woman riding modified scooty on Indian road

कार से स्कूटी तक का सफ़र

मैं कहीं भी आने-जाने के लिए हमेशा दूसरों पर निर्भर रहती थी। चाहे विद्यार्थी जीवन रहा, कॉलेज के दिन या ट्रेनिंग के दिन, मुझे आने-जाने के लिए हमेशा किसी के साथ की ज़रूरत पडती थी। जहाँ शादी से पहले यह साथ मेरे पापा ने दिया, वहीं शादी के बाद यह ज़िम्मेदारी मेरे पति के कंधों पर आ गयी।

wheelchair user enjoying view in the hills

निस्वार्थ भाव का एक रिश्ता जो मुझे सदा याद रहेगा

इस यात्रा पर इतने अनजान लोगों के बीच रहते हुए भी मुझे यह अहसास हुआ कि विकलांगता पर थोड़ी-सी ही सही पर मैंने शायद कुछ विजय प्राप्त कर ली है।

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क्या अब भी हम मानव हैं?

आपने कई स्थानों पर देखा होगा कि यदि कोई किसी अनजान व्यक्ति से ग़लती से टकरा जाये तो सामने वाला गाली के रूप में कहता है “अँधा है क्या?” या किसी साधारण से कार्य को करने में ग़लती हो जाये तब सामने वाला गाली के रूप में कहता है “पागल है क्या?”

blissful future for disabled people

सब हो जाएगा

इस पूरे सफर में मैं सभी के चेहरों पर कुछ ढूँढ़ रही थी और जिसे न पाकर मैं बहुत खुश थी। पता है क्या…? वह थी—वह शिकन और असहजता जो अधिकतर किसी विकलांग व्यक्ति की मौज़ूदगी में गैर-विकलांग व्यक्तियों के चेहरे पर उभर आती है। वे लाख चाह कर भी अपनी असहजता को छुपा नहीं पाते; लेकिन मैं खुश थी कि इस “प्यारे अनुभव के सफर” में वह असहजता और शिकन मुझे कहीं नहीं मिली।

photograph of subhash r prajapati, the founder of svdaa

सुभाष रामदीन प्रजापति: विकलांगता के बावजूद एक सफल उद्यमी

सुभाष रामदीन प्रजापति पोलियो से प्रभावित एक विकलांग व्यवसायी हैं। आपने Svdaa नामक एक कम्पनी की स्थापना की है जो सौन्दर्य प्रसाधनों का निर्माण करती है।

woman on crutches at a picnic

वहाँ सबने मेरी सुविधा का ख़्याल रखा

समाज अपनी सोच में थोड़ा बदलाव करे अपनी व्यवस्थाओं को थोड़ा-सा हमारे हिसाब से भी बदले तो पूरी दुनिया ही बहुत खूबसूरत हो सकती है और विकलांगों के संघर्ष बहुत हद तक कम किए जा सकते हैं।

friends helping a wheelchair user enjoying view in the hills

विकलांगता और मेरे दोस्तों का साथ

मैं पिछले 13-14 साल से स्पाइनल कॉर्ड इंजरी का एक पेशेंट हूँ। फ़िलहाल मैं दो वर्ष पहले हुई मेरी स्पाइन सर्जरी के वक़्त दोस्तों द्वारा की गई मदद के बारे मे बताना चाहूँगा।

A woman wearing leg braces on both legs and sitting on a bench

एक विकलांग व्यक्ति जब अपने शरीर से लड़ता-लड़ता थक जाता है…

विवाह के पश्चात जहाँ सबकी परिस्थितियाँ बदल जाती है, वहीं विकलांगजन को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, ख़ासकर तब अगर वह एक लड़की है। विवाह के बाद नये घर में जाना, वहाँ सबके साथ तालमेल बिठाना, नए माहौल में सामंजस्य बिठाना उसके लिए किसी पहाड़ पर चढ़ने से कम नहीं होता। जाने अनजाने में किये गए कटाक्ष उसके हृदय को चीर देते हैं।

a vector image showing a woman thinking about good memories

समझौता तो करना ही होगा!

इस पर उसकी माँ का जवाब था कि “तुम्हें तुम्हारी विकलांगता के कारण कोई सामान्य लड़का तो मिलेगा नहीं!, तुम्हें कहीं-न-कहीं कोई तो समझौता करना ही होगा”।

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अ प्राइम मिनिस्टर ऑन व्हील्स

अगर सोसाइटी के शिखर पर ही पकड़ बनाने की कोशिश की जाए तो क्या मुमकिन नहीं हो सकता। हो सकता है सच में कोई विदेशी नामचीन नेता कह उठे – ‘अ प्राइमनिस्टर ऑन व्हील्स’।

equal rights for persons with disabilities

विकलांगता के कारण सहकर्मी मेरे साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते

एक अनाम व्यक्ति ने अपनी समस्या बताई है कि ऑफ़िस में सहकर्मी विकलांगता के कारण उनसे अच्छा व्यवहार नहीं करते। सम्यक ललित द्वारा समस्या का समाधान सुझाया गया है।

woman in wheelchair in front of inaccessible steps

क्या एक विकलांग दूसरे विकलांग की मजबूरी और संघर्ष को समझता है

सामान्य लोगों द्वारा ऐसा व्यवहार तो आम बात है परंतु विकलांग व्यक्तियों द्वारा इस तरह का व्यावहार क्या उचित है?

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ज़्यादा तकलीफ़ समाज में हीन दृष्टि से देखे जाने के कारण हो रही है

लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था। ग्राम विकास अधिकारी के पद पर रहते हुए 8 माह के कार्यकाल के बाद विभाग द्वारा पुनः जाँच हुई जिसमें एक आँख को 6/24 और दूसरी को 6/18 बता कर मेरी विकलांगता 40% से घटाकर 10% कर दी गई और मुझे अपात्र घोषित करते हुए नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।

image of a girl with angel like wings sitting on a wheelchair while tying her ballerina shoes.

हमारे बाद इसका क्या होगा?

किसी विकलांग बच्चे के माता-पिता के मुँह से अपने बच्चे के भविष्य की चिंता में यह सवाल करते, आपने ज़रूर सुना होगा। अधिकांश विकलांग बच्चों के माता-पिता को  पूरी ज़िन्दगी यही डर सताता रहता है कि उनकी मृत्यु के बाद उनके विकलांग बच्चे का क्या होगा…? वे अपनी पूरी ज़िन्दगी इसी सवाल से उपजे डर के साये में बिता देते हैं।

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यही पल ज़िंदगी

विकलांगता केवल उदासी, अकेलेपन, मजबूरी, और बेचारगी नहीं होती। उससे कहीं आगे की यात्रा होती है। विकलांगों को अजीब नजरों से देखना बंद कीजिए, उन्हें दोस्त की तरह अपना कर देखें।