आज हम शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए प्रयुक्त होने वाले कुछ शब्दों के बारे में बात करेंगे। ये शब्द रोज़मर्रा कि ज़िन्दगी में सुनने को मिलते ही रहते हैं — जैसे कि विकलांग, अपाहिज, अपंग, दिव्यांग आदि हिंदी भाषा में शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए प्रयुक्त होने वाले कुछ प्रमुख शब्द हैं। वहीं दूसरी ओर अंग्रेज़ी भाषा में Handicapped, Disabled और Differently Abled शब्द अधिक चलन में हैं।
यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि एक व्यक्ति या स्थिति के लिए प्रयोग किये जाने वाले ये विभिन्न शब्द अर्थ की दृष्टि से एक दूसरे से पर्याप्त भिन्नता रखते हैं। हम यहाँ पर कुछ प्रमुख शब्दों जैसे विकलांग, दिव्यांग, handicapped, disabled और differentely abled के अर्थ और इनके बीच अंतर को समझने की कोशिश करेंगे। साथ ही शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति के लिए एक उपयुक्त शब्द चुनने का भी प्रयास करेंगें। तो आइये, विकलांग शब्द से शुरू करतें हैं।
विकलांग
विकलांग शब्द कि उत्पत्ति सहत्रवीं शताब्दी में हुई थीं। वास्तव में यह शब्द अंग्रेजी भाषा के ‘हैंडीकैप्ड’ शब्द का हिंदी रूपांतरण है। जो व्यक्ति शारीरिक / मानसिक रूप से सामान्य गतिविधियाँ करने में सक्षम नहीं है या वह किसी कष्ट-बाधा का अनुभव करता हैं या उसका कोई अंग कमजोर या विक्षिप्त हैं — वह ‘विकलांग’ कहलाता हैं। अगर भाव की दृष्टि से बात की जाये तो विकलांग शब्द अपने में नकारात्मक भाव लिए हुए हैं क्यूंकि यह शब्द व्यक्ति की सक्षमता की बजाय उसकी अक्षमता या शारीरिक / मानसिक कमज़ोरी पर लोंगों का ध्यान केन्द्रित करता हैं। इसका परिणाम यह होता हैं कि जब व्यक्ति बार-बार अपने लिए ऐसे शब्दों को सुनता हैं तो वह स्वयं भी अपने आपको हर तरह से अक्षम मान बैठता हैं और जिन गतिविधियों में वह अपना श्रेष्ठ दे सकता है उनमें भी पिछड़ जाता हैं।
दिव्यांग
यदि दिव्यांग शब्द कि बात की जाए तो यह विकलांग शब्द से बिल्कुल उलट हैं। शाब्दिक दृष्टि से इस शब्द का अर्थ है – जिसके अंग दिव्य हैं, अर्थात् दिव्य अंग वाला। लेकिन यहाँ दिव्यांग शब्द का अर्थ किसी भी तरह की दिव्यता नहीं हैं – बल्कि यहाँ इस शब्द से आशय हैं कि यदि कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से अक्षम है तो वह उसके अन्य अंगों से या मानसिक रूप से अधिक सक्षम होगा। लेकिन हर व्यक्ति इस तरह से सक्षम हो ऐसा बिलकुल भी ज़रूरी नहीं हैं। यह शब्द वर्ष 2015 में अस्तित्व में आया। वर्ष 2015 में माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए विकलांग शब्द कि जगह दिव्यांग शब्द प्रयोग करने पर ज़ोर दिया। तभी से यह शब्द चलन में आया। जहाँ विकलांग शब्द अपने में नकारात्मक भाव लिए हुए हैं वही दूसरी ओर दिव्यांग शब्द में एक अलग ही दिव्यता का बोध होता हैं। जबकि व्यवहारिक तौर पर ऐसा कुछ भी नहीं हैं।
हैंडीकैप्ड
हैंडीकैप्ड एक अंग्रेज़ी शब्द हैं जो Hand-in-Cap शब्द का संक्षित रूप हैं। इस शब्द के साथ एक रोचक तथ्य जुड़ा हुआ है। वर्ष 1915 से पहले इस शब्द का विकलांगता से कोई लेना देना नहीं था। बल्कि इसका सम्बन्ध खेल जगत से था। वर्ष 1754 तक इस शब्द का सम्बन्ध घोड़ों की रेस से था। जीतने वाले घोड़े पर अतिरिक्त वज़न डालकर उसको अपाहिज कर हरा दिया जाता था। वर्ष 1915 में पहली बार शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों के लिए इस शब्द का प्रयोग हुआ। उसके बाद मानसिक रूप से कमज़ोर लोगों के लिए भी वर्ष 1950 से इस शब्द का इस्तेमाल होने लगा। अब यह शब्द बहुत चलन में है।
डिसएबल
यह एक अंग्रेज़ी शब्द हैं जो शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति के लिए अक्सर इस्तेमाल होता हैं। अर्थ की दृष्टि देखें तो असमर्थ, निर्योग्य, अक्षम, अशक्त, अयोग्य, विकलांग आदि इसके अर्थ के अंतर्गत ही आते हैं। यह शब्द भी अपने में नकारात्मक भाव लिए हुए है। यह शब्द किसी व्यक्ति को पूर्णतः असमर्थ/अयोग्य सिद्ध करता है — जबकि कोई भी व्यक्ति पूर्णतः निर्योग्य नहीं हो सकता। हर व्यक्ति में कुछ योग्यता / अयोग्यता, अशक्तता / सशक्ता छिपी होती है। इस दुनिया में न तो कोई पूरी तरह समर्थ है और ना ही असमर्थ। जैसे कोई व्यक्ति किसी विषय को जल्दी समझ लेता हैं लेकिन दूसरों को समझा नहीं सकता। वहीं दूसरी ओर कोई व्यक्ति किसी विषय को देरी से समझता हैं पर बहुत आसानी से दूसरों को समझा देता है। इस तरह हर व्यक्ति कुछ बातों में समर्थ है और कुछ में नहीं। शारीरिक दृष्टि से देखें तो जो व्यक्ति शरीर के किसी अंग से कमजोर या अपंग होता हैं वह अपने शरीर के दूसरे अंगों का बेहतर उपयोग कर सकता हैं और अपनी योग्यता सिद्ध भी कर सकता हैं। मेरा अपना मानना हैं कि किसी भी लिहाज़ से डिसएबल शब्द शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति के प्रयुक्त नहीं होना चाहिए।
डिफरेंटली एबल्ड
इस शब्द को देखकर ही पता चल रहा है कि यह भी एक अंग्रेज़ी शब्द है। यह 1980 के दशक में चलन में आया। इस शब्द का अर्थ होता है ‘अलग तरह से सक्षम’ — यह अपने आप में बहुत-सी बातों को स्पष्ट करता है। यह शब्द शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति को सामान्य लोगों से अलग भी कर रहा हैं और साथ ही उन्हें ‘सक्षम’ भी बता रहा है। यह शब्द दर्शाता है कि कोई भी व्यक्ति अपनी शारीरिक / मानसिक स्थिति के कारण किन्ही गतिविधियों में प्रतिबंधित हो सकता है पर अनेक प्रतिबंधों के बावजूद हर किसी में कोई-न-कोई योग्यता ज़रूर होती है। इस योग्यता को निखार कर व्यक्ति शारीरिक रूप से अक्षम होने पर भी अलग तरह से सक्षम हो सकता है।
यहाँ पर हमने शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए आमतौर पर उपयोग किये जाने वाले कुछ शब्दों के अर्थ, उनके भाव और परिभाषा बताने का प्रयास किया है। आप इन पर विचार करके शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए ऐसे शब्द का चुनाव करें जो सामाजिक परिवेश की दृष्टि से और शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों कि मन:स्थिति के अनुसार उचित हो। जो सामान्य और शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों को अलग करते हुए भी आपस में जोड़ता हो। विकलांग व दिव्यांग आदि शब्द शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों को असामान्य महसूस कराते हैं। वहीं दूसरी ओर डिफरेंटली एबल्ड शब्द शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को सामान्य लोगों से अलग भी करता है और साथ ही उन्हें सक्षम भी दर्शाता है। यह बताता है कि शारीरिक व मानसिक रूप से अक्षम व्यक्ति की समस्याएँ, ज़रूरतें, परिस्थितियाँ अलग-अलग होती हैं — लेकिन अनेक पहलुओं से वे लोग भी सामान्य लोगों जैसे ही है। अत: उनकी शारीरिक / मानसिक स्थिति के आधार पर कोई भेदभाव न कर उन्हें समाज में समान अवसर दिए जाएँ।
nice 👌👌
जो शरीर से दिव्यांग होते है, वो विचारों से विकलांग नही होते है. कोशिश करने से वो हर मुश्किल और असम्भव कार्य कर लेते है.
ईश्वर अगर कुछ छीनता है तो उसके बदले में हमें बहुत कुछ देता है. ईश्वर पर विश्वास रखे. जब आपकी कमजोरी आपकी ताकत बन जायेगी तो दुनिया का हर असम्भव कार्य कर सकते है.
इंसान की शक्ति उसकी आत्मा में होती है और आत्मा कभी विकलांग नही होता है.
बहुत अच्छी जानकारी दी आपने। 🙏
वैसे एक बात ये भी है कि, नाम में क्या रखा है। हम किसी को या तो उसके कर्मों और विचारों से पहचानते हैं या फिर अपने नजरिये से।
फिर भी, डिफरेंटली एबल्ड ठीक है लेकिन, क्योंकि ये चलन में नहीं है इसलिए जल्दी मुँह से निकलेगा नहीं। फिर भी…हमें अच्छे शब्द को चलन में लाना चाहिए।
डॉली जी,आपने बिल्कुल सही कहा नाम में क्या रखा है|
व्यक्ति की पहचान उसके कर्मों से होती है | लेकिन शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के कर्म को देखने से पहले ही लोग उनकी शारीरिक/मानसिक स्थिति के आधार पर उनके लिए एक शब्द का चयन कर लेते हैं| यह शब्द ही उनके नज़रियें का सूचक बनता है|
शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति पर इन शब्दों का बहुत गहरा असर पड़ता है| इसलिए ज़रूरी हो जाता है कि एक सही शब्द का चयन किया जायें|