विकलांगता से जुड़े महत्वपूर्ण शब्दों में एक शब्द आता है – बहु-विकलांगता (या बहु-दिव्यांगता)। कई जगह बहु-विकलांगता की जगह ‘एकाधिक विकलांगता’ शब्द का भी प्रयोग मिलता है। आइये आज समझते हैं कि कानूनी तौर पर बहु-विकलांगता या एकाधिक विकलांगता का अर्थ क्या होता है।
यूँ देखे तो बहु-विकलांगता और एकाधिक विकलांगता दोनों का अर्थ होता है एक से अधिक विकलांगता। आसान शब्दों में कहें तो यदि किसी व्यक्ति को एक से अधिक विकलांगता हो तो उसे बहु-विकलांगता की श्रेणी में रखा जाता है। हालाँकि बहु-विकलांगता की परिभाषा का आधार ये शाब्दिक अर्थ ही हैं लेकिन कानूनी तौर पर यह परिभाषा विश्व के अलग-अलग कोनों में अलग-अलग हो सकती है।
उदाहरण के तौर पर अमेरिका में ‘बहु-विकलांगता’ एक श्रेणी ज़रूर है लेकिन उसमें ऐसे व्यक्ति को शामिल नहीं किया जाता जिसे श्रवणबाधिता और दृष्टिबाधिता साथ में हो क्योंकि वहाँ ‘डेफ-ब्लाइंडनेस’ एक अलग ही श्रेणी के रूप में मान्य है।
इस आलेख में हम बहु-विकलांगता को भारत के कानून के नज़रिये से समझेंगे।
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम (2016) में बहु-विकलांगता
आपको मालूम ही होगा कि विकलांगता की परिभाषा से लेकर विकलांग व्यक्तियों को मिलने वाले अधिकारों जैसी सभी बातें भारत में ‘दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016’ द्वारा तय की गई हैं। इस अधिनियम में विकलांगता की 21 श्रेणियाँ सूचीबद्ध की गयी हैं जिनमें से एक बहु-विकलांगता भी है। अधिनियम में बहु-विकलांगता के साथ ही यह साफ़ तौर पर लिखा गया है कि डेफ-ब्लाइंडनेस भी बहु-विकलांगता की श्रेणी में ही सम्मिलित मानी जाएगी।
भारत में मान्य परिभाषा के अनुसार बहु-विकलांगता वह स्थिति है जिसमें एक ही समय पर किसी व्यक्ति को दो भिन्न विकलांगताएँ हों। इन विकलांगताओं का प्रभाव इतना होना आवश्यक है कि इससे व्यक्ति की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी पर गहरा असर पड़ रहा हो। यहाँ यह समझना ज़रूरी है कि यदि कोई व्यक्ति चलन-सम्बन्धी विकलांगता के कारण व्हीलचेयर या बैसाखी जैसे सहायक उपकरण की सहायता लेता हो और साथ ही सामान्य नज़र के चश्में का इस्तेमाल करता हो तो वह बहु-विकलांगता की श्रेणी में नहीं आएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इस केस में व्यक्ति का दृष्टि दोष ‘विकलांगता’ की सीमा तक नहीं पहुँचता। यही व्यक्ति यदि दृष्टिबाधित हो तो वह अपनी दृष्टिबाधिता और चलन-सम्बन्धी विकलांगता के मिले-जुले प्रभाव के कारण बहु-विकलांग श्रेणी में गिना जाएगा।
बहु-विकलांगता में कौन-कौन सी विकलांगताओं को शामिल किया जाता है?
बहु-विकलांगता की श्रेणी में इनमें से किन्हीं भी विकलांगताओं को शामिल किया जा सकता है:
- दो भिन्न शारीरिक विकलांगताएँ
- दो भिन्न मानसिक विकलांगताएँ
- एक शारीरिक व एक मानसिक विकलांगता
कुछ आमतौर पर पाई जाने वाली बहु-विकलांगताएं इस प्रकार हैं:
- दृष्टिबाधिता और बौद्धिक विकलांगता
- चलन-सम्बन्धी विकलांगता और मानसिक मंदता
- चलन-सम्बन्धी विकलांगता और वाक् विकृति (स्पीच ईमपेयरमेंट)
- दृष्टिबाधिता और श्रवणबाधिता
[उपरोक्त बहु-विकलांगता के उदाहरण से यह न समझें कि यदि कोई व्यक्ति दृष्टिबाधित हो तो उसे बौद्धिक विकलांगता भी अवश्य होगी। आमतौर पर ऐसा नहीं होता।]
बहु-विकलांगता के लिए राष्ट्रीय न्यास
विकलांगजन के सशक्तिकरण और उत्थान के लिए भारत सरकार का ‘विकलांगजन सशक्तिकरण विभाग’ काम करता ही है और साथ में राज्य सरकारों के भी विकलांगजन सशक्तिकरण विभाग हैं। इसके अलावा बहु-विकलांगता से जूझ रहे व्यक्तियों को सहारा देने और सशक्त बनाने के लिए विशेष रूप से ‘राष्ट्रीय न्यास’ (दी नेशनल ट्रस्ट) को स्थापित किया गया है। इस उद्देश्य के लिए काम करने वाला यह देश का सर्वोच्च संस्थान है।
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