीवित शब्दों के माध्यम से आज भी दे रही हैं।

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विकलांगता और परिवार

हमारे परिवार समाज में एक अपवाद जैसे हैं — जहाँ हमें उतना ही लाड़-प्यार मिलता है जितना कि किसी नॉर्मल बच्चे को। जहाँ हर संभव तरीक़ा अपनाया जाता है कि हमें कोई तकलीफ न हो। हमारे साथ बर्ताव के दौरान हमारी विकलांगता को नजरअंदाज किया जाता है। ग़लती पर डाँटा जाता है, नाराज़गी जताई जाती है। दो-चार छींक या थोड़ा-सा बुखार आ जाये तो सभी परिवारजन अपने-अपने आज़माए नुस्खे बताने लगते है।

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वन डे व्हीलचेयर चेलेंज

क्या ख़ुदकुशी करने की चाह करने वाला कोई नॉर्मल व्यक्ति ख़ुदकुशी करने से पहले मेरा ‘वन डे व्हीलचेयर चेलेंज’ लेगा? इस चेलेंज को हारकर ज़िंदगी की बेशकीमती सौगात जीती जा सकती है।

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