दंगा

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इस देश में कोई बिना मतलब कुछ भी बोल देता है और फिर दंगे हो जाते हैं। भड़की भीड़ से खतरनाक कुछ नहीं होता, टिड्डी दल की तरह ये राह की सब चीजों को बर्बाद करते चलती है। ऐसी भीड़ में वही लोग होते हैं जो सोचने-समझने की ताकत उस समय के क्षणिक काल में गंवा चुके होते हैं। सही-ग़लत का विचार त्याग कर ही किसी हिंसक भीड़ का हिस्सा हुआ जाता है। जब उन्हें होश आता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है, किसी वार या लाठीचार्ज की चोट उन्हें विकलांग व्यक्तियों की श्रेणी में ला चुकी होती है। ये जो घायल होते हैं दंगों में ज्यादातर ऐसे ही घायल हुए होते हैं। ऐसी भड़क किस काम की कि फिर आप किसी काम के न रह जाएँ? जिसने भड़काया वो तो कई सुरक्षा परतों में मौज कर रहा है और आपकी ज़िंदगी व्हीलचेयर या बेड तक सिमट गई। कान पर वार लगा तो सुनने की क्षमता गई, आँख पर चोट लगी तो रोशनी ही मुँह मोड़ गई। उसका क्या गया, जिसके बयानों से भड़क कर दंगे का हिस्सा हुए या बने होते हैं? अब विकलांगता को स्वीकारते हुए अपने जैसे अनेक लोगों को दंगा करने या किसी बयानबाजी पर भड़कने से रोकिए। ज़िंदगी है – तो वो मुद्दा या शय है जिसको लेकर दंगा हुआ। ज़िंदगी ही नहीं रहेगी तो वो मुद्दा या महत्वपूर्ण चीज भी महत्त्वमहत्वहीन हो जाएगी।

थमी-सी ज़िंदगी जीते विकलांग लोग कभी नहीं भड़कते होंगे, ऐसा नहीं है। लेकिन उनके पास समय ही इतना होता है कि क्षण भर के लिए छूटा उनका विवेक उनके हिंसक भीड़ का हिस्सा बनने से पहले लौट आता है। कुछ उनके आसपास के लोग उन्हें यह कहकर रोक लेते हैं कि दंगा हुआ तो तुम्हारे पास खोने को केवल ज़िंदगी ही है उसे किसी और काम में खर्च करो।

एक स्वस्थ, आत्मनिर्भर ज़िंदगी से बढ़कर कोई भी चीज, स्थान, सामान या भगवान भी महत्वपूर्ण कैसे हो सकता है? जबकि भगवान, अल्लाह, रब, गॉड जो सृष्टि के प्रत्येक प्राणी के रक्षक हैं, हम उन्हीं की रक्षा में उनका सबसे कीमती तोहफा अपना शरीर कैसे खराब कर सकते हैं? कोई और प्राणी तो ऐसा नहीं करता। हम इंसान इस पृथ्वी के सबसे बुद्धिमान जीव हैं या सबसे बुद्धिहीन प्राणी? दंगा करने से किसी की रक्षा नहीं होती केवल जन और अंग क्षति ही होती है। हमारे अंगों की खाद और हमारे रक्त से इन नेताओं और भविष्य के नेताओं के राजनीति वृक्ष को हम कब तक पोषित करते रहेंगे? बेरोजगार युवा दंगे में शामिल होकर कब तक विकलांग बनते रहेंगे?

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Anil Kumar
Anil Kumar
6 days ago

दंगा कोई यकायक होने वाली घटना नहीं है..इसके पीछे बहुत से कारक जिम्मेदार होते हैं..बंधु..
आप जिन्ना के Direct action day के विषय में जानते hi होगे..😑

Manjit singh
Manjit singh
5 days ago

बहुत ही सुंदर विचार उजागर किये गए हैं लेख में आम तौर पर देश वासी बोलने की सभी मर्यादा भूल चुके है सहन शक्ति भी ख़तम हो चुकी हैं 🙏🙏

NEELAM PAREEK
NEELAM PAREEK
5 days ago

तो होने से रहा। उसे खुश करने के लिए यदि आप किसी अन्य को जिस क्षण चोट पहुंचाते हो उसी समय तुम उससे दूर हो गए हो। यदि सच में ईश्वर की सत्ता में विश्वास रखते हो तो सम्पूर्ण मानव जाति को सुख पहुंचाने का प्रयास करो। इन झगड़ों, इन दंगों से कुछ हासिल नहीं होने वाला सिवाय अपने और अपनों के दर्द के।
इंसान बनो, कर लो भलाई का कोई काम,
इंसान बनो…🙏🏻

NEELAM PAREEK
NEELAM PAREEK
5 days ago
Reply to  NEELAM PAREEK

बहुत खरी बात कही आपने…💐
यदि आप सच में ईश्वर को किसी भी नाम से पुकारते हैं, या किसी भी रूप में देखते हैं या किसी भी प्रकार से किसी भी रिश्ते में बांधते हैं वो उसी रूप मे आपके साथ हो जाते है और इसी प्रकार सामने वाले के साथ भी होते हैं तो जिनके साथ वो हैं उन्हें कष्ट में देखकर खुश कैसे हो सकते हैं।

उसे खुश करने के लिए यदि आप किसी अन्य को जिस क्षण चोट पहुंचाते हो उसी समय तुम उससे दूर हो गए हो। यदि सच में ईश्वर की सत्ता में विश्वास रखते हो तो सम्पूर्ण मानव जाति को सुख पहुंचाने का प्रयास करो। इन झगड़ों, इन दंगों से कुछ हासिल नहीं होने वाला सिवाय अपने और अपनों के दर्द के।
इंसान बनो, कर लो भलाई का कोई काम,
इंसान बनो…🙏🏻

क्षमा करे पहले लिखी गई टिप्पणी से एक बड़ा अंश स्वत: ही डिलीट हो गया, इस कारण से पुनः लिखना पड़ा…

Ninder Kaur
Ninder Kaur
3 days ago

दंगा और फसाद बहुत आम बात हो गई है भारत में। यहाँ तो झूठ ही चलता है और सच बोल दो तो दंगा, हक़ माँग लो तो दंगा हो जाता है। युवा कहाँ तक बचे?

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