सिविल सेवा परीक्षा, जिसे आम बोलचाल की भाषा में हम आई.ए.एस की परीक्षा भी कहते हैं, देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा है। यह एक ऐसी परीक्षा है जिसके परिणाम पर सबकी नज़रें होती हैं। इस परीक्षा को पास करने वालों को हमारा समाज एक प्रेरणा स्रोत के रूप में देखता है, विशेषतः तब जब वह सफल व्यक्ति ग़रीबी या विकलांगता जैसी विषम परिस्थितियों से जूझता हुआ उस मुकाम तक पहुँचा हो। हालाँकि यह बात भी सच है कि परीक्षा में उतीर्ण हुए सैकड़ों परीक्षार्थियों के बीच हम केवल चंद सफल उम्मीदवारों के नाम जान पाते हैं। मतलब यह कि हम जितने सफल लोगों के नाम जान पाते हैं वास्तव में उससे कहीं अधिक लोग हर साल इस परीक्षा को पास करके भारत के नौकरशाह बनते हैं – इन नौकरशाहों में कई विकलांग व्यक्ति भी शामिल होते हैं।
सिविल सेवा परीक्षा का संचालन करने वाली संस्था, संघ लोक सेवा आयोग (यू.पी.एस.सी.), एक समावेशी संस्था है जो विकलांग अभ्यर्थियों को बराबरी का अवसर देने के लिए प्रतिबद्ध है। आइये इस आलेख में आपको यह जानकारी देते हैं कि आई.ए.एस. की परीक्षा में विकलांग अभ्यर्थियों को बराबरी का अवसर देने के लिए किन विशेष रियायतों का प्रावधान है।
यू.पी.एस.सी. का विकलांगता मानदंड
यू.पी.एस.सी. परीक्षा में विकलांगता श्रेणी में परीक्षा देने या किसी पद के लिए योग्य होने के लिए यह सबसे ज़रूरी शर्त है कि उम्मीदवार को प्रमाणित रूप से बेंचमार्क विकलांगता की श्रेणी में होना चाहिए।
परीक्षा का फॉर्म भरते वक़्त यह आवश्यक है कि अभ्यर्थी के पास उसकी बेंचमार्क विकलांगता को प्रमाणित करता विकलांगता प्रमाण पत्र होना चाहिए। यदि किसी के पास पहले से वैध विकलांगता प्रमाण-पत्र नहीं है तो संघ ने उसके लिए प्रोफोर्मा भी दिया हुआ है जिसे भर कर केंद्र या राज्य सरकार द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड से विकलांगता को प्रमाणित कराया जा सकता है।
चूँकि हर तरह की विकलांगता को एक ही श्रेणी में रखना व्यवहारिक नहीं है, यू.पी.एस.सी. बेंचमार्क विकलांगता वाले लोगों को पाँच उप-श्रेणियों में रखता है। ध्यान रहे कि इन पाँच श्रेणियों में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 से मान्यता प्राप्त विकलांगताओं को शामिल किया जाता है।
- PwBD 1 (बेंचमार्क विकलांगता श्रेणी 1) – कम दृष्टि व दृष्टिबाधिता
- PwBD 2 (बेंचमार्क विकलांगता श्रेणी 2) – श्रवण दोष और बधिरता
- PwBD 3 (बेंचमार्क विकलांगता श्रेणी 3) – चलन सम्बन्धी विकलांगता जिसमें कुष्ठ के ठीक हुए मरीज, सेरिब्रल पाल्सी, बौनापन, तेज़ाब हमले से प्रभावित और मस्कुलर डिस्ट्रॉफी वाले व्यक्ति शामिल हैं
- PwBD 4 (बेंचमार्क विकलांगता श्रेणी 4) – ऑटिज्म, मानसिक विकलांगता, विशिष्ट ज्ञान अक्षमता और बौद्धिक अक्षमता
- PwBD 5 (बेंचमार्क विकलांगता श्रेणी 5) – श्रेणी 1 और 4 की विकलांगताओं को मिलकर हुई बहु-विकलांगता जिसमें डेफ-ब्लाइंडनेस (बधिरता और दृष्टिबाधिता का साथ में होना) भी शामिल है
यू.पी.एस.सी. परीक्षा में विकलांग अभ्यर्थियों को मिलने वाली विशेष रियायत
- 4% आरक्षण – हर विकलांगता श्रेणी को मिलाकर हर वर्ष कुल रिक्तियों का 4% विकलांग अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित होता है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि नौकरी के कार्य की माँग को देखते हुए विकलांग अभ्यर्थियों के लिए कुछ पद चिन्हित किये गए हैं और उन्हीं पदों पर विकलांग अभ्यर्थियों की भर्ती संभव है। उदाहरण के तौर पर आई.पी.एस. के पदों के लिए अधिकतर विकलांग अभ्यर्थियों का चयन व्यवहारिक नहीं होता और इन पदों पर उनकी भर्ती नहीं होती।
- वैध प्रयासों की संख्या – सामान्य (General) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के अभ्यर्थियों के लिए वैध प्रयासों की संख्या 9 है जबकि अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए ऊपरी आयु सीमा तक पहुँचने तक असीमित है। अर्थात यदि एक विकलांग व्यक्ति सामान्य या अन्य पिछड़ा वर्ग से आता है तो संघ उसे ऊपरी आयु सीमा तक पहुँचने तक में 9 बार सिविल सेवा परीक्षा में बैठने की इज़ाज़त देता है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विकलांग अभ्यर्थियों के लिए वैध प्रयासों की संख्या पर कोई रोक नहीं है।
- उम्र की सीमा – कोई भी विकलांग अभ्यर्थी 42 वर्ष की उम्र तक सिविल सेवा की परीक्षा में बैठ सकता है।
- परीक्षा के दौरान अतिरिक्त समय – सिविल सेवा परीक्षा में विकलांग अभ्यर्थियों को अतिरिक्त समय देने का भी प्रावधान है। प्रति घंटे की परीक्षा के लिए विकलांग व्यक्ति को 20 मिनट का अतिरिक्त समय दिया जाता है।
- स्क्राइब या उत्तर लेखक – ऐसे विकलांग अभ्यर्थी जो अपनी परीक्षा खुद नहीं लिख सकते उनके लिए स्क्राइब या उत्तर लेखक देने का भी प्रावधान है। कम दृष्टि वाले अभ्यर्थियों को बड़े अक्षरों में छपे प्रश्न-पत्र भी दिया जा सकता है।
[टिप्पणी: ड्यूटी के दौरान विकलांग हुए, सेवा-निवृत सैनिक/सैन्य-अधिकारीयों के लिए ऊपर लिखी गई रियायतों में कुछ फेर-बदल होते हैं]
परीक्षा उतीर्ण करने के बाद की प्रक्रिया
अभी तक हमने ऊपर जो जानकारियाँ दी वे सिविल सेवा परीक्षा का फॉर्म भरने या आवेदन करने के लिहाज़ से ज़रूरी जानकारियाँ थीं लेकिन किसी भी विकलांग अभ्यर्थी के लिए इतनी ही जानकारियाँ पर्याप्त नहीं हैं। ऊपर दी गयी जानकारियाँ आपको यह तो बताती हैं कि आप सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करने के योग्य हैं या नहीं लेकिन यह आपकी किसी पद को पाने की योग्यता को नहीं बताती।
आपके लिये यह समझना ज़रूरी है कि सिविल सेवा में ऐसा नहीं होता कि आपने प्रारंभिक, मुख्य और साक्षात्कार की सीढ़ियों को पार कर लिया तो अन्य दस्तावेज़ों समेत विकलांगता प्रमाण-पत्र जमा कर आप को नौकरी मिल जाएगी। हर विकलांग व्यक्ति को मेडिकल जाँच के अलावा एक ‘फंक्शनल एंड फिजिकल क्राईटेरिया’ को भी पूरा करना होता है। अमूमन हर साल ही ऐसा होता है कि परीक्षा की तीनों सीढ़ियाँ पार कर लेने के बाद भी कुछ विकलांग अभ्यर्थियों को किसी भी पद पर नहीं रखा जाता – वे ‘फंक्शनल एंड फिजिकल क्राईटेरिया’ में अयोग्य ठहरा दिए जाते हैं। इन दोनों मानदंडो में अभ्यर्थी की शारीरिक स्थिति और उस शारीरिक स्थिति के साथ संघ द्वारा परिभाषित कार्य करने की क्षमता का मेल बिठाया जाता है।
हम यहाँ आपको उन मानदंडों की सूचि नहीं दे सकते क्योंकि वे बहुत हद तक अस्पष्ट हैं और संघ की अधिसूचना/विज्ञापन के अनुसार बदल भी सकते हैं। किसी विकलांग अभ्यर्थी को परीक्षा परिणाम के बाद अंतिम रूप से कोई पद देना सम्बंधित सेवा नियंत्रण प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में है। यही कारण है कि सिविल सेवा परीक्षा में बैठने को इच्छुक विकलांग व्यक्ति रिक्ति के लिए निकले विज्ञापन में अपनी विकलांगता और इच्छित सेवा श्रेणी के अनुसार वांछित अहर्ता को बहुत ध्यान से पढ़ लें।
ओह! आज जाना कि यूपीएससी पास करके भी विकलांगजनों के लिए नौकरी पक्की नहीं।