एडिप ADIP (Full Form: Assistance to Disabled Persons for Purchase/Fitting of Aids/Appliances) का अर्थ है विकलांग व्यक्तियों को सहायक उपकरणों की ख़रीद या फ़िटिंग के लिए दी जाने वाली सहायता। भारत सरकार यह योजना 1981 से चलाती आ रही है। पन्द्रहवें वित्त आयोग की सूचना के मुताबिक़ इस योजना को 31 मार्च 2026 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। विकलांगता डॉट कॉम के आज के इस आलेख में हम भारत सरकार की इसी योजना के बारे में ज़रूरी जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं ताकि कोई भी ज़रूरतमंद व्यक्ति इस योजना का लाभ उठा सके। हो सके तो इस आलेख को अपने जान-पहचान के लोगों के साथ साझा कीजिये।
ए.डी.आई.पी. योजना का उद्देश्य
भारत सरकार की इस योजना का मुख्य उद्देश्य है सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को अनुदान के रूप में मदद मुहैया कराना जिससे वे ऐसे विकलांग व्यक्तियों की मदद कर सकें जिन्हें सहायक उपकरणों (जैसे कि बैसाखी, वॉकर, ट्राईसाइकिल, इलेक्ट्रिक ट्राइस्किल, व्हीलचेयर, कृत्रिम अंग, कैलिपर, रोलेटर, सेंसरयुक्त स्मार्टछड़ी, कान के लिये सुनने की मशीन इत्यादि) की आवश्यकता हो। यह अनुदान विकलांग व्यक्ति के लिए टिकाऊ और वैज्ञानिक तरीके से बनाए गए आधुनिक सहायक उपकरणों की ख़रीद के लिए दिया जाता है। इस योजना के तहत सहायक उपकरण के प्रयोग से पहले आवश्यकतानुसार ‘corrective surgery’ कराने का भी प्रस्ताव है। इस योजना के अंतर्गत लिए गए सभी सहायक उपकरण प्रमाणित किये जाते हैं।
ए.डी.आई.पी. योजना के तहत अनुदान प्राप्त करने वाली गतिविधियाँ
इस योजना के लिए उपयुक्त सभी संस्थाएँ (राष्ट्रीय संस्थान, समग्र क्षेत्रीय केंद्र, एलिम्को, राज्य विकलांग विकास निगम, जिला विकलांगता पुनर्वास केंद्र, गैर सरकारी संगठन और अन्य स्थानीय निकाय) प्राप्त अनुदान को अलग-अलग गतिविधियों के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं। इन गतिविधियों को मोटे तौर पर तीन हिस्सों में बाँटा जाता है।
- ए.डी.आई.पी. – एस.एस.ए. कैंप – इसमें सर्व शिक्षा अभियान (एस.एस.ए.) के तहत पढ़ाई कर रहे 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को उनकी ज़रूरत के हिसाब से सहायक उपकरण प्रदान किये जाते हैं। ऐसे स्कूली बच्चों को सहायक उपकरण देने के लिए इस योजना के अंतर्गत अनुदान प्राप्त किया जा सकता है।
- कैम्प गतिविधियाँ – कोई भी योग्य संस्था ज़रूरतमंद विकलांगजन को सहायक उपकरण बाँटने के लिए कैंप या शिविर लगा सकती है। ऐसी कैम्प गतिविधियों के लिए इस योजना के अंतर्गत अनुदान मिल सकता है।
- मुख्यालय गतिविधियाँ – इनमें संस्था में मदद माँगने आये ज़रूरतमंद व्यक्तियों को दी गयी सहायता शामिल है। उपयुक्त संस्थाओं को विकलांग व्यक्तियों की ‘corrective surgery’ या इससे जुड़ी ओ.पी.डी. गतिविधियों के लिए भी इस योजना के तहत अनुदान मिल सकता है।
टिप्पणी: योजना को कार्यान्वित करने वाली संस्थानों को अनुदान का 5% हिस्सा जागरूकता, मूल्यांकन, फॉलो-अप कैंप आदि के लिए ऊपरी व्यय के रूप में खर्च करने की अनुमति है
ए.डी.आई.पी. योजना के तहत लाभ लेने के लिए लाभार्थी की पात्रता
- आवेदक के पास बेंचमार्क विकलांगता को प्रमाणित करता विकलांगता प्रमाण पत्र होना चाहिए। (यू.डी.आई.डी. कार्ड होना भी पर्याप्त है)
- 100% अनुदान के लिए सभी स्रोतों से आने वाली मासिक आय 15,000 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए और 50% अनुदान के लिए सभी स्रोतों से आने वाली मासिक आय 20,000 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- एक ही उद्देश्य के लिए नया अनुदान पिछले अनुदान से कम-से-कम तीन वर्ष बाद ही लिया जा सकता है। हालाँकि 12 वर्ष से कम के बच्चे के लिए यह अनुदान एक वर्ष के अंतराल पर लिया जा सकता है।
सहायक उपकरणों की लागत सीमा
- इस योजना के अंतर्गत दिए जाने वाले सहायक उपकरण 10,000 रुपये से अधिक के नहीं हो सकते।
- यदि आवेदक 9वीं कक्षा से ऊपर का विद्यार्थी है तो सहायक उपकरण की कीमत की ऊपरी सीमा 12,000 रुपये हैं।
- यदि बहु-विकलांगता के कारण किसी आवेदक को एक से अधिक सहायक उपकरण की आवश्यकता हो तो हर उपकरण के लिए ऊपरी सीमा अलग-अलग ली जाएगी।
ए.डी.आई.पी. योजना के तहत विकलांगता की कौन-कौन सी श्रेणी मान्य है
- दृष्टि विकलांगता
- कुष्ठ रोगी
- बौद्धिक विकलांगता और विकासात्मक विकलांगता
- श्रवण विकलांगता
- चलन-सम्बन्धी विकलांगता
ए.डी.आई.पी. कॉक्लियर इम्प्लांट
इस परियोजना के तहत कॉक्लियर इम्प्लांट को अलग से उल्लिखित करना ज़रूरी है क्योंकि सरकार का लक्ष्य है 6 लाख रुपये प्रति यूनिट की सीमा के साथ हर वर्ष 500 श्रवण बाधित बच्चों को कॉक्लियर इम्प्लांट प्रदान करना। पाँच वर्ष तक के श्रवण बाधित बच्चों को कॉक्लियर इम्प्लांट जीवन भर के लिए राहत प्रदान करेगा।
ए.डी.आई.पी. योजना के अंतर्गत कॉक्लियर इम्प्लांट प्रदान करने के लिए मुंबई का अलियावर जंग नेशनल इंस्टिट्यूट फ़ॉर दी हियरिंग हैंडीकैप्ड शीर्ष संसथान है। कॉक्लियर इम्प्लांट के लिए आवेदक को यहीं आवेदन करना होगा। इम्प्लांट लगाने के लिए सर्जरी सरकारी मंजूरी प्राप्त अस्पताल में ही की जा सकती है। फ़िलहाल ऐसे अस्पतालों की संख्या 140 है। इम्प्लांट की ख़रीद एलिमको (आर्टिफीसियल लिम्ब मैन्युफैक्चरिंग कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया) से की जाएगी।
अधिक जानकारी के लिए आप डिपार्टमेंट ऑफ़ एम्पावरमेंट ऑफ़ पर्सन्स विद डिसेबिलिटीज़ की वेबसाइट या दिव्यांग सारथी मोबाइल एप्लीकेशन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
मुझे जरूरत है एक बच्चा गूंगा बहरा है
Kya aapko sahayata pradan ki gyi h
Cochlear processor agar kharab hua hai aur uski price jyada hai, to is me bhi government scheme ki help mil sakti hai?
इस जानकारी के लिये आप ‘अली यावर जंग नेशनल इंस्टिट्यूट फ़ॉर दी हियरिंग हैंडीकैप्ड’ से सम्पर्क करें
Mera bhai ke left side wale kan me awaj nahi sunai deta hai aur aur right side me 66% db hai aur mere bhai ke right side wale kan me ringing ka awaj daily karta hai jisase 2 bar chakker aake gir gya tha Mai bahot jyada pareshan hun kyonki Mere bhai pahle se jyada halat kharab hai ! Ab aap ye bataiye kya sarkari hospital me mere bhai ka kan ka Surgery ho sakta hai Mera bhai ke pass ayushman card bhi hai !! Aap mujhe bas ye bataiye ki mujhe ab kya Karna chahiye!! Please 🙏