मुश्किलें इंसान के जीवन में हमेशा से रही हैं। कुछ और हो न हो मुश्किल हमेशा साथ रहती है। कभी-कभी तो लगता है कि छोटी-बड़ी मुश्किलों का ताना-बाना ही जीवन है। सबका व्यवहार अलग-अलग होने की वजह से मुसीबतों या मुश्किलों को झेल सकने की इंसान की क्षमता भी भिन्न-भिन्न होती है। बहुत छोटी-सी बात को कोई कितना बड़ा कर लेगा यह कोई नहीं समझ सकता। ऐसे ही कुछ लोगों के मुंह से हमेशा यही सुनने को मिलता है ‘अरे क्या मुसीबत है यार?’ या ‘क्या अज़ाब है?’ और पंजाबी में यही अरबी भाषा का अज़ाब शब्द विकृति रूप लेकर ज़ब’ या यब’ कहा जाने लगा, बोलने में कुछ ऐसा आता है कि ‘की ज़ब है यार?’ इन वाक्यों को अपने तकिया-कलामों की तरह इस्तेमाल करने वाले जानते समझते हुए भी नहीं समझते कि उन्होंने कभी असल मुश्किलें, मुसीबत, अज़ाब या ज़ब नहीं देखे और अगर देखें हैं भी तो समझे बिल्कुल नहीं। समझे होते तो उनके यह तकिया-कलाम इस तरह के कभी नहीं होते और उठते-बैठते जो कार्य वो बड़ी सरलता से कर रहे होते हैं वहाँ भी ऐसे नहीं कहते ‘मुश्किल है भई?’ इन्हीं तकिया-कलामों को कहने वालों से कोई पूछे कि कमरे में बैठे हुए उठकर ही लाइट ऑन कर कमरे का अंधेरा दूर कर सकने सुविधा होते हुए मुश्किल लगता है तो कभी सोचा है कि जीवन भर का अंधेरा कैसा होता होगा? आँखें होते हुए भी मुश्किल है? कमाल है। कहीं भी उठ-बैठ सकना अगर ‘अज़ाब है’ तो व्हीलचेयर पर तमाम ज़िंदगी बिताने की मजबूरी को क्या कहेंगे? अजब ही हैं ऐसे अज़ाब भी। अगर अपने काम स्वंय करने की आज़ादी है फिर भी ‘की ज़ब है’? तो अपने दैनिक कार्यों के लिए दूसरों पर पूर्णतः निर्भर होने को क्या कहेंगे? खुद पर खुद का बोझ ज़ब नहीं होता। आवाज़ सुनकर जवाब देना मुश्किल लगता है तो जीवन भर के सन्नाटों को जीने वालों से क्या कहेंगे? किसी आवाज़ को आवाज़ से जवाब दे सकना इतना भी मुश्किल नहीं होता।
तुलना नहीं है। कोई तुलना हो ही नहीं सकती जिससे इंसान दूसरे इंसान का दर्द माप सकता। होती तो इस तरह के तकिया-कलाम नहीं होते। न ही यह लेख होता। बस इतना समझना और समझाना आवश्यक है कि इंसानी जीवन मुसीबतों से अटा पड़ा है एक ख़त्म होगी तो दूसरी तैयार रहती है। बस अपने रोजमर्रा और नित्त क्रियाओं को मुसीबत, मुश्किल, अज़ाब या ज़ब कहना बंद करें वरना यही सच में अज़ाब हो जाने की ताकत रखती हैं। उठना-बैठना, देख सकना, कह-सुन सकना मुश्किल या मुसीबत कैसे हो सकता है?
Very good effort to motivate the person have a negative energy but have a full power habit or nature of a person difficult to change God bless you
Difficulty is a mindset of individual.To say something and do nothing is a perception, otherwise nothing is difficult.
जीने की सजा हर किसी को नहीं मिलती..बंधु..यह काटनी ही होती..😥😥😥😥
A hero is an ordinary individual who finds the strength to persevere and endure in spite of overwhelming obstacles.
शारीरिक सीमाओं से परे “हौसला” नए शिक्षित तक ले जाने को सुव्यवस्थित है। मगर चांद विरले ही इतना संयम और जिगरा दिखाते हैं। समाज सिर्फ अपना व्यवहार नॉर्मल रखे उतना ही काफी है। दया की भीख कतई न दे सिर्फ स्नेह और प्रतिभा को सम्मान दे, यही विरलों की जीत को सुनिश्चित करेगा। कुदरत सोच समझ ही रचना करती है इसलिए अतुलनीय की तुलना हो नही सकती।