पिछले कुछ महीनों के दौरान मैंने हिन्दी के कुछ पत्रकार मित्रों से पूछा कि क्या मैं विकलांगता से जुड़े विषयों पर उनके अखबार में एक नियमित कॉलम लिख सकता हूँ। मेरे विचार में इन विषयों को भी नियमित स्थान मिलना चाहिये — लेकिन सभी मित्रों ने असमर्थता ज़ाहिर की — उनके मुताबिक विकलांगता ऐसा विषय नहीं है जिसे अखबार में एक नियमित स्थान दिया जा सके। मैं नहीं जानता कि ऐसी सोच के पीछे क्या कारण है।
अन्य जगहों से हताशा मिलने के कारण अब मैंने अपने ही एक मंच की शुरुआत कर दी है। अंग्रेज़ी भाषा में मेरी वेबसाइट WeCapable.com तो पहले ही विकलांगता विषयों पर विश्व की अग्रणी वेबसाइटों में गिनी जाती है। अब मैंने विकलांगता डॉट कॉम नामक एक नई वेबसाइट स्थापित की है — इस वेबसाइट पर हर उस व्यक्ति का स्वागत है जो हिन्दी में विकलांगता से संबंधित किसी भी विषय पर लिखना चाहता है। यहाँ मैं ‘राही मनवा’ शीर्षक से अपना एक साप्ताहिक कॉलम भी शुरु कर रहा हूँ — अन्य मित्र भी यदि नियमित कॉलम लिखना चाहें तो आपका स्वागत है। नियमित कॉलम यदि बोझ लगे तो आप जब चाहें अपने लेख भेज सकते हैं। मैं विशेषकर विकलांगजन, उनके माता-पिता, भाई-बहनों, शिक्षकों, मित्रों व उनसे जुड़े अन्य लोगों को प्रोत्साहित करना चाहता हूँ कि वे विकलांगता से जुड़े अपने अनुभवों को लिखें। अपनी समस्याएँ, अपने अनुभव, अपनी आशाएँ, हताशाएँ, सुझाव, प्रश्न… विकलांगता से सम्बंधित आप जो भी लिखना चाहें लिखें… हम एक-दूसरे से अपनी बातें साझा करेंगे तो हमें बहुत कुछ नया सीखने को मिलेगा।
अंग्रेज़ी में WeCapable.com विकलांगता पर विश्व की अग्रणी वेबसाइटों में शामिल हैं — मेरा दशमलव यूट्यूब चैनल भी विकलांगता विषयों का हिन्दी में सबसे बड़ा यूट्यूब चैनल है — इसके बाद अब विकलांगता डॉट कॉम भी हिन्दी में इस विषय की पहली वेबसाइट के रूप में स्थापित हुई है। मेरा राही मनवा कॉलम भी शायद विकलांगता विषयों पर हिन्दी में पहला नियमित कॉलम है। फ़िलहाल मैं इस कॉलम को साप्ताहिक रखूँगा — आने वाले समय में इस आवृत्ति में परिवर्तन हो सकता है।
WeCapable की तरह इस हिन्दी वेबसाइट का सम्पादन भी मैं ही करूँगा। इस वेबसाइट के लिये मैंने Samyak Accessibility नाम से अनेक सुगम्यता फ़ीचर्स डेवलप किये हैं — इन फ़ीचर्स की मदद से विभिन्न प्रकार की विकलांगताओं से प्रभावित व्यक्ति वेबसाइट की सामग्री को आसानी से पढ़ पाएँगे। इन फ़ीचर्स को अभी मैं और अधिक उन्नत कर रहा हूँ — शीघ्र ही किसी लेख में मैं आपको इन फ़ीचर्स की जानकारी भी दूँगा।
आइये और इस मंच के ज़रिये अपनी बातें साझा कीजिये।
ले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गाँव के
अब अँधेरे जीत लेंगे मेरे गाँव के
◆बल्ली सिंह चीमा
ज़िन्दगी ख़्वाब नही कि बिखर जायेगीं
जितना अपनाएगें सँवर जायेगीं
बहुत ही सुंदर शुरूवात है… विकलांग जनों के मनोदशा समझने का इससे बड़ा व्यवस्थित और उचित मंच मिलना सम्भव नहीं था….