क्या चलने का नाम ही ज़िन्दगी है?
आलोकिता बता रही हैं कि चलना बेशक मानव जाति के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण क्रिया है लेकिन यह एक क्रिया आपकी पूरी ज़िन्दगी से बड़ी नहीं है। आगे बढ़ते रहना ज़रूरी है लेकिन चलना ही ज़िन्दगी नहीं है।
आलोकिता बता रही हैं कि चलना बेशक मानव जाति के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण क्रिया है लेकिन यह एक क्रिया आपकी पूरी ज़िन्दगी से बड़ी नहीं है। आगे बढ़ते रहना ज़रूरी है लेकिन चलना ही ज़िन्दगी नहीं है।
राही मनवा 04: कल फ़ेसबुक पर मित्र संजय कुमार वैद्य ने मुझसे पूछा कि मैं ‘दिव्यांग’ शब्द को लेकर क्या सोचता हूँ। मुझसे यह प्रश्न अक्सर पूछा जाता है और मैंने विभिन्न मंचों से अपना जवाब बताया भी है। आज सोचा कि संजय भाई के प्रश्न का उत्तर फ़ेसबुक पर न देकर ‘राही मनवा’ के ज़रिये दिया जाए ताकि यह बात अधिक लोगों तक पहुँचे।
आनुवांशिक विकारों से अपनी संतान की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये संतान उत्पत्ति के बारे में सोचने से पहले स्त्री-पुरुष को अपनी जाँच करा लेनी चाहिये।
सम्यक ललित का विकलांगता विषयो पर नियमित कॉलम ‘राही मनवा’: 30 अप्रैल 2023 — बात मेरी पहली व्हीलचेयर की
विकलांगता विषयों पर सम्यक ललित का कॉलम ‘राही मनवा’: 23 अप्रैल 2023…