वन डे व्हीलचेयर चेलेंज

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हर दिन कितने ही लोग कितनी ही तरह से मर रहे हैं। बीमारियों से, दुर्घटनाओं में, हत्याकांड में, गैंगवार में, कुदरती या मानवजनित आपदाओं और न जाने कितनी ही तरह से — न जाने कितने ही लोग रोज़ मरते हैं। हर तरह की मौत में से सबसे दुर्भाग्यपूर्ण मौत मैं ख़ुदकुशी या आत्महत्या को मानता हूँ। मैं जानता हूँ कि इस ख़ूबसूरत और रंग-बिरंगी ज़िंदगी को ख़त्म करके अंनत अंधकार चुन लेना (आत्महत्या करना) बहुत-बहुत कठिन कार्य है। ये भी सत्य है कि इस कृत्य को अंजाम देने वाला आत्महंता कायर या बुज़दिल नहीं हो सकता। जो किसी भी वजह से ख़ुद को मार ही ले वो कैसे कायर हो सकता है? यहाँ तो हल्की-सी खरोंच से चीख निकल जाती है, ख़ुदकुशी तो दूर की बात है।

विकलांग लोगों में ऐसी बहादुरी कम ही होती है। जितने भी ख़ुदकुशी के मामले सामने आते हैं उनमें विकलांगता का कारण कम ही होता है। विकलांग होकर भी ख़ुदकुशी का कारण अक्सर कुछ और ही होता है। कागज़ी कार्यवाही भले ही विकलांगता को कारण माने। भला इतने वर्षों से विकलांगता झेल रहा व्यक्ति विशेष अचानक विकलांगता के कारण कैसे मर सकता है?

कोई भी नॉर्मल व्यक्ति ख़ुदकुशी करने से पहले अगर एक पल को अपने जिए सभी ख़ुशनुमा लम्हों को याद करे या यह सोचे कि उसके बाद उसके प्रियजनों का क्या हाल होगा तो मरने वाला जी सकता है। कोई भी बात या समस्या ज़िंदगी से बड़ी कैसे हो जाती है मैं आज तक नहीं समझ सका। अगर कोई आत्महंता बचा लिया जाता है तो उसकी मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। उसके अपाहिज होने खतरा रहता है। जेल जाने का ख़तरा रहता है। फिर प्रियजनों का इमोशनल अत्याचार। मतलब आत्महत्या से बचा लिया गया व्यक्ति रोज़ मरता है। शायद सोचता भी हो कि काश आत्महत्या का प्रयास न ही किया होता।

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विकलांग लोग अपने आप से लड़ते हैं। समाज में अपनी जगह बनाने की कोशिश करते हुए ज़िंदगी निकाल देते हैं लेकिन मरते अपनी मौत ही हैं। मन में यही सोचता हूँ कि जिसने एक दिन बिन बुलाए भी आ ही जाना है उसे वक़्त से पहले आमंत्रित कर ख़ुद को उसे सौंपने का कोई मतलब नहीं बनता। मैं तो अपने सब नॉर्मल दोस्तों से कह चुका हूँ और कहना चाहता हूँ कि जब भी ऐसा मनहूस ख्याल मन में आए तो एक बार मेरे बारे में जरूर सोच लेना। सोचना कि क्या वो समस्या या बात तुम्हारी ज़िंदगी से सच में कठिन है जिसके लिए जान तक देने लगे हो? क्या थोड़ा और समय लेकर समस्याओं से सुलह नहीं हो सकती? और क्या मेरा रोज़मर्रा का संघर्ष तुम्हारे उस एक पल से छोटा है जिसके लिए तुम मरने चले हो? अगर तुम्हारे पास पास कोई जवाब नहीं है तो ‘जीते हैं चल’।

तर्क में तो कुछ भी कहा जा सकता है लेकिन सच तो यही है कि एक विकलांग का एक दिन का संघर्ष नॉर्मल व्यक्ति के ख़ुदकुशी करने वाले पॉइंट से बड़ा ही रहेगा। इसके तर्क में कहा जा सकता है कि सबको अपनी समस्या बड़ी लगती है या जिस तन लागे सो तन जाने। तो मैं ख़ुदकुशी करने या उस के लिए सोचने वालों से कहना चाहता हूँ कि ख़ुदकुशी करने से पहले एक दिन पूरा किसी व्हीलचेयर पर और पूरी तरह किसी पर डिपेंडेंट होकर ज़रूर बिताना। अगर मन नहीं बदलता तो ख़ुदकुशी का विकल्प तो खुला ही है। एक दिन नहीं तो सुबह 7 से शाम 7 बजे तक। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि 5 बजे से पहले ही व्यक्ति विशेष व्हीलचेयर और ख़ुदकुशी का ख्याल छोड़ चुका होगा। मैंने इसी विषय पर कभी लिखा था:

ख़ुद से निपटने के हज़ार तरीके हैं दोस्त
तुम्हें तो बस रग-ए-जाँ* ही नज़र आती है

* रग-ए-जाँ = नब्ज़

क्या ख़ुदकुशी करने की चाह करने वाला कोई नॉर्मल व्यक्ति ख़ुदकुशी करने से पहले मेरा ‘वन डे व्हीलचेयर चेलेंज’ लेगा? इस चेलेंज को हारकर ज़िंदगी की बेशकीमती सौगात जीती जा सकती है।

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Amrit kaur
Amrit kaur
1 year ago

Waah kya khoob likha hai
Chand Minto mai jakjorh ke rakh diya

Prof.D.S.Hernwal
Prof.D.S.Hernwal
1 year ago

Very impressive and positive thoughts for those who are mentally and socially disabled

Sonia Bangar
Sonia Bangar
1 year ago

जबरदस्त लिखा है प्रदीप भाई सबके लिए जिंदगी के गमो को तवज्जो न देते हुए उसे हंसी खुशी के साथ जीने का जो मैसेज आपने दिया है इस से अच्छा मैसेज नहीं हो सकता।
आपको सैल्यूट है ।
U R Great 👍👍👍👍👍👍👍💐💐💐💐💐💐

जयप्रकाश 'विलक्षण'
जयप्रकाश 'विलक्षण'
1 year ago

बंधुवर, आपके जैसे लोग ही वास्तव में जिंदगी जीने का माद्दा रखते हैं और जिंदगी का सही मायनों में अर्थ समझते हैं। आम लोगों के लिए बहुत आसान है जिंदगी से नाराज हो जाना, हर उस छोटी बात पर, जिसके किसी दूसरे के लिए कोई मायने नहीं है। साइकिल नहीं है, बाइक नहीं है, कार नहीं है, घर नहीं है, है तो छोटा है। बड़ा है तो बंगला क्यों नहीं है। नौकरी बढ़िया नहीं है। धंधे में मजा नहीं आ रहा। बच्चे सुनते नहीं हैं, पत्नी या पति ठीक नहीं मिला। हजार तरह के बहाने हैं परेशान होने के, दुःखी होने के। जिंदगी को जाया करने के। लेकिन अंत में जो संदेश आपने दिया है, वह कमाल का है। वाकई जिसे लगता है कि जिंदगी बेकार है, वह एक दिन के लिए व्हील चेयर पर जिंदगी गुजारकर देखे।
बहुत-बहुत धन्यवाद इस शानदार संदेश के लिए।

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