मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (माँसपेशीय दुर्विकास) एक नयूरोमस्कुलर (तंत्रिकाओं और मांसपेशियों से जुड़ा हुआ) आनुवांशिक विकारों का एक समूह है जिसमें मांसपेशियाँ लगातार घटती जाती हैं और कमज़ोर भी होती जाती हैं। यह एक ऐसी अवस्था है जो वक़्त के साथ लगातार बढ़ती ही जाती है। फिलहाल इसका पूरे विश्व में कोई इलाज नहीं है और इसे भारत व अमरीका समेत कई देशों में विकलांगता के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
भारत के दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 में उल्लिखित 21 विकलांगताओं में एक मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की भी है। आइये इसे विकार को विस्तार में समझते हैं।
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के कारण
जैसा कि हमने पहले भी कहा, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (एम.डी.) एक आनुवांशिक स्थिति है। हमारे शरीर में मांसपेशियों को बनाने हेतु प्रोटीन का निर्माण करने वाले कुछ जीन्स होते हैं। कुछ स्थितियों में इन जीन्स में उत्परिवर्तन या म्युटेशन हो जाते हैं जिसके कारण ये असामान्य रूप से कार्य करने लगते हैं। इनके असामान्य होने के कारण शरीर में मांसपेशियों की ताकत बनाए रखने वाले प्रोटीन का निर्माण और संचार उचित तरीके से नहीं हो पाता और मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लक्षण नज़र आने लगते हैं।
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के प्रकार
- मायोटोनिक (जिसे एम.एम.डी. या स्टीनर्ट रोग भी कहा जाता है) मस्कुलर डिस्ट्रॉफी
- ड्यूशेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी
- बेकर मस्कुलर डिस्ट्रॉफी
- लिम्ब एंड गर्डल मस्कुलर डिस्ट्रॉफी
- फेसियोस्कैपुलोह्यूमरल मस्कुलर डिस्ट्रॉफी
- कौनजेनाइटल मस्कुलर डिस्ट्रॉफी
- औक्यूलोफेरैन्जल मस्कुलर डिस्ट्रॉफी
- डिस्टल मस्कुलर डिस्ट्रॉफी
- एमरी-ड्रेइफस मस्कुलर डिस्ट्रॉफी
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के इन प्रकारों में ड्यूशेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी और मायोटोनिक मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के मामले सबसे अधिक पाए जाते हैं।
ड्यूशेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी केवल पुरुषों में पाया जाने वाला विकार है और इसके लक्षण 2 से 6 वर्ष की आयु में नज़र आने लगते हैं। इससे प्रभावित पुरुष अमूमन 20 वर्ष की आयु से अधिक नहीं जी पाते। स्त्रियाँ हालाँकि इससे प्रभावित नहीं होती लेकिन वे माँ के रूप में इसकी वाहक ज़रूर हो सकती हैं।
मायोटोनिक मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से भी बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होते हैं। इसके लक्षण बालपन से लेकर वयस्क अवस्था तक कभी भी उभर सकते हैं। यह प्रभावित व्यक्ति के लम्बे वक़्त तक जीने की संभावना पर भी नकारात्मक असर डालता है।
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लक्षण
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के सबसे महत्वपूर्ण लक्षण हैं लगातार कम होता हुआ शारीरिक संतुलन और मांसपेशियों की घटती हुई ताकत।
विभिन्न प्रकार की मस्कुलर डिस्ट्रॉफी में इसके अलावा अलग-अलग वक़्त पर अलग-अलग लक्षण उभर सकते हैं। विभिन्न प्रकार की मस्कुलर डिस्ट्रॉफी में अलग-अलग मांसपेशियाँ प्रभावित होती हैं। उदाहरण के तौर पर मायोटोनिक मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का असर सबसे पहले चेहरे और गर्दन की मांसपेशियों पर नज़र आता है जबकि फेसियोस्कैपुलोह्यूमरल मस्कुलर डिस्ट्रॉफी में यह चेहरे, कूल्हे और कंधे से शुरू होता है।
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का इलाज
फ़िलहाल मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक ऐसी स्थिति है जिसका कोई इलाज नहीं है लेकिन चिकित्सीय सहायता मांसपेशियों के कमज़ोर होने की दर को कम कर सकती है। इससे प्रभावित व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
निष्कर्ष
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी मांसपेशियों को प्रभावित करती है और प्रगतिशील होने के कारण यह विकार व्यक्ति की स्थिति को लगातार कमज़ोर करता जाता है। ऐसी स्थिति से बेहतर तरीके से निबटने के लिए बहुत ज़रूरी है कि हम जागरूक हों। यह आलेख जागरूकता फैलाने की और हमारा एक कदम है। इस लेख को पढ़ कर और इसे अपने आस-पास के लोगों के साथ साझा करके आप जागरूकता के इस मुहीम का हिस्सा बन सकते हैं।