11 दिसम्बर 2024 को प्रोफ़ेसर अनीता घई का देहांत हो गया। 23 अक्तूबर 1958 को जन्मी प्रोफ़ेसर घई भारत में विकलांगता अधिकारों के लिये कार्य करने वाली एक सशक्त कार्यकर्ता थीं।
प्रोफ़ेसर घई को मात्र दो वर्ष की आयु में पोलियो हो गया था। इसके बावजूद उन्होनें दिल्ली विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की और वर्ष 1984 में दिल्ली विश्वविद्यालय के जीसस एंड मैरी कॉलेज में मनोविज्ञान पढ़ाना आरम्भ किया।
अपने कार्यकाल के दौरान उन्होनें विकलांगजन के लिये सुगम्यता (accessibility) और यौनिकता (sexuality) के विषयों पर महत्त्वपूर्ण काम किया। सार्वजनिक परिवहन को रैम्प इत्यादि के ज़रिये सुगम्य बनाये जाने और सुगम्य सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण मांग वे भारत सरकार से करती रहीं।
उन्होनें कई महत्त्वपूर्ण पुस्तके भी लिखीं:
- Disability in South Asia: Knowledge and Experience. ISBN 978-9352807079.
- Rethinking Disability in India. Routledge India. ISBN 9780815373216.
- (Dis)Embodied Form: Issues of Disabled Women. ISBN 81-241-0930-3.