चुनावों का दौर और शोर दोनों चल रहे हैं। कल्पना करें कि प्रधानमंत्री का काफिला चला आ रहा है। लंबी-लंबी गाड़ियों की कतार से धीरे-धीरे मंच की ओर बढ़ती एक लंबी आकर्षक गाड़ी जिसके साथ-साथ चारों तरफ चलते मुस्तैद कमांडो हर सू निगाह रख रहे हैं। गाड़ी रुकती है और विशेष प्रकार से खुलती है जिसमें से प्रधानमंत्री व्हीलचेयर सहित जनता का अभिवादन करते हुए उतरते हैं। तुरंत एक कमांडो व्हीलचेयर की कमान संभाल कर उसे और उस पर बैठे विकलांग-प्रधानमंत्री को मंच की तरफ ले चला है। यूँ तो विशेष रूप से डिजाइन की गई व्हीलचेयर प्रधानमंत्री खुद भी कंट्रोल कर सकते हैं (व्हीलचेयर पर लगे बटनों से) लेकिन प्रोटोकॉल भी कोई चीज होती है। मंच भी इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि व्हीलचेयर मंच के साथ लगे एलिवेटर रैम्प पर लगाई और ऊपर पहुंच गई। ऊपर मौजूद किसी कमांडो ने तुरंत व्हीलचेयर का चार्ज संभालते हुए प्रधानमंत्री को मंच का चक्कर लगवा (जिससे प्रधानमंत्री रैली में आई जनता का अभिवादन कर सकें) कर अन्य नेताओं के साथ बैठा देता है। प्रधानमंत्री के भाषण की बारी आने पर मंच पर विशेष तरीके से तैयार केबिन में उन्हें पहुँचाया जाता है। जहाँ पर व्हीलचेयर पर होने के बावजूद उन्हें रैली में आया हर व्यक्ति देख पाए। व्हीलचेयर पर बैठे प्रधानमंत्री तेजतर्रार और जोशीला भाषण देते हैं और भाषण खत्म होने पर उन्हें फिर मंच के बीच लाया जाता है और वही सब कुछ दोहराया जाता है। गाड़ी में चढ़ने के लिए भी एलिवेटर रैम्प का इस्तेमाल किया जाता है। एयरपोर्ट पर हेलिकॉप्टर में प्रधानमंत्री को व्हीलचेयर सहित पोर्टेबल एलिवेटर रैम्प के जरिये ही चढ़ाया जाता है। प्रधानमंत्री कार्यलय में भी व्हीलचेयर से आने जाने का विशेष प्रबंध है। एक अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के बाद किसी नामचीन विदेशी नेता व्हीलचेयर पर मौजूद हमारे प्रधानमंत्री को ‘प्राइमनिस्टर ऑन व्हील्स’ के उपनाम से संबोधित करते है।
यह सब कल्पना करना ही कठिन है लेकिन अगर कल्पना करें तो किसी रोज मुमकिन होने की संभावना बन जाती है। वैसे भी हर मौजूदा सहूलियत कभी किसी की कल्पना ही तो थी। अगर मुश्किलों से डरना है तो कल्पना करना भी छोड़ना होगा। कल्पना तो नाम ही मुश्किल से आगे बढ़ जाने का है। अभिभावक अपने विकलांग बच्चों और विकलांग जन खुद भी सारी ज़िंदगी सोसाइटी का हिस्सा बनने में लगा देते हैं। अगर सोसाइटी के शिखर पर ही पकड़ बनाने की कोशिश की जाए तो क्या मुमकिन नहीं हो सकता। हो सकता है सच में कोई विदेशी नामचीन नेता कह उठे – ‘अ प्राइम मिनिस्टर ऑन व्हील्स’।
कल्पनाएं ही तो साक्षात का आधार होती हैं….👌👌💐💐
ये सारा संसार कल्पनाओं का ही तो परिणाम है
Prime minister on wheels bhi ek din sakar hogi😍👌💕
जीवन भी तो कल्पना ही है जिसकी हकीकतें थोड़ी अलग होती हैं। अच्छी कल्पना अच्छा आर्टिकल👍💐