इंटरनेट पर आजकल एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें रिटायर हो चुके भारत क्रिकेट खिलाड़ी युवराज सिंह, हरभजन सिंह, सुरेश रैना और गुरकीरत मान यह दिखा रहे हैं कि वे मैच खेलने के बाद कितना अधिक थक गये हैं। वीडियो के साथ यह कैप्शन दिया गया है:
“Body ki Tauba Tauba ho gayi in 15 days legends cricket…Every part of the body is sore. Straight competition to our brothers Vicky Kaushal and Karan Anjula. Our version of Tauba Tauba dance, what a song!”
वीडियो में जिस तरीके से ये खिलाड़ी चल रहे हैं वह अनेक विकलांगजन को अच्छा नहीं लगा। अनेक विकलांगजन और विकलांगता अधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा कहा गया है कि यह वीडियो विकलांगता का मज़ाक बनाता हुआ लगता है। मेरा मानना है कि इन खिलाड़ियों को इस तरह का वीडियो बनाने से बचना चाहिये था। मैं मानता हूँ कि खिलाड़ियों की मंशा किसी का मज़ाक उड़ाने की नहीं थी लेकिन अलग-अलग लोग एक ही चीज़ को अलग-अलग दृष्टिकोण से देखते हैं। मुझे आश्चर्य नहीं कि विकलांगजन वीडियो में की गई एक्टिंग से आहत हुए हैं — और इस बात को केवल विकलांगजन ही समझ पाएँगे। अन्य सभी लोग तर्क-वितर्क करेंगे कि खिलाड़ियों की मंशा ऐसी नहीं थी।
मैं इस विषय पर इतना ही कहना चाहूँगा कि यदि संभव हो तो इस तरह की एक्टिंग से बचना चाहिये; और यदि संभव न हो तो कम-से-कम आहत-वर्ग की बात को बिना तर्क-कुतर्क के सुन अवश्य लेना चाहिये। इतने नामी खिलाड़ियों को अधिक ज़िम्मेदार होना चाहिये। खिलाड़ियों के फ़ैन्स को यह सब देख कर हँसी अवश्य आई होगी — लेकिन इस तरह के मज़ाक से विकलांगजन के प्रति समाज का नज़रिया और अधिक बिगड़ता है।
इंग्लैंड के एज्बैस्टन में हुई वर्ल्ड चैम्पियशिप ऑफ़ लीजेंड्स (2024) प्रतियोगिता में भारतीय टीम ने पाकिस्तान को फ़ाइनल में हरा कर विजय हासिल की। यह वीडियो इसी मैच के बाद योजनाबद्ध तरीके से शूट किया गया था। वीडियो में दिखाई दे रहे खिलाड़ी रिटायर हो चुके हैं और वे यह दिखाना चाह रहे हैं कि इतने दिन बाद किसी प्रतियोगिता में खेलने के कारण उनके शरीर के हर हिस्से में दर्द हो रहा है। बात बस इतनी-सी है कि इस थकान-दर्द को बेहतर तरीके से दिखाया जा सकता था।
थकावट को प्रदर्शित करने का तरीका यह कि भी दृष्टीकोण से नहीं था… उनकी PR टीम ने यह वीडियो स्क्रिप्ट की होगी उनके लिए लेकिन बात यह है कि यह इतने सीनियर खिलाड़ी इतने संवेदनशील कैसे हो सकते है???
मेरा मानना है कि जब व्यक्ति समाज में अपनी एक प्रतिष्ठित पहचान बना लेता है, तब एक आम आदमी की अपेक्षा उस प्रतिष्ठित व्यक्ति की अपने द्वारा किए व्यवहार के प्रति ज़िम्मेदारी कई गुणा बढ़ जाती है। कोई भी व्यवहार करने से पूर्व ही उस प्रतिष्ठित व्यक्ति विशेष को यह आकलन कर लेना चाहिए कि उसके द्वारा किए गए व्यवहार विशेष का समाज या किसी वर्ग विशेष पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
इस पोस्ट को बनाने के पीछे इन दिग्गज क्रिकेट खिलाड़ियों की मंशा चाहे जो भी रही हो; लेकिन उनकी सोच व मानसिकता बहुत ही संकीर्ण और असंवेदनशील रही है।
ऐसा सम्भव ही नहीं कि इस क्रिकेट प्रेमी देश में इन खिलाड़यों का कोई भी एक प्रशंसक कोई विकलांगजन न हो!
जब वह प्रशंसक अपने चहिते खिलाड़ी की यह पोस्ट देखेगा तो उसका मन किस हद तक आहत होगा…? क्या ये दिग्गद अंदाज़ा लगा सकते हैं…? क्या वह दोबारा अपने चहिते खिलाड़ी की प्रशंसा कर पाऐगा? क्या चहिते खिलाड़ी की संवेदनहीनता प्रशंसक के मन को बार-बार नहीं कचोटेगी?
बिल्कुल सही कहा आपने। अगर विशेष व्यक्ति ही समाज को ऐसी दिशा दिखाएँगे तो समाज में क्या संदेश जाएगा? और उसका कितना सहज और गहन प्रभाव पड़ेगा यह सोचा भी नहीं जा सकता।
गोलु कुमार मेरा बाया आंख मे पूर्ण रुप से रोशनी चल गाया है सर मै ssc chsl ka examदेना चाहता हू क्या मै exam दे सकता हू। सर आप बतायाए