विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चे: परिभाषा और श्रेणी

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विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चे ऐसे बच्चों को कहा जाता है जिन्हें कोई विकलांगता हो और उन्हें असाधारण देखभाल और अतिरिक्त सहायता की ज़रूरत होती है। इन बच्चों की विशेष आवश्यकताएँ उनकी विकलांगता पर निर्भर करती है। इन विशेष आवश्यकताओं में बार-बार होने वाली चिकित्सकीय जाँच, अस्पताल, विशेष उपकरण, किसी विशेष संस्था में रहना आदि शामिल हो सकते हैं।

विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों को कुल 4 वृहद श्रेणियों में बांटा जा सकता है:

  1. शारीरिक
  2. संवेदी
  3. विकासात्मक
  4. स्वभावजन्य या भावात्मक

शारीरिक विकलांगता

शारीरिक विकलांगता में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, मिर्गी, सेरिब्रल पाल्सी, चलन-सम्बन्धी विकलांगता आदि स्थितियाँ शामिल हैं। इन स्थितियों में मुख्य तौर पर बच्चे की चाल और संतुलन पर असर पड़ता है। सेरिब्रल पाल्सी में मस्तिष्क में क्षति के कारण मांसपेशियों का समन्वय बिगड़ जाता है। यह क्षति बच्चे के जन्म के पहले या जन्म के समय होती है। यह स्थिति प्रगतिशील नहीं होती — अर्थात समय के साथ इसका असर बढ़ता नहीं है। हालाँकि मांसपेशियों का इस्तेमाल न होने के कारण लम्बे समय के बाद मांसपेशियाँ कमज़ोर हो सकती हैं। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी तंत्रिका तंत्र और मांसपेशियों को प्रभावित करने वाला अनुवांशिक विकार है जिसके कारण मांशपेशियों में कमज़ोरी होती है और माँसपेशियों का आकार भी कम हो जाता है। यह एक प्रगतिशील बिमारी है जो वक़्त के साथ बढती जाती है।

संवेदी विकलांगता

बहरापन, ऊँचा सुनना, कम दिखना और नेत्रहीनता संवेदी विकलांगता के उदाहरण हैं। ये विकलांगताएँ बच्चों के किसी एक या एक से अधिक संवेदी अंगों को प्रभावित करती है। हालाँकि देखने और सुनने की विकलांगता अधिक पाई जाती है किन्तु संवेदी विकलांगताओं में गंध, स्पर्श, स्वाद, स्थानिक जागरूकता आदि से जुड़ी विकलांगता भी शामिल होती हैं। ये विकलांगताएँ अनुवांशिक भी हो सकती हैं अथवा किसी चोट या संक्रमण के कारण भी हो सकती हैं।

विकासात्मक विकलांगता

सामान्य विकासात्मक विकलांगता के उदाहरण हैं ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर, डाउन सिंड्रोम और फ्रजाइल एक्स सिंड्रोम। ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक तंत्रिका सम्बन्धी विकासात्मक विकलांगता है जो बच्चे के व्यवहार, सामाजिक शिष्टाचार, और बातचीत करने की क्षमता को प्रभावित करता है। हालाँकि ऑटिज्म का किसी भी उम्र में पता चल सकता है लेकिन इसे विकासात्मक विकलांगता इसलिए कहते हैं क्योंकि उमूमन इसके लक्षण विकास के शुरूआती दो सालों में ही नज़र आ जाते हैं। डाउन सिंड्रोम या डाउन्स सिंड्रोम में बच्चा एक अतिरिक्त अर्ध-विकसित या पूर्ण विकसित गुणसूत्र (क्रोमोजोम) 21 के साथ पैदा होता है। इसीलिए इस अवस्था को त्रिगुणसूत्रता (ट्रायसौमि) 21 भी कहते हैं। गुणसूत्र की इस असामान्यता के कारण बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।

स्वभावजन्य या भावात्मक विकलांगता

स्वभावजन्य या भावात्मक विकलांगता वाले बच्चों को नई चीज़ें सीखने या परस्पर सम्बन्ध बनाने में कठिनाई हो सकती है। वे उदास या चिंतित महसूस कर सकते हैं। ए.डी.एच.डी और ए.डी.डी. स्वभावजन्य या भावात्मक विकलांगता के सामान्य उदाहरण हैं।

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