लेखक: अरुण कुमार सिंह : जमशेदपुर, झारखंड के रहने वाले अरुण विकलांगता से प्रभावित हैं और विकलांगजन के अधिकारों हेतु कार्य करते हैं।
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नई दिल्ली में 4–5 जून 2025 को आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला “Strengthening Disability-Inclusive Disaster Preparedness & Humanitarian Action” में एक ऐसी कार्ययोजना प्रस्तुत की गई जिसने भारत में आपदा प्रबंधन के परिदृश्य को विकलांगजन के दृष्टिकोण से पुनर्परिभाषित कर दिया है।
इस ऐतिहासिक बैठक में NDMA (National Disaster Management Authority) ने विकलांगजन की सहभागिता को केंद्र में रखते हुए जो घोषणाएँ कीं, वे न केवल समावेशी आपदा प्रबंधन की दिशा में मील का पत्थर हैं, बल्कि यह संकेत भी देती हैं कि अब कोई नीति या योजना उनके बिना नहीं बनाई जाएगी – Nothing About Us Without Us
प्रमुख घोषणाएँ और निर्णय
- “Disability-Inclusive Disaster Risk Reduction War Room” की स्थापना – एक समर्पित स्थान जहाँ आपदा की तैयारी और प्रतिक्रिया विकलांगजन की आवश्यकताओं के अनुरूप होगी।
- हर राज्य व ज़िले में PwDs-Inclusive मॉक ड्रिल – ताकि किसी भी आपात स्थिति में विकलांगजन की वास्तविक भूमिका सुनिश्चित हो सके।
- UDID, जनगणना, NFHS जैसे स्रोतों से विकलांगता आधारित डेटा का संग्रह व उपयोग – जिससे योजनाएँ सटीक और प्रभावशाली बनें।
- नीतिगत निर्णयों में विकलांगजन और उनके संगठनों की भागीदारी – जिससे उनका अनुभव और दृष्टिकोण सीधे शामिल हो।
- सांकेतिक भाषा, ब्रेल, चित्र, और ऑडियो फॉर्मेट में IEC सामग्री का विकास – ताकि सभी सूचनाएं सभी के लिए सुलभ हों।
- मॉक ड्रिल में PwDs की सक्रिय भागीदारी व उनके लिए फीडबैक प्रणाली – जिससे उनके अनुभव के आधार पर सुधार संभव हो।
अगले 90 दिनों में NDMA की प्राथमिकताएँ
- समावेशी आपदा तैयारी के लिए टूलकिट का निर्माण
- 3 राज्यों में पायलट मॉक ड्रिल का आयोजन
- विकलांगता आधारित डेटा के लिए दिशानिर्देशों की घोषणा
- “War Room” की स्थापना और संचालन की शुरुआत
NDMA, UNICEF और UN India की यह पहल केवल एक कागज़ी योजना नहीं है, बल्कि यह दर्शाती है कि भारत अब विकलांगजन की आपदा प्रबंधन का केंद्र बना रहा है। यह केवल एक सरकारी कदम नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, समानता और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत प्रयास है।
इसलिए हम सभी से अपील है – आइए इस परिवर्तन का हिस्सा बनें। हम सभी सुनिश्चित करें कि आने वाले समय में कोई भी आपदा तैयारी विकलांगजन के बिना अधूरी न रहे।