सेवेंट सिंड्रोम (सावंत सिंड्रोम) से प्रभावित 7 अद्भुत प्रसिद्ध व्यक्ति

‘सिंड्रोम’ शब्द सुनते मन में किसी बीमारी या ऐसी किसी नकारात्मक स्थिति का चित्र उभरता है जो व्यक्ति को आम इंसान से कुछ अलग बनाती है। है न? सेवेंट सिंड्रोम इससे कुछ अलग है।

सेवेंट सिंड्रोम व्यक्ति को और लोगों से अलग तो बनाता है लेकिन उन्हें कुछ अविश्वसनीय, अकल्पनीय, विलक्षण प्रतिभाएँ देकर!

सेवेंट सिंड्रोम एक दुर्लभ स्थिति है और यह व्यक्ति में कुछ असाधारण प्रतिभाएँ लेकर आती है। हालाँकि यह अक्सर ऑटिज्म जैसे किसी विकासात्मक विकार के साथ ही आती है। एक अनुमान यह लगाया जाता है कि क़रीब 10% ऑटिस्टिक व्यक्तियों में कम या ज्यादा सेवेंट सिंड्रोम पाया जाता है। लेकिन, आपको यह याद रखना चाहिए कि हर ऑटिस्टिक व्यक्ति में ऐसी कोई विलक्षण प्रतिभा नहीं होती — इसलिये आपको उनसे या उनके माता-पिता से यह सवाल नहीं करना चाहिए कि उनमें अलग ईश्वरीय गुण क्या है।

आज आपको मिलाते हैं विश्व के कुछ ऐसे प्रसिद्ध लोगों से जिनमें सेवेंट सिंड्रोम ने कुछ विलक्षण गुण दिए और उन्हें भीड़ से अलग बना दिया।

किम पीक – रेन मैन

यदि आप हॉलीवुड फिल्में देखना पसंद करते हैं तो शायद आपको यह पहले से मालूम हो कि फ़िल्म रेन मैन (1988) का मुख्य किरदार किम पीक पर ही आधारित था। लेकिन, यदि आपने वह फ़िल्म देखी है तो भी आपको किम पीक के बारे में अवश्य पढ़ना चाहिए; क्योंकि उनकी वास्तविक कहानी फ़िल्म से काफ़ी अलग है।

किम पीक के मस्तिष्क की संरचना ऐसी थी कि उनके मस्तिष्क के दोनों भागों (दायाँ और बायाँ गोलार्ध) को जोड़ने वाली नसों का पूरा बण्डल था ही नहीं। इसका अर्थ है कि उनके मस्तिष्क के दोनों भाग एक दूसरे से जुड़े हुए नहीं थे। उनकी इस अनोखी स्थिति ने उन्हें एक अलग ही क्षमता दे दी थी – वे एक ही वक़्त पर दायीं आँख से किताब का दायाँ पन्ना और बायीं आँख से किताब का बायाँ पन्ना पढ़ लेते थे।

मात्र 8 सेकेण्ड के वक़्त में वे किताब के दोनों पन्नों को पढ़ भी लेते थे और उसे याद भी कर लेते थे। अपने पढ़ने और याद रखने की इस विलक्षण प्रतिभा के कारण उन्होंने अपनी ज़िन्दगी में 12,000 से अधिक किताबें पढ़ी और याद की थी। वे 15 विषय-क्षेत्रों के विद्वान थे।

लेस्ली लेम्के

लेस्ली दुनिया की नज़रों में अपनी अद्भुत संगीत प्रतिभा के कारण आये थे। उनका जन्म समय से पूर्व हो गया था। वे सेरिब्रल पाल्सी और मस्तिष्क की कुछ क्षति के साथ पैदा हुए थे। ग्लूकोमा के कारण उनकी आँखों को सर्जरी द्वारा निकालना पड़ा था। लेस्ली लेम्के जब 6 माह के बच्चे थे तब उन्हें एक नर्स ने गोद ले लिया था। गोद लेने वाली उनकी माँ के पहले से अपने 5 बच्चे थे।

16 वर्ष की उम्र तक लेस्ली एक अति-साधारण विकलांग बच्चे थे। एक दिन अचानक बिना किसी संगीत प्रशिक्षण के लेस्ली घर पर रखा पियानो बजाने लगे। इसके बाद वे जो भी संगीत एक बार सुन लेते उसे हू-ब-हू अपने पियानो पर बजा लेते थे।

स्टीफन विल्टशायर

स्टीफन एक कलाकार हैं जिन्हें दुनिया में ‘ह्यूमन कैमरा’ नाम से भी जाना जाता है। उनकी विलक्षण प्रतिभा यह है कि वे किसी परिदृश्य को एक बार देख कर उसे हुबहू चित्रित कर सकते हैं। किसी भी आम ऑटिस्टिक बच्चे की तरह स्टीफन को भी शुरू में और लोगों से बातचीत करने में कठिनाई होती थी; वे लोगों के बीच सहज नहीं रह पाते थे। लेकिन ख़ुद को अभिव्यक्त करने के लिए उन्होंने शुरू से ही अपनी चित्रकला की प्रतिभा का इस्तेमाल किया।

उन्हें दुनिया में प्रसिद्धि 2005 में मिली जब उन्हें हेलीकाप्टर से टोक्यो शहर का एक छोटा-सा दौरा कराया गया और उस दौरे के बाद उन्होंने पूरे शहर का चित्र सटीकता से बना दिया। कैमरे के जैसी अपनी यादाश्त के कारण उन्हें यह तक याद था कि इमारतों पर कितनी मंजिलें और कितनी खिड़कियाँ थीं।

डेनियल टैमेट

डेनियल उस वक़्त समाचारों की सुर्ख़ियों में छा गए जब उन्होंने पाई का मान 22,514 दशमलव स्थानों तक अपनी यादाश्त से सुना दिया। डेनियल बताते हैं कि वे अंकों और गणनाओं को अपने-आप देख पाते हैं। वे बताते हैं कि 1 से लेकर 10,000 तक की संख्याओं का उनके मस्तिष्क के लिए आकार, रंग, बनावट और अनुभव बिलकुल अलग-अलग है। उन्होंने बताया कि पाई बेहद ख़ूबसूरत है, 333 काफ़ी आकर्षक और 289 बहुत भद्दी-सी संख्या है।

डेनियल केवल संख्याओं में ही नहीं बल्कि भाषाओँ के ज्ञान में भी असाधारण हैं। वे ग्यारह से अधिक भाषाएँ बोल सकते हैं। 2007 में उन्हें एक चुनौती दी गयी कि वे 7 दिन के अन्दर आइसलैंडिक भाषा को सीखें जिसे बेहद कठिन माना जाता है। उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए 7 दिन के भीतर इस भाषा को समझना और धाराप्रवाह बोलना भी सीख लिया।

एलेन बौड्रेक्स

प्रसिद्ध सेवेंट सिंड्रोम वाले व्यक्तियों के बीच एलेन एक विशेष स्थान रखती हैं। वक़्त के पहले जन्म लेने के कारण उन्हें दृष्टिहीनता है। उनके अद्भुत संगीत कौशल को तभी पहचान लिया गया था जब वे मात्र 6 महीने की थीं – वे उस वक़्त अपने पालने में बज रही लोरी को गुनगुना रहीं थीं।

एलेन किसी भी संगीत को एक बार सुनकर उसे दोहरा सकती हैं। लेकिन, यह उनकी सबसे अनोखी बात नहीं है। उन्हें ‘टाइम कीपिंग विज़र्ड’ कहा जाता है क्योंकि वे सेकंड तक की सटीकता के साथ समय बता सकती हैं वो भी बिना घड़ी या किसी अन्य यंत्र का इस्तेमाल किये।

रुकिए, अभी तो एलेन के बारे में कुछ और बेहद ख़ास जानना बाकी है। एलेन चहचहाने वाली एक आवाज़ निकालती हैं जो चीज़ों से टकराती है और उन्हें यह पता चल जाता है कि उनके सामने कोई चीज़ रखी है। अपनी इस अद्भुत शक्ति के कारण वे दृष्टिहीन होने के बावजूद बिना किसी सहायता के कहीं भी चल कर जा सकती हैं।

अलोंजो क्लेमन्स

अलोंजो जब एक छोटे बच्चे थे तो उन्हें चोट लगी जिसके कारण उनके मस्तिष्क को क्षति पहुँची। इसके बाद वे पढ़ना, लिखना, गणना करने जैसी चीज़ें नहीं सीख पाए – यहाँ तक कि वे अपने जूते बाँधने और खाना खाने तक में असमर्थ थे। इनके बावजूद वे एक काम बड़ी महारत से कर पाते हैं – और वह है मूर्ति बनाना।

अलोंजो किसी भी जानवर या उसकी तस्वीर को कुछ क्षण देखने के बाद ही सटीकता से उसकी शारीरिक संरचना को एक मूर्ति के रूप में ढाल सकते हैं। सेवेंट सिंड्रोम ने इन्हें यह विलक्षण प्रतिभा दी है कि वे किसी भी चीज़ के आकार को अपने दिमाग में समझ सकें और उसे हू-ब-हू मूर्ति के रूप में उतार सकें।

फ़्लो लिमन और के लिमन

फ़्लो और के सेवेंट सिंड्रोम वाले एक मात्र ऐसे जुड़वां हैं जिनमें बिलकुल एक ही तरह की विलक्षण प्रतिभा है। उन्हें कैलेंड्रिक सेवेंट कहा जाता है क्योंकि वे अपने जीवन की किसी भी तारीख़ पर होने वाली घटनाओं, मौसम आदि के बारे में तुरंत जानकारी दे सकते हैं और वह भी पूरे विवरण के साथ। वे 60, 70 या 80 के दशक में बने गानों के कलाकारों का नाम बता सकते हैं। वे लगभग हर बात को याद रख सकते हैं और उसे दोहरा सकते हैं। उनके जीवन पर ‘द रेन मैन ट्विन्स’ नाम से एक डाक्यूमेंट्री भी बनी है।

अंत में…

मोज़ार्ट और थॉमस विगन्स जैसे कुछ लोग इतिहास में हुए हैं जिनके बारे में यह कहा जाता है कि शायद उन्हें भी उनकी विलक्षण प्रतिभाएँ सेवेंट सिंड्रोम से ही मिली लेकिन इस बात को तथ्यात्मक ढंग से नहीं कहा जा सकता क्योंकि उस वक़्त तक सेवेंट सिंड्रोम की अवधारणा विकसित नहीं हुई थी। कुछ लोग तो भारत की शकुंतला देवी को भी उनके अद्भुत गणितीय प्रतिभा के कारण सेवेंट सिंड्रोम से प्रभावित मानते हैं लेकिन इसकी भी पुष्टि नहीं हो पायी है।

सेवेंट सिंड्रोम के कारण मिली अद्भुत प्रतिभाओं के बारे में जानना काफ़ी दिलचस्प है। है न? लेकिन, हम आपको एक बार फिर यह याद दिलाना चाहेंगे कि हर ऑटिस्टिक व्यक्ति में ऐसी विलक्षण प्रतिभा नहीं होती। जब तक आपको किसी की अद्भुत प्रतिभा के बारे में बताया न जाए तब तक आपको उन्हें साधारण ही मानना चाहिए और उनसे उनकी “ख़ास शक्ति” के बारे में सवाल नहीं करना चाहिए।

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