भारत में विकलांगजन के कानूनी अधिकार

equal rights for persons with disabilities

विकलांगजन को भारत में कहीं किसी आधारभूत संरचना में सुगम्यता नज़र आ जाए तो हम उस संस्था और उस व्यक्ति के लिए कृतज्ञ महसूस करने लगते हैं — जबकि सुगम्यता विकलांगजन का कानूनी अधिकार है। इसके विपरीत कहीं हमारे अधिकारों का हनन हो तो हम उसे अपनी क़िस्मत या विकलांगता का फल मान कर चुपचाप स्वीकार कर लेते हैं। अक्सर ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि न तो हम अपने कानूनी अधिकारों से परिचित हैं ना ही हमें अपनी बात को दृढ़ता से रखना सिखाया गया है।

विकलांगजन की इस चुप्पी को तोड़ने का पहला कदम है उन्हें उनके अधिकारों से परिचित कराना। तो आइये आज आपको बताते हैं कि भारत में विकलांगजन को क्या कानूनी अधिकार दिए गए हैं।

विकलांगजन और सामान्य नागरिक अधिकार

विकलांगजन के कानूनी अधिकार के उल्लेख से आपके मन में शायद यही बात आई होगी कि हम ‘दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016’ की बात करेंगे। चूँकि वह विशेषतः विकलांगजन के लिए बनाया गया है; सो हम उसकी तो बात करेंगे ही लेकिन सिर्फ़ वही एक अधिनियम नहीं है जहाँ आपके अधिकारों की बात है। याद रखिये कि अपनी विकलांगता के बावजूद आप सबसे पहले एक भारतीय नागरिक हैं और भारतीय नागरिकों को दिए गए सारे कानूनी अधिकार आपके अधिकार भी हैं।

कुछ नागरिक अधिकारों को हम नीचे सूचीबद्ध कर रहे हैं। ध्यान रहे कि यह सूची पूर्ण नहीं है — इनके अलावा भी अधिकार हैं जो आपको भारत के नागरिक की हैसियत से प्राप्त हैं।

  • बराबरी का अधिकार
  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
  • शोषण के खिलाफ़ अधिकार
  • अंतरात्मा की स्वतंत्रता; अपने धर्म के पालन का अधिकार
  • अपनी संस्कृति, भाषा या लिपि के संरक्षण का अधिकार
  • अपने अधिकारों की रक्षा के लिए संवैधानिक उपचार का अधिकार
  • 18 वर्ष के हो जाने पर मतदान का अधिकार
  • शिक्षा का अधिकार; सरकार द्वारा संचालित या अनुदान प्राप्त कोई भी शैक्षणिक संस्थान आपको आपकी विकलांगता के आधार पर दाखिला देने से मना नहीं कर सकती। 6 वर्ष से 14 वर्ष की उम्र तक के बच्चों के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है।
  • आपको आपकी आजीविका के लिए कोई भी व्यवसाय या नौकरी करने का अधिकार है। यदि आप किसी काम के लिए पात्र हैं, आपके पास सभी ज़रूरी डिग्री, सर्टिफिकेट और कौशल हैं तो मात्र आपकी विकलांगता के आधार पर आपको अस्वीकार नहीं किया जा सकता।
  • हर आम नागरिक की तरह विकलांग व्यक्ति को भी पैतृक संपत्ति का उतराधिकारी होने का अधिकार है।
  • आपको अपना जीवन साथी चुनने और उचित विवाह कानून के अंतर्गत विवाह करने का अधिकार है।

टिप्पणी 1: यदि किसी व्यक्ति को ऐसी मानसिक विकलांगता हो जिसे चिकित्सकीय रूप से पागलपन कहा जा सके तो उसके अधिकारों का परिसीमन किया जा सकता है। ऐसे मामलों में व्यक्ति के सारे अधिकार आम नागरिक जैसे नहीं होंगे।

टिप्पणी 2: गंभीर विकलांगता के मामले में भी आपके अधिकारों पर कुछ रोक लगाई जा सकती है जैसे कि अल्पवयस्क संरक्षकता अधिनियम के तहत ऐसा व्यक्ति किसी बच्चे का संरक्षक नहीं हो सकता/सकती यदि उसकी विकलांगता इतनी अधिक है कि वह व्यवहारिक रूप से ये ज़िम्मेदारी न उठा सके।

विकलांग व्यक्तियों के लिए विशेष कानूनी अधिकार

अब तक आप यह समझ चुके होंगे कि आम नागरिक को दिए गए सभी कानूनी अधिकार विकलांग व्यक्तियों के लिए भी हैं। अब चलिए बात करते हैं कुछ ऐसे अधिकारों के विषय में जो विशेष रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए कानून में जोड़े गए हैं।

आयकर रियायतें

  • अनुभाग 80DD – विकलांग व्यक्ति के इलाज और पुनर्वास आदि जैसे कार्यों में कोई बाधा न आये या परिवार पर अतिरिक्त बोझ न पड़े इसलिए अनुभाग 80DD के अंतर्गत आयकर में छूट का प्रावधान है। गौरतलब है कि इस रियायत के लिए कोई ऐसा व्यक्ति ही दावा कर सकता है जिस पर कोई विकलांग व्यक्ति आश्रित हो।
  • अनुभाग 80U – आयकर अधिनियम के इस अनुभाग में विकलांग करदाताओं के लिए कुछ विशेष रियायत का प्रावधान किया है।

अन्य रियायतें और सरकारी लाभ

  • केंद्र व राज्य सरकारें विकलांग व्यक्तियों की यात्रा को सुलभ बनाने के लिए रेल, बस आदि के किराये में रियायत देती हैं। ये लाभ अलग-अलग राज्यों या जिलों में अलग हो सकते हैं और सरकारी आदेश पर घट या बढ़ सकते हैं।
  • शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए संशोधित की गई गाड़ियों पर पूरे देश में निःशुल्क फ़ास्टैग के माध्यम से टोल पर छूट दी जाती है
  • एन.एच.एफ़.डी.सी. या अन्य ऐसी सरकारी संगठनों के माध्यम से सरकार विकलांग व्यक्तियों को पढ़ने और स्वरोजगार करने के लिए कम दरों पर ऋण मुहैया कराया जाता है।
  • विकलांग छात्रों के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कई विशेष छात्रवृत्ति योजनाएँ भी चलायी जाती हैं जो देश या विदेश में शिक्षा ग्रहण करने के लिए दी जाती है।
  • विकलांग व्यक्तियों के लिए लगभग हर राज्य में विकलांगता पेंशन की कोई न कोई योजना लागू है जो वित्तीय रूप से कमज़ोर विकलांग व्यक्तियों की सहायता के लिए दी जाती है।

अन्य विशेष कानूनी अधिकार

  • किसी भी विकलांगता के कारण परीक्षा लिखने में असमर्थता या अति-कठिनाई के मामलों में विकलांग उम्मीदवारों को अतिरिक्त समय या स्क्राइब (सहयोगी लेखक) या दोनों लेने का अधिकार है। (वास्तविक सुविधा विकलांगता के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करेगी)
  • किसी भी सरकारी या अर्ध-सरकारी विभाग में नौकरी के लिए विकलांग व्यक्तियों के लिए 4% का आरक्षण है। कार्यस्थल पर विकलांग कर्मचारियों के लिए ‘तर्कसंगत अनुकूलन’ अर्थात कार्यस्थल को सुगम्य बनाने का भी प्रावधान है।

दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 द्वारा प्रदान किये गये अधिकार

  • बराबरी और भेदभाव से सुरक्षा का अधिकार।
  • गरिमा के साथ समुदाय में रहने का अधिकार।
  • प्रजनन का अधिकार; जबरदस्ती किसी चिकित्सकीय बांझपन की प्रक्रिया नहीं थोपी जा सकती।
  • मतदान का अधिकार; मतदान केंद्र का सुगम्य होना चुनाव आयुक्त की ज़िम्मेदारी है।
  • हिंसा, शोषण, अपमानजनक या क्रूर व्यवहार से सुरक्षा का अधिकार।
  • सम्मति का अधिकार; विकलांगजन की सम्मति के बगैर उन्हें किसी शोध का हिस्सा भी नहीं बनाया जा सकता।
  • किसी भी प्राकृतिक आपदा या आपात स्थिति में संरक्षण का अधिकार।
  • किसी सेवा में रहते हुए विकलांग होने की स्थिति में कर्मचारी को बर्खास्त नहीं किया जा सकता। ज़रूरत के मुताबिक उसकी ज़िम्मेदारी बदली जा सकती है लेकिन वेतनमान कम नहीं किया जा सकता।
  • बेंचमार्क विकलांगता वाले विद्यार्थियों को 18 की उम्र तक किताबें और अन्य शिक्षण सामग्री मुफ़्त दी जानी चाहिए।
  • उच्च शिक्षा के लिए सरकारी और सरकार से अनुदान प्राप्त संस्थानों में विकलांग विद्यार्थियों के लिए 5% का आरक्षण।
  • हर प्रतिष्ठान को अनिवार्य रूप से समान अवसर नीति बनानी होगी और इसे मुख्य या राज्य आयुक्त के पास पंजीकृत कराना है। साथ ही विकलांग कर्मचारियों के लिए शिकायत निवारण अधिकारी को नियुक्त करना अनिवार्य है।
  • विरासत और संपत्ति का अधिकार, अपने वित्तीय मामलों के प्रबंधन का अधिकार।
  • अपने कानूनी निर्णय लेने का अधिकार।

अंत में…

यह सत्य है कि विश्व के हर कोने में विकलांग व्यक्तियों को भेदभाव, मानवाधिकार के उल्लंघन जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है। लेकिन, किसी भी अन्याय या अधिकारों के हनन को चुपचाप सह लेने से यह अनीतियाँ बढ़ती ही हैं। देश और समाज को सकारात्मक रूप से बदलने के लिए यह ज़रूरी है कि हम अपने अधिकारों को लेकर मुखर हों। आपको आपके अधिकारों की जानकारी देकर हमने अपनी तरफ़ से पहला कदम लिया है। अब दूसरा कदम मज़बूती से उठाने की बारी आपकी है। कहीं भी, किसी के भी सामने अपने अधिकारों का हनन स्वीकार न करें बल्कि बेझिझक अपने अधिकारों की बात करें।

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Vikas
Vikas
1 year ago

Nice work 👌👌👌

Ashish Paul
Ashish Paul
9 months ago

महाशय मैं धनबाद जिले के प्रधानखंता में रहता हूं । मेरे घर के दरवाजे से लगभग 2 फीट की दूरी पर रेलवे की जमीन है अभी रेलवे फ्रंट कोरीडोर के लिए उस जमीन पर बाउंड्री वाल बना रही है, जिससे मेरे घर से निकलने का रास्ता बंद हो जाएगा और मैं घर में एक तरह से कैद हो जाऊंगा मैं 80% दिव्यांग हूं मुझे समय-समय पर इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाना पड़ता है, ऐसे में माया सरकार से ना निकाल पाऊं तो इलाज के लिए कैसे जा पाऊंगा। किसी स्थिति में जरूरत पड़ने पर मेरी मदद के लिए भी कोई नहीं आ पाएगा, मैं समस्त रेलवे अधिकारियों और ह्यूमन राइट कमीशन में भी अपील की थी मगर रेलवे का अधिकारी मिलने आए पर कोई समाधान नहीं कर पाए। कृपया मेरी मदद करने की कृपा करें और कम से कम 10 फुट की रास्ता दिलाने का कृपा करें जिससे एक एंबुलेंस घर तक आ सके।

Sunil
Sunil
3 months ago

Is there a retirement age rule for disabled government employees?

Purnima
Purnima
3 months ago

मैं पूर्णिमा कुमारी 79 %दिव्यांग हूँ मुझे मसकूलर डिस्ट्रॉफी की बीमारी है चलने फिरने मे असमर्थ हूँ
मुझे डॉक्टर ने फिजियोथेरेपी करने को कहाँ मेरे पापा रिटायरमेंट है उनको पेंशन मिलती है उससे घर का गुजारा चलता है इसलिए मेरे फिजियोथेरेपी का खर्चा उठाने मे असमर्थ है कृपया करके मेरी आर्थिक मदद कीजिए

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