अधिकार और ज़िम्मेदारियाँ तराजू के दो पलड़ों की तरह होते हैं। इन दोनों के बीच में संतुलन बनाए रखना बहुत ज़रूरी होता है। किन्तु हम सभी अपने अधिकारों के प्रति जितने सजग रहते हैं या अपने अधिकारों की जितनी बातें करते हैं उतना ध्यान हम अपने कर्तव्यों या ज़िम्मेदारियों पर कभी नहीं देते। अक्सर हम ज़िम्मेदारियों की बातें करते भी हैं तो वो दूसरों की ज़िम्मेदारियों की बातें होती हैं न कि हमारी।
हम ये तो कह देते हैं कि सरकार को, नगरपालिका को सड़कों और सार्वजनिक स्थानों की सफाई पर ध्यान देना चाहिए लेकिन चिप्स के खाली पैकेट, कोल्ड ड्रिंक्स की खाली बोतलें फेंकते हुए या सड़क पर थूकते हुए हम अपनी ज़िम्मेदारियों को भूल जाते हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ़ बातें करना तो राष्ट्रीय स्तर पर हमारा पसंदीदा काम है लेकिन सरकारी दफ़्तर में अपना काम जल्दी से करवा लेने के लिए फाइल सँभालते कर्मचारी को सौ-पचास पकड़ाते हुए या सड़क पर चालान से बचने के लिए सौ-दो-सौ निकालते हुए हमें यह ख़याल कभी नहीं आता कि हम भ्रष्टाचार की जड़ों को खाद-पानी दे रहे हैं।
ठीक इसी तरह हम अपने आस-पास विकलांग और गैर-विकलांग लोगों को अक्सर यह बात करते हुए सुन सकते हैं कि सरकार को या किसी संस्था को विकलांगों के लिए क्या करना चाहिए लेकिन क्या आपने इस सन्दर्भ में कभी ऐसी कोई चर्चा सुनी है कि समाज को समावेशी व सुगम्य बनाने के लिए हमें क्या करना चाहिए? जी हाँ एक व्यक्ति के रूप में ऐसी कई चीजें हैं जिन्हें अपने कर्तव्य के रूप में अपनाकर आप अपने समाज को एक समावेशी और सुगम्य समाज बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
सोशल मीडिया पर हर फ़ोटो/वीडियो के साथ ऑल्ट टेक्स्ट डालें
आज हम अपने जीवन के हर यादगार पल को सोशल मीडिया के ज़रिये अपने दोस्तों-रिश्तेदारों से साझा करते हैं। यह कितनी प्यारी बात है न! पर कभी सोचा है कि कोई दृष्टिबाधित व्यक्ति आपके साझा किये फ़ोटो या वीडियो को कैसे देखेगा? क्या आप नहीं चाहेंगे कि आपके दोस्त या रिश्तेदार में कोई दृष्टिबाधित व्यक्ति हो तो वह भी आपके खुशियों के पल में और लोगों की तरह ही शामिल हो सके? तकनीकी विकास के दौर में यह बिलकुल संभव है। फेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम जैसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कोई भी फ़ोटो या वीडियो अपलोड करने के बाद ‘एडिट ऑल्ट टेक्स्ट’ का विकल्प आता है। यहाँ आप यह लिख सकते हैं कि आपने जो तस्वीर डाली है उसमें क्या दिख रहा है। दृष्टिबाधित व्यक्ति कंप्यूटर, मोबाइल आदि का इस्तेमाल करते वक़्त स्क्रीन रीडर कहे जाने वाले विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं जो उन्हें स्क्रीन पर लिखी चीजों को पढ़ कर बताता है। आपका लिखा ऑल्ट टेक्स्ट बाकी लोगों को नज़र नहीं आएगा लेकिन स्क्रीन रीडर दृष्टिबाधित लोगों को वह पढ़ कर बता देगा कि स्क्रीन पर किस चीज़ की तस्वीर है।
सीढ़ियों के किनारे गमले न सजाएँ
सीढ़ियों के किनारे गमले सजाने का अंदाज़ बहुत प्रचलित है। घरों से लेकर सरकारी / गैर-सरकारी दफ़्तरों तक हम इस चीज़ को देख सकते हैं। क्या कभी आपने यह सोचा है कि यह सजावट किसी के लिए कितनी बड़ी रुकावट हो सकती है? सीढ़ियों के किनारे बने हैण्डरेल्स किसी भी वृद्ध या ऐसे अशक्त व्यक्ति को सहारा देने के लिए होते हैं जिन्हें सीढ़ियाँ चढ़ने/उतरने में सहारे की ज़रूरत होती है। सजावट के लिए लगाए गमले हैण्डरेल्स की उपयोगिता को समाप्त कर देते हैं।
रैंप या किसी प्रवेश द्वार को ब्लॉक न करें
किसी इमारत की रैंप के सामने गाड़ी लगा देना या किसी प्रवेश द्वार के आगे कोई चीज़ रख कर रास्ते को ब्लॉक कर देना ऐसे दृश्य हैं जो बहुत आम हैं। यदि आप व्हीलचेयर, बैसाखी आदि प्रयोग नहीं करते तो शायद आपका ध्यान आसानी से इस चीज़ पर न भी जाए। आपको सजग होकर इस बात पर ध्यान देना होगा कि आप ऐसा कोई कार्य न करें और यदि आपके सामने कोई और ऐसा कर रहा हो तो उसे प्यार और इज्ज़त से इस बात को समझा भी सकते हैं कि यह किसी विकलांग व्यक्ति के लिए कितना कष्टकारी हो सकता है। यदि किसी की ज़िन्दगी आसान नहीं कर सकते तो आपको उसकी तकलीफ़ों को बढ़ाना भी नहीं चाहिए।
यदि आप विकलांग नहीं हैं तो डिसेबल्ड पार्किंग का इस्तेमाल न करें
यूँ तो भारत में हर जगह चिन्हित ‘डिसेबल्ड पार्किंग’ मिलते ही नहीं, जहाँ मिलते हैं वहाँ भी लोग इसकी इज्ज़त नहीं करते। यदि आज तक ध्यान नहीं दिया तो अब इस बात पर ध्यान देना शुरू करें कि यदि आप विकलांग नहीं हैं तो डिसेबल्ड पार्किंग का इस्तेमाल न करें। नियमानुसार चिन्हित किया गया हो तो डिसेबल्ड पार्किंग भवन के सबसे क़रीब और बाकी पार्किंग एरिया से थोड़े बड़े होंगे। इस पार्किंग का इस्तेमाल करना आपके लिए शायद चीज़ों को कुछ आसान कर दे लेकिन यह बहुतों के लिए चीज़ों को संभव बनाता है। डिसेबल्ड पार्किंग डिसेबल्ड लोगों के लिए होता है, इसे उन्हें ही इस्तेमाल करने दें।
एक्सेसिबल वाशरूम को इस्तेमाल लायक रहने दें
सार्वजानिक जगहों पर कई बार विकलांग लोगों के लिए बनाए गए वाशरूम को स्टोर के लिए या किसी वी.आई.पी. के इस्तेमाल के लिए सुरक्षित किये जाते हुए देखा है। यह हर लिहाज़ से गलत है। यदि आप ऐसे किसी पद पर हैं कि आप अपने कार्यस्थल पर इसे रोक सकें तो कृपया प्रयास कीजिये। एक आम नागरिक के तौर पर भी कहीं ऐसा होता हुआ देखने पर आप इसका विरोध कर सकते हैं। यदि आप एक विकलांग व्यक्ति हैं और ऐसे किसी सार्वजानिक एक्सेसिबल वाशरूम का इस्तेमाल करते हैं तो कृपया यह सुनिश्चित करें कि आपके निकलने के बाद कोई और भी उसे उसी सरलता से इस्तेमाल कर सके। आपके वाशरूम को गन्दा छोड़ देने या फ़र्श पर पानी गिरा देने से किसी और विकलांग व्यक्ति को कष्ट होगा इस बात का हमेशा ध्यान रखें।
चाहे आप विकलांग व्यक्ति हों या गैर-विकलांग व्यक्ति आपको इस बात का ध्यान हर जगह रखना चाहिए कि किसी भी विकलांग व्यक्ति को आपकी वजह से अतिरिक्त कठिनाइयों का सामना न करना पड़े। अपने भीतर मानवीय संवेदनाओं को पोषित-पल्लवित करते रहेंगे तो समाज को समावेशी और सुगम्य बनाए रखने में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कोई दुष्कर कार्य नहीं लगेगा। अधिकारों की बातें ज़रूर करें लेकिन कर्तव्यों का निर्वहन भी अवश्य करें।
[पुनश्च: अपने फ़ोटो / वीडिओ के साथ ऑल्ट टेक्स्ट डालने के विषय में अधिक जानकारी की आवश्यकता हो तो कमेंट करें… आपके लिए इस विषय पर एक विस्तृत आलेख लिखूँगी]
इन सब ज़िम्मेदारियों का निर्वाह किया जाए तो विकलांगता एक सामान्य स्थिति हो जाएगी। इतने अच्छे लेख के लिए आलोकिता Ma’am को बधाई👍👍👍👍👍👍
ऑल्ट टेक्स्ट के बारे में मैं जानना चाहूंगा🙏