एक विकलांग व्यक्ति को ही क्यों जीवन के सभी क्षेत्रों में अपनी क्षमता साबित करने के लिए जद्द-ओ-ज़हद करनी पड़ती है? क्या सिर्फ़ इसलिए कि उनकी विकलांगता दिखाई दे रही है?
श्रेणी: खुलते पिंजरे
खुलते पिंजरे — विकलांगता डॉट कॉम पर नूपुर शर्मा का कॉलम
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मेरे मन ये बता दे तू किस ओर चला है तू?
जीवन में कुछ न कर पाने और असफल रह जाने की शंकाओं पर ध्यान केन्द्रित करने की बजाय अच्छा होगा कि हम अपनी क्षमताओं और योग्यताओं को बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित करें।
पंख लगा लो…जहाँ मन करे उड़ जाना
नूपुर शर्मा अपने कॉलम “खुलते पिंजरे” के इस अंक में व्हीलचेयर पर तय की गई अपनी अभी तक की सबसे लम्बी दूरी के बारे में बता रही हैं।
अब मैंने पर खोल लिए हैं
नुपुर शर्मा विकलांगता डॉट कॉम पर “खुलते पिंजरे” शीर्षक से अपना कॉलम आरम्भ कर रही हैं। कॉलम के अपने पहले लेख में वे सम्यक ललित द्वारा रचित “अब मैंने पर खोल लिये हैं” कविता पर चर्चा कर रही हैं।