सिविल सेवा परीक्षा और स्क्राइब की व्यवस्था: आपके हर सवाल का जवाब

scribe for upsc exam

स्क्राइब अथवा परीक्षाओं में सहायक लेखक एक ऐसा विषय है जिसे लेकर सभी भ्रमित से रहते हैं – चाहे वे स्क्राइब की व्यवस्था का लाभ उठाते हों या न उठाते हों। इस भ्रम में बड़ा योगदान अस्पष्ट नियमों का भी माना जा सकता है। जिन्हें स्क्राइब की आवश्यकता नहीं होती उन्हें कई बार यह व्यवस्था ग़लत भी लगती है – कुछ विकलांग व्यक्तियों को दिए जाने वाले अतिरिक्त लाभ की तरह। जिन लोगों को स्क्राइब की आवश्यकता होती है उनकी हर परीक्षा के पहले सबसे बड़ी चिंता स्क्राइब को लेकर ही होती है।

हम चाह कर भी अस्पष्ट नियमों के कारण आपको हर परीक्षा के लिए लागू कोई एक नियम नहीं बता सकते। इस आलेख में हम आपको सिविल सेवा परीक्षा अथवा यू.पी.एस.सी. के लिए निर्धारित स्क्राइब व्यवस्था के सारे नियमों से अवगत कराएँगे।

स्क्राइब व्यवस्था क्या होती है?

इससे जुड़े नियमों को समझने से पहले आइये यह समझें कि आख़िर यह स्क्राइब व्यवस्था होती क्या है? स्क्राइब शब्द हालाँकि हर जगह इसी रूप में इस्तेमाल होता है लेकिन इसका अनुवाद हम ‘सहायक लेखक’ के रूप में कर सकते हैं।

ऐसे परीक्षार्थी जो अपनी विकलांगता के कारण ख़ुद अपनी परीक्षा लिखने में असमर्थ होते हैं उन्हें परीक्षा लिखने के लिए किसी और की मदद लेने की अनुमति होती है। यह मदद करने वाले अर्थात किसी और के बदले परीक्षा लिखने वाले व्यक्ति को स्क्राइब कहते हैं।

जब हम बात करते हैं परीक्षा लिखने में असमर्थता की तो यह काफ़ी व्यक्तिपरक बात हो जाती है। आपने देखा होगा कई बार बिना हाथों वाला व्यक्ति पैरों या मुँह से लिखने के लिए ख़ुद को प्रशिक्षित कर लेता है। कई बार व्यक्ति के हाथ पैर होते तो हैं लेकिन वे इनका इस्तेमाल करने में असमर्थ होते हैं। यही कारण है कि स्क्राइब की व्यवस्था को विकलांगता की किसी ख़ास श्रेणी के लिए डिफ़ॉल्ट रूप से तय नहीं किया गया बल्कि परीक्षा का फॉर्म भरते वक़्त परीक्षार्थी को यह जानकारी देनी होती है कि विकलांगता के कारण वह परीक्षा स्वयं लिखने में असमर्थ है।

सिविल सेवा परीक्षा में स्क्राइब व्यवस्था का लाभ कौन उठा सकता है?

संघ लोक सेवा आयोग (यू.पी.एस.सी.) ने इस विषय पर एकदम स्पष्ट निर्देश दिया हुआ है। उनके निर्देश के अनुसार हम इस व्यवस्था का लाभ उठा सकने वाले परीक्षार्थियों को दो श्रेणियों में बाँट सकते हैं।

  • दृष्टिबाधिता, दोनों हाथों को प्रभावित करने वाली चलन सम्बन्धी विकलांगता और सेरिब्रल पाल्सी की बेंचमार्क विकलांगता वाले परीक्षार्थी, यदि चाहें तो, स्क्राइब व्यवस्था का लाभ उठा सकते हैं।
  • उपरोक्त श्रेणियों को छोड़ कर दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के अंतर्गत आने अन्य बेंचमार्क विकलांगता वाले परीक्षार्थी इस व्यवस्था का लाभ उठा सकते हैं, यदि उनके पास इस बात को प्रमाणित करता दस्तावेज़ हो कि अपनी विकलांगता के कारण वे लिखने में असमर्थ हैं। यह प्रमाण-पत्र सरकारी स्वास्थ्य संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक, सिविल सर्जन अथवा प्रमुख चिकत्सा अधिकारी द्वारा जारी किया गया होना चाहिए।

आपने ध्यान दिया होगा कि ऊपर दी गयी श्रेणियों (दृष्टिबाधिता, दोनों हाथों को प्रभावित करने वाली चलन सम्बन्धी विकलांगता और सेरिब्रल पाल्सी) के लिए व्यक्ति को किसी प्रमाण पत्र की ज़रूरत नहीं है। व्यक्ति बस चाह कर स्क्राइब की सुविधा ले सकता है जबकि अन्य विकलांगजन को यह प्रमाणित करना होगा कि उन्हें वास्तव में स्क्राइब की आवश्यकता है।

स्क्राइब की व्यवस्था कौन करता है?

स्क्राइब व्यवस्था और उसकी पात्रता समझने के बाद अगला प्रश्न आता है कि आख़िर आपके लिये सहायक लेखक की व्यवस्था कौन करता है? संघ लोक सेवा आयोग ने इसका फ़ैसला परीक्षार्थी पर ही छोड़ दिया है। परीक्षार्थी चाहे तो अपना स्क्राइब ख़ुद ला सकता है या फिर संघ से किसी स्क्राइब की व्यवस्था करने का अनुरोध कर सकता है।

यहाँ यह बात ध्यान देने योग्य है कि यदि किसी परीक्षार्थी ने पहले स्वयं स्क्राइब की व्यवस्था करने का विकल्प चुना और फिर बाद में संघ से किसी दूसरे स्क्राइब के लिए अनुरोध किया तो यह ज़रूरी नहीं कि उसे नया स्क्राइब मिल जाएगा। हालाँकि संघ ऐसे सभी अनुरोध पर काम करने की कोशिश करता है लेकिन अंत समय पर कई बार यह कर पाना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं हो पाता। परीक्षार्थी को इसलिए इस विषय में सोच-समझ कर ध्यान से फ़ैसला लेना चाहिए। हालाँकि परीक्षा के दिन भी स्क्राइब के न आने की स्थिति में संघ पूरी कोशिश करता है कि वक़्त रहते स्क्राइब की व्यवस्था कर दी जाये।

[नोट: परीक्षार्थी यदि अपना खुद का स्क्राइब लेकर आते हैं तो संघ उसके लिए किसी भी तरह से ज़िम्मेदार नहीं है और उसे किसी भी तरह का मुआवज़ा नहीं दिया जाएगा।]

क्या कोई भी सहायक लेखक या स्क्राइब बन सकता है?

कुल मिलाकर स्क्राइब बनने की दो ही पात्रता होती है – व्यक्ति को लिखना आना चाहिए और व्यक्ति की शैक्षणिक योग्यता परीक्षार्थी और लिखी जा रही परीक्षा से कम होनी चाहिए।

सिविल सेवा परीक्षा के मामले में स्क्राइब को कम-से-कम मैट्रिक पास होना चाहिए लेकिन उसकी शैक्षणिक योग्यता ग्रेजुएशन, जो कि सिविल सेवा परीक्षा की न्यूनतम अहर्ता है, से अधिक नहीं होनी चाहिए।

क्या किसी ग़ैर-विकलांग परीक्षार्थी को परीक्षा के वक़्त हाथ टूट जाने या ऐसी किसी दुर्घटना के कारण परेशानी होने पर स्क्राइब की मदद मिल सकती है?

स्क्राइब के सम्बन्ध में यह भी एक अक्सर पूछा जाने वाला सवाल है। वर्तमान में जो नियम लागू हैं उनके अनुसार ऐसी किसी भी स्थिति में किसी को स्क्राइब से परीक्षा लिखवाने की अनुमति नहीं है। हमने ऊपर इस बात की चर्चा की है कि यह सुविधा किन लोगों के लिए उपलब्ध है।

यहाँ यह भी बताना ज़रूरी है कि यह सुविधा किसी ऐसे बेंचमार्क विकलांगता वाले व्यक्ति को भी नहीं दी जाएगी जो विकलांगता के बावजूद लिखने में समर्थ है लेकिन परीक्षा के वक़्त दुर्घटनावश अस्थाई रूप से लिखने में अक्षम हो जाता है।

अंत में…

स्क्राइब व्यवस्था के अलावा सिविल सेवा परीक्षा में प्रति घंटे बीस मिनट का अतिरिक्त समय भी मिलता है। इस अतिरिक्त समय के लिए सभी नियम एवं शर्ते वही हैं जो स्क्राइब के लिए हैं।

ऊपर दी गयी सभी जानकारियाँ हमने संघ लोक सेवा आयोग द्वारा लिखित रूप से प्रसारित निर्देशों के अनुसार दी है। यदि आप सिविल सेवा परीक्षा में बैठे हैं और स्क्राइब की सहायता से परीक्षा लिखी है तो कृपया अपना निजी अनुभव साझा करें। इससे भावी परीक्षार्थियों को इस विषय पर अधिक स्पष्टता मिले पाएगी।

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