राजस्थान की धरती और मिटटी , जिसकी वीरता, स्वाभिमान और साहस की कहानियां भारतीय इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से अंकित हैं। राजस्थान के उसी छोटे से गांव सीकर में एक साधारण परिवार में एक बालक का जन्म हुआ। परंपरा के अनुसार यह उत्सव, हर्ष और उल्लास का समय था। समय पंख लगाकर उड़ता रहा और बालक बड़ा होने लगा, जैसे-जैसे बालक बड़ा हुआ, परिजनों को पता चला कि बालक बचपन से ही एक बीमारी से ग्रसित है और वह बीमारी थी पोलियो, माता-पिता और परिवार के सभी सदस्यों ने काफी प्रयास किया और इलाज भी करवाया, लेकिन बालक सामान्य रूप से चलने-फिरने में सक्षम नहीं हो पाया।
समय बीतता गया और बालक धीरे-धीरे बड़ा होता गया। अपनी उम्र के 15वें वर्ष में बालक ने धन कमाने की दिशा में अपना पहला कदम बढ़ाया, उसे धन की जरूरत थी और उस ज़रूरत से ज्यादा वह नई चीजें सीखना और कुछ नया करना चाहता था। उस बालक में शारीरिक विकलांगता थी, लेकिन वह विकलांगता बालक की कुछ नया करने की चाहत को कम नहीं कर सकी उसके जुनून को नहीं रोक सकी, हालांकि बालक के पास अपनी विकलांगता के कारण काम न करने के कई बहाने थे, वह चाहता तो किसी से भी सहानुभूति लेकर घर बैठ सकता था, लेकिन उस बच्चे को आगे बढ़ना था और दुनियाभर में नाम कमाना था। कुछ समय बाद उस बच्चे ने छोटी-मोटी नौकरियां करनी प्रारम्भ की, परन्तु यह नौकरी उसकी मंजिल नहीं बल्कि एक शुरुआत थी। भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है, यह कोई नहीं जान सकता। बचपन से ही उस बच्चे का एक ही जुनून था, नाम कमाना और अपने माता-पिता का नाम रोशन करना। इसी सोच और जुनून ने उसे रास्ता दिखाया और वह युवक एक अनजान दिशा, एक अनजान शहर की और बढ़ चला, जहां उसका कोई दोस्त या कोई करीबी नहीं था।
उस युवक का अगला पड़ाव बना 2003 में गुजरात राज्य का सूरत शहर। सूरत आने के बाद उस बच्चे के पास आय का कोई जरिया नहीं था, जीविकोपार्जन के लिए उस युवक ने अखबार बेचना शुरू कर दिया, अखबार बेचकर केवल 20/- ही प्रतिदिन वह अर्जित कर पाता था, सर पर कोई छत भी न थी, उसकी रातें सूरत के फुटपाथ पर गुज़रती, सूरत शहर उसके त्याग और मेहनत का गवाह है। समय तेजी से आगे बढ़ रहा था और कुछ समय बाद उस युवक की अगली मंजिल बानी रिलायंस कंपनी। 2006 में उस युवक ने रिलायंस में नौकरी करना शुरू कर दिया, लेकिन यह उसकी असली मंजिल नहीं थी। इसी तरह कुछ और अनुभव करते हुए, सीखने और नाम कमाने की चाहत ने उस युवक के कदम उसे डायरेक्ट सेलिंग और नेटवर्क इंडस्ट्री की ओर ले गए। अपने बहुमूल्य 7 साल (2007 से 2014 तक) डायरेक्ट सेलिंग उद्योग में बिताने के बाद उस युवक ने जीवन के मूल्यों को सीखा, व्यापार की परिभाषा, संचार, टीम विकास और प्रबंधन कौशल को गहराई से समझा, संघर्ष थे, कठिनाइयाँ थीं, बार-बार युवक का रास्ता रोकने के लिए बाधाएँ थीं। लेकिन यह सच है दोस्तों, जिस व्यक्ति में सकारात्मकता है, जीवन के प्रति स्वाभिमान है, आगे बढ़ने की चाह है, कोई भी बड़ी से बड़ी बाधा भी उसे विचलित नहीं कर सकती। बाधाओं और ठोकरों का सामना करते हुए, युवक अपनी मंजिल की ओर अपने जुनून के साथ आगे बढ़ता रहा। उस साहसी और जुनूनी युवक की वर्षों की मेहनत, धैर्य, साहस, त्याग और कड़ी मेहनत को देखकर शायद समय भी अब करवट लेने को तैयार था 2014 में, आतिथ्य और यात्रा उद्योग से प्रभावित हो उस युवक ने उस दिशा की और अपना रुख किया। उस युवक के लिए यह कठिन समय था जहां यात्रा उद्योग में पहले कई बड़े दिग्गज उपस्थित थे। लेकिन उस युवक के इरादे नहीं डगमगाये, क्योंकि उसका लक्ष्य, उसकी मंजिल हर पल उसकी आँखों के सामने थी। SvdaaTripp (Svdaa Hospitality Services Pvt. Ltd.) के नाम से उनकी पहली कंपनी की नींव रखी गई और कुछ ही समय में अपनी दूरदर्शिता, अपने व्यवहार, अपनी सूझबूझ से SvdaaTripp ने पूरी दुनिया में कॉर्पोरेट, B2C, D2C और D2D बिजनेस में अपनी पहचान बना ली। उसका नाम प्रमुख उद्यमियों की सूची में दर्ज हो गया। लोग उस युवक का नाम जानने और पहचानने लगे। उस युवक का नाम था सुभाष रामदीन प्रजापति।
कहते हैं न, जब सूर्य उदय होता है उसे किसी को बताने की ज़रूरत नहीं पड़ती, सूर्य की रौशनी और किरणें अपने आप ही दुनिया से अंधकार को दूर कर उजियारा फैलाती हैं। और यहीं से भारतीय व्यापार के गलियारों में एक नए सूर्य का उदय हुआ। सुभाष रामदीन प्रजापति, जिनकी दूरदर्शिता, जुनून और कुछ बड़ा करने की चाहत ने एक साधारण परिवार में जन्मे युवक को आसमान की बुंलदियों तक पहुंचाने के सभी रास्ते रोशन कर दिए, वो लड़का जो अखबार बेचकर प्रतिदिन 20 रुपये अर्जित कर पाता था, अब उस युवक का सुभाष रामदीन प्रजापति का वार्षिक टर्नओवर करोड़ों रुपये को पार कर गया था। परन्तु यह केवल एक पड़ाव था, कुछ आराम करने का समय था। सुभाष रामदीन प्रजापति नामक सूर्य अपने प्रकाश से दुनिया को रोशन करने के लिए तैयार था। आज के इस युग में व्यक्ति क्षेत्र में अपने लिए संभावनाएँ तलाशता है परन्तु, दुनिया को अपने नजरिए से देखना, नयी संभावनाएँ बनाना, यही सुभाष रामदीन प्रजापति का मकसद था, अब वह सफलता की नई राह बनाने की कला में पारंगत हो चुके थे।
जैसे दुनिया में एक आम आदमी नौकरी या व्यापार की संभावनाएँ तलाशता है, वैसे ही सुभाष रामदीन प्रजापति ने अपने आपको नयी संभावनाएँ बनाने में एवं, जिस भी क्षेत्र में कदम रखें, वहां एक नया सूरज बनकर प्रकाश करने में महारत हासिल कर ली थी। सीखने का उनका जुनून अभी भी कम नहीं हुआ था। नया सीखने की यही चाहत उन्हें रहस्मयी विज्ञान की ओर ले गई। उन्होंने अंक ज्योतिष और वास्तु शास्त्र के क्षेत्र में भी अपनी पहचान दर्ज कराई, एक अभूतपूर्व छाप छोड़ी। उनकी सीखने की प्रक्रिया और जिज्ञासा ने उन्हें रहस्यमयी विज्ञान का नया उभरता सितारा बना दिया, आज लाखों लोग उनसे अंक ज्योतिष और वास्तु शास्त्र की सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं और जीवन में सफलता के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन दोस्तों, यह उनकी आखिरी मंज़िल नहीं है, बल्कि उस काबिल, समर्पित, मेहनती सुभाष रामदीन प्रजापति के कुछ क़दमों के निशाँ थे जिन्होंने हिम्मत और धैर्य से अपनी अलग पहचान बनाई और एक अमिट छाप छोड़ी। लेकिन असली मंजिल अभी कुछ दूर थी।
न्यूमेरोलॉजी, वास्तु शास्त्र में सुभाष रामदीन प्रजापति का नाम अब विश्व स्तर पर लिया जाने लगा था, उनकी अंक शास्त्र गणना एवं सटीक आकलन ने उनकी उपस्थिति दूर देशों में भी दर्ज कराई। इसी प्रकार सफलता की राह पर लगभग 9 वर्ष और बीत गए। कुछ नया करने का जज्बा और जुनून भी अब और भी जोर पकड़ चुका था, यह जूनून कॉर्पोरेट इंडस्ट्री की दुनिया में एक और गवाह बनने को तैयार था। सन 2023 में श्री राम नवमी के पावन अवसर पर सुभाष रामदीन प्रजापति ने एक और कंपनी Navyara Fashion की शुभ शुरआत की, उनकी बुद्धिमत्ता, पैनी नज़र और अनुभव ने बहुत जल्द ही Navyara को आर्टिफिशियल फैशन ज्वैलरी फैशन की दुनिया में शीर्ष स्थान पर पहुंचा दिया। आज Navyara के दुनियाभर में लाखों ग्राहक हैं, जो Navyara के उत्पादों और सेवाओं से बेहद प्रभावित हैं। शारीरिक अपंगता होने के बावजूद सुभाष रामदीन प्रजापति ने जिस मुकाम को हासिल किया वह सरल नहीं था, प्रत्येक नवयुवक आज उनसे मिलना चाहते हैं, उन्हें अपना आदर्श मानते हैं और उनके जैसा बनना चाहते हैं। वह लाखों लोगो की आज प्रेरणा बन गए हैं।
दोस्तों, यह कोई कहानी नहीं बल्कि एक सच्ची घटना है। एक ऐसी घटना जिसके कई गवाह हैं। सबसे बड़ा दुर्भाग्य, भारत जैसे सफल, संपन्न देश में कोई भी निजी संस्थान अपाहिज व्यक्तियों को नौकरी नहीं देते, उन्हें पर्याप्त सम्मान नहीं मिलता जिसके वो हकदार हैं, उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है, कोई उनका हाथ पकड़ने आगे नहीं आता, यहाँ तक कि ऐसे व्यक्ति के परिवारजन भी उसे एक बोझ समझ लेते हैं। यह सुभाष रामदीन प्रजापति ने अपने जीवन में अच्छे तरीके से अनुभव किया। सुभाष रामदीन प्रजापति ने कहा अपनी इस अभूतपूर्व सफलता के लिए वो अपनी सच्चाई, ईमानदारी, प्रतिबद्धता एवं मेहनत को इसका श्रेय देते हैं, इन्हीं मूल्यों की बदौलत आज उन्होंने इतनी बड़ी सफलता अर्जित की। परन्तु यह श्री सुभाष रामदीन प्रजापति जी की आखिरी मंजिल नहीं है, यह एक मील का पत्थर है, उन्हें और भी कई मील के पत्थर अभी स्थापित करने हैं। वह सफलता की और भी नई मिसालें पेश करने की तैयारी कर रहे हैं जो दशकों तक सभी के दिलों पर अपनी छाप छोड़ेगी। आज वह व्यस्त हैं सफलता की एक नई अविश्वसनीय कहानी लिखने में, बहुत जल्द हम उस नई गाथा, नई बुलंदी के बारे में जानेंगे।
Great subhash ji I am proud of you.
दिल से सलाम श्री सुभाष जी को, अपंगता के बावजूद उन्होंने इतनी बड़ी सफलता अर्जित की. दिल से सलाम.
धन्यवाद ललित जी इतनी सुंदर प्रेरणादायक व्यक्तित्व के बारे में हमें बताने के लिए.
अपने जीवन की डिक्शनरी से “दिव्यांग” और “विकलांग” शब्द निकाल दे. और दुनिया को दिखा दो आप वो कर सकते है जो सभी करते है.
धन्यवाद ललित जी आपने काफी अच्छा लिखा है
आपका प्रयास व्यक्ति समाज और देश के लिए बहुत ही लाभकारी है। आप देश के सच्चे मार्गदर्शक हैं कोटि कटि आभार