पेरिस पैरालंपिक 2024 का समापन हो गया है। भारत ने इस पैरालंपिक खेल में अद्भुत प्रदर्शन किया। इस भव्य समारोह में भारत के खिलाड़ियों ने विश्व पटल पर अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों से लिखवा दिया है। हमारे खिलाड़ियों के सामने लाख बाधाएँ थी, पता नहीं किन-किन चीज़ो का अभाव था लेकिन मजाल थी जो उन्हें किसी भी बाधा ने मुश्किल में डाला हो। उन्होंने मुश्किलों को अवसर में बदला और एक के बाद एक कठिनाइयों को पार करते हुए देश के लिए 29 मेडल आकर देशवासियों का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है।
बैडमिंटन (5 पदक)
सबसे पहले बात करते है बैडमिंटन खेल की। पैरालंपिक में बैडमिंटन खेल को 6 श्रेणियों में बाँटा गया है जो है WH1, WH2, SL3, SL4, SU5 और SH6 श्रेणी। इन सभी श्रेणियों में महिला व पुरुष दोनों भाग ले सकते है। बैडमिंटन को व्हीलचेयर पर और खड़े होकर – दोनों तरह से खेला जाता है।
व्हीलचेयर पर खेलने वाले खिलाड़ियों को WH श्रेणी में रखा गया है।
WH1 बैडमिंटन
इस श्रेणी में उन खिलाड़ियों को रखा जाता है जिनके पैरों के साथ-साथ कमर के मध्य का हिस्सा भी बहुत अधिक प्रभावित होता है। इस श्रेणी ऐसे खिलाड़ी भाग लेते है जिनकी मूवमेंट व्हीलचेयर के द्वारा ही संभव होती है।
इस श्रेणी में वे खिलाड़ी शामिल होते है जो शरीर के एक तरफ़ वाले हिस्से से विकलांग हैं, पोलियो से प्रभावित खिलाड़ी हैं और पैराप्लेजिक खिलाड़ी जिनके दोनों पैरों के साथ-साथ कमर वाला हिस्सा जिसमें bladder-bowel शामिल होते है प्रभावित होते हैं और खिलाड़ियों को खेलने के लिए व्हीलचेयर का प्रयोग करना होता है।
WH1 श्रेणी के खिलाड़ी खेल के दौरान हाफ़ कोर्ट का इस्तेमाल करते हैं।
WH2 बैडमिंटन
WH2 इस श्रेणी में उन खिलाड़ियों को शामिल किया जाता है जिनके पैर और कमर के मध्य का हिस्सा WH1 खिलाड़ियों की तुलना में कम प्रभावित होते हैं। ये खिलाड़ी भी गति के लिए व्हीलचेयर का प्रयोग करते हैं।
WH2 के खिलाड़ी भी खेल के लिए हाफ़ कोर्ट का इस्तेमाल करते हैं।
SL3 बैडमिंटन
इस श्रेणी में उन खिलाड़ियों को शामिल किया जाता है जो खड़े होकर बैडमिंटन खेलते है लेकिन इनमें चलन संबंधी समस्या ज्यादा होती है। ऐसे खिलाड़ी जिनको मूवमेंट करने में काफ़ी दिक्क़तों का सामना करना पड़ता है उनको इस श्रेणी में रखा जाता है।
SL3 श्रेणी में खेलने वाले खिलाड़ी भी हाफ़ कोर्ट का इस्तेमाल करते हैं।
SL4 बैडमिंटन
इस श्रेणी में उन खिलाड़ियों को रखा जाता है जो खड़े होकर खेलते है और उनको बहुत कम चलन संबंधी समस्या होती है।
SL4 के खिलाड़ी खेलने के लिए पूरे कोर्ट का इस्तेमाल करते हैं।
SU5 बैडमिंटन
इस श्रेणी में उन खिलाड़ियों को खिलाया जाता है जो खड़े होकर खेलते है और उन्हें किसी भी प्रकार की चलन सम्बन्धी समस्या नहीं होती है लेकिन उन्हें शरीर के ऊपर वाले हिस्से (हाथों) में विकलांगता होती है। SU5 श्रेणी के खिलाड़ी पूरे कोर्ट का इस्तेमाल करते हैं।
SH6 बैडमिंटन
इस श्रेणी में उन खिलाड़ियों को रखा गया है जिनका कद छोटा होता है। ये खिलाड़ी भी खेल के लिए पूरे कोर्ट का प्रयोग करते हैं।
मिक्स टीम के लिए बैडमिंटन खेल के नियम
व्हीलचेयर पर खेलने वाले खिलाड़ियों की जोड़ी के लिए योग 3 होना चाहिए। जैसे WH1 + WH2 यहाँ योग 3 हो रहा है तो केवल यही एक जोड़ी बन रही है।
WH1-WH1 और WH2-WH2 मिक्स डबल्स में जोड़ी नहीं बना सकते है क्योंकि यहाँ योग 3 से कम या 3 से ज्यादा बन रहा है। और व्हीलचेयर पर मिश्रित में खेलने के लिए केटेगरी का योग 3 चाहिए। डबल्स में पूरे कोर्ट का प्रयोग किया जाता है।
खड़े होकर खेलने वाले खिलाड़ियों के लिए योग 8 होना चाहिए।
SL3 + SL5 की जोड़ी मिश्रित डबल्स में खेल सकती है।
SL4 + SL4 यहाँ भी योग 8 हो रहा है तो यह भी एक जोड़ी बन जायेगी। यहाँ भी खेल के लिए पूरे कोर्ट का इस्तेमाल होता है।
SH6 के दो खिलाड़ी मिश्रित के लिए जोड़ी बनाकर खेल सकते है और खेल के लिए पूरे कोर्ट का इस्तेमाल किया जाता है।
खिलाड़ी जिन्होंने पेरिस पैरालंपिक 2024 में बैडमिंटन में पदक जीते हैे:
पुरुष खिलाड़ी
1. नितेश कुमार (SL3)… स्वर्ण पदक
2. सुहास याथिराज (SL4)… रजत पदक
महिला खिलाड़ी
1. तुलसीमथी मुरुगेसन (SU5)… रजत पदक
2. मनीषा रामदास (SU5)… काँस्य पदक
3. नित्या श्री सुमति सिवान (SH6)… काँस्य पदक
तीरंदाजी (2 पदक)
पैरालंपिक में तीरंदाजी खेल व्हीलचेयर पर और खड़े होकर खेला जाता है। तीरंदाजी के लिए दो प्रकार के धनुष का प्रयोग होता है: कम्पाउंड और रिकर्व।
रिकर्व तीरंदाज 70 मीटर की दूरी से 122 सेंटीमीटर व्यास वाले जबकि कम्पाउंड तीरंदाज 50 मीटर की दूरी से 80 सेंटीमीटर व्यास वाले लक्ष्य पर निशाना लगाते हैं।
खेल को एकल और टीम बनाकर दोनों प्रकार से खेला जाता है।
तीरंदाजी में पेरिस पैरालंपिक 2024 में पदक लाने वाले खिलाड़ी
1. हरविंदर सिंह (रिकर्व)… स्वर्ण पदक
हरविंदर सिंह देश के पहले ऐसे खिलाड़ी है जिन्होंने तीरंदाजी में गोल्ड मेडल हासिल किया है।
2. शीतल देवी और राकेश कुमार (कम्पाउंड)… काँस्य पदक
शीतल देवी जम्मू कश्मीर की रहने वाली 17 साल की एक युवा लड़की है। दोनों हाथों के न होते हुए भी उन्होंने तीरंदाजी को चुना। शीतल देवी विश्व की पहली ऐसी पैरा तीरंदाज है जो बिना हाथों के तीरंदाजी करती है। शीतल देवी अपने एक पैर के अंगूठे और ऊँगली के सहारे तीर को धनुष की डोरी पर सेट करती हैं और फिर अपने मुँह से धनुष की डोरी को कंधे से बंधे हुक से जोड़ती है। पैर और कंधे को विपरीत दिशा में खींचकर धनुष को सीधा करती है और एकाग्रचित्त होकर निशाना साधती है।
शूटिंग (4 पदक)
पैरालंपिक शूटिंग को 2 श्रेणियों में बाँटा जाता है SH1 और SH2
SH1 श्रेणी में खिलाड़ी पिस्तौल और राइफल दोनों से निशाना लगाते है। इस श्रेणी के खिलाड़ी राइफल का वज़न अपने हाथों पर उठा सकते है, उन्हें किसी प्रकार के स्टैंड की आवश्यकता नहीं होती है।
जबकि SH2 श्रेणी में खिलाड़ी केवल राइफल का प्रयोग करके निशाना लगाते है। इस श्रेणी के खिलाड़ी राइफल का वज़न अपने हाथों पर नहीं ले सकते जिसके कारण उन्हें राइफल के लिए स्टैंड की आवश्यकता होती है।
पेरिस पैरालंपिक 2024 में देश के लिए शूटिंग में पदक लाने वाले खिलाड़ी
पुरुष
1. मनीष नरवाल, 10m एयर पिस्तौल SH1… काँस्य पदक
महिला
1. अवनि लेखरा, एयर राइफल स्टैंडिंग SH1… स्वर्ण पदक
2. मोना अग्रवाल, एयर राइफल स्टैंडिंग SH1… काँस्य पदक
3. रुबीना फ्रांसिस, 10m एयर पिस्तौल SH1… काँस्य पदक
अवनि लेखरा देश की पहली महिला खिलाड़ी बन गई है जिनके पास दो पैरालम्पिक स्वर्ण पदक हैं।
जूड़ो (1 पदक)
कपिल परमार (पुरुष J1 60kg)… काँस्य पदक
J1 श्रेणी उन एथलीटों के लिए है जिनकी दृश्य गतिविधि न के बराबर या बहुत कम है। इस श्रेणी में एथलीट लाल घेरे पहनते हैं जो यह संकेत देते हैं कि उन्हें प्रतियोगिता से पहले, उसके दौरान और बाद में निर्देशित सहायता की आवश्यकता हो सकती है।
कपिल परमार देश के पहले ऐसे खिलाड़ी बन गए है जिन्होंने किसी भी ओलंपिक खेल में देश के लिए जूड़ो में पदक जीता है।
एथलेटिक्स (17 पदक)
इस बार देश के 17 खिलाड़ियों ने पैरालंपिक एथलेटिक्स में भारतीय झंडे को लहराया है। ट्रैक और फील्ड में देश के लिए पदक लाने वाले खिलाड़ी हैं:
1. सुमित अंतिल: पुरुष भाला फेंक F64… स्वर्ण पदक
सुमित देश के पहले ऐसे पुरुष खिलाड़ी बन गए है जिन्होंने दो पैरालंपिक स्वर्ण पदक अपने नाम किये हैं।
2 नवदीप सिंह: पुरुष भाला फेंक: F41… स्वर्ण पदक
3 प्रवीण कुमार: पुरुष हाई जम्प T64… स्वर्ण पदक
4. धर्मबीर: पुरुष क्लब थ्रो F51… स्वर्ण पदक
5. निषाद कुमार: पुरुष ऊंची कूद T47… रजत पदक
6. योगेश कथुनिया: पुरुष डिस्कस थ्रो F56… रजत पदक
7. शरद कुमार: पुरुष ऊंची कूद T63… रजत पदक
8. अजीत सिंह यादव: पुरुष भाला फेंक F46… रजत पदक
9. सचिन खिलारी: पुरुष शॉट पुट F46… रजत पदक
10. प्रणव सूरमा: पुरुष क्लब थ्रो: F51… रजत पदक
11. प्रीति पाल: महिला 100 मीटर T35… कांस्य पदक
12. प्रीति पाल: महिला 200 मीटर T35… कांस्य पदक
13. दीप्ति जीवनजी: महिला 400 मीटर T20… कांस्य पदक
14. मरियप्पन थंगावेलु: पुरुष ऊंची कूद T63… कांस्य पदक
15. सुंदर सिंह गुर्जर: पुरुष भाला फेंक F46… कांस्य पदक
16. होकाटो होटोझे सेमा: पुरुष शॉट पुट F57… कांस्य पदक
17. सिमरन शर्मा: महिला 200 मीटर T12… कांस्य पदक
हमारे पैरालंपिक खिलाड़ियों ने साबित कर दिया कि अगर उन्हें थोड़ा-सा समर्थन दिया जाए, सुविधाएँ दी जाएँ तो वो भी अवसाद को अवसर में बदलने को तैयार हैं। आज विकलांगजन देश के साथ प्रत्येक क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर चलने को तैयार है। विकलांगजन चाहे शारीरिक रूप से कमजोर है लेकिन उन्होंने पैरालंपिक के कई खेलों जैसे शूटिंग, आर्चरी आदि में पदक लाकर साबित कर दिया कि वे मानसिक रूप से मज़बूत और एकाग्र हैं।
Bahut accha bahut gyanvardak