मानसिक विकार एक व्यापक शब्द है जिसके अंतर्गत सोच, मनोदशा, धारणा, समझ, स्मृति, व्यवहार, निर्णय लेने की क्षमता आदि को प्रभावित करने वाली सभी बीमारियों को रखा जाता है। हालाँकि इसमें मानसिक मंदता या बौद्धिक विकलांगता को शामिल नहीं किया जाता है क्योंकि इसमें दिमाग का विकास नहीं होता या अवरुद्ध हो जाता है।
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 में भी बौद्धिक विकलांगता और मानसिक विकार विकलांगता की दो भिन्न श्रेणियाँ हैं। आज के इस आलेख में हम मानसिक विकार को विस्तार से समझेंगे।
मानसिक विकार के प्रकार
मानसिक विकार कोई एक ख़ास बीमारी या विकलांगता नहीं है बल्कि यह एक व्यापाक शब्द है जिसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार की मानसिक बीमारियों को रखा जाता है। आपको यह जान कर हैरानी होगी कि अमरीका के मनोरोग एसोसिएशन के द्वारा प्रकाशित एक पुस्तक में 300 से अधिक प्रकार के मानसिक रोग सूचीबद्ध हैं।
नीचे हम कुछ ऐसी मानसिक बीमारियों की सूची दे रहे हैं जो काफ़ी लोगों में पायी जाती है और हम अपने आसपास इनके मरीज़ों को देख सकते हैं।
- अवसाद
- चिंता
- भोजन सम्बन्धी विकार
- नशीले पदार्थों का सेवन
- ध्यान के अभाव सम्बन्धी विकार (अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर)
- ओब्सेस्सिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर
- दुर्घटना या आघात सम्बन्धी विकार
मानसिक विकार के लक्षण
बीमारी के अनुसार अलग-अलग मानसिक रोगियों में अलग-अलग लक्षण होते हैं और इन लक्षणों की तीव्रता भी अलग होती है। फिर भी कुछ लक्षण ऐसे हैं जो इस ओर इशारा करते हैं कि व्यक्ति को कोई मानसिक बीमारी हो सकती है। हम नीचे कुछ सामान्य लक्षणों की सूची दे रहे हैं।
शिशुओं में मानसिक विकार के लक्षण
- बेहतर प्रयास के बावजूद विद्यालय में खराब प्रदर्शन
- खाने और सोने की आदतों में अप्रत्याशित बदलाव
- अत्यधिक चिंता और घबराहट
- अति-सक्रियता
- लगातार बुरे सपने देखना
- आक्रामक व्यवहार
- हमेशा अवज्ञा करना
- अत्यधिक गुस्सा या चिड़चिड़ापन
बच्चों और किशोरों में मानसिक विकार के लक्षण
- नशा
- रोज़मर्रा के कामों को न कर पाना
- खाने और सोने की आदतों में अत्यधिक अस्तव्यस्तता
- अक्सर शारीरिक बिमारियों की शिकायत
- घर या विद्यालय के अपने दायित्वों को पूरा करने में असफलता
- अत्यधिक गुस्सा, अवज्ञा, तोड़-फोड़, चोरी आदि
- अत्यधिक डर
- नकारात्मक मनोदशा
- मरने की सोचना या बात करना
वयस्कों में मानसिक विकार के लक्षण
- स्पष्ट न सोच पाना
- लम्बे समय तक अवसाद या उदासी
- बिना कारण के भावनाओं में उतार चढ़ाव
- अत्यधिक भय व चिंता
- समाज से दूरी या घुलने-मिलने में परेशानी
- खाने या सोने की आदतों में नाटकीय परिवर्तन
- अत्यधिक क्रोध
- मतिभ्रम (ऐसी चीज़ों को देखना या सुनना जिनका अस्तित्व ही न हो)
- दैनिक कार्यों को करने में परेशानी
- आत्मघाती विचार
- ऐसी शारीरिक परेशानियाँ जिनका कोई कारण न हो
- नशे की लत
यदि आपके आस-पास किसी भी व्यक्ति में इस तरह का कोई लक्षण स्पष्ट रूप से नज़र आ रहा हो तो आपको कोशिश करनी चाहिए कि वह बच्चा या वयस्क चिकित्सीय मदद प्राप्त करे।
मानसिक विकार और बौद्धिक विकलांगता में अंतर
हालाँकि मानसिक विकार बौद्धिक विकलांगता एक-दूसरे से काफ़ी अलग हैं फिर भी आपको दोनों में अंतर करने में थोड़ी मुश्किल हो सकती है। तो आइये देखते हैं कि ये दोनों स्थितियाँ एक दूसरे से कैसे भिन्न हैं।
- मानसिक विकार बीमारियाँ होती हैं जिनका दवाइयों, थेरेपी या अन्य तरीकों से इलाज हो सकता है जबकि बौद्धिक विकलांगता एक जीवनपर्यंत रहने वाली स्थिति है जिस पर दवाइयों आदि का कोई ख़ास फ़र्क नहीं पड़ता।
- मानसिक बीमारियाँ किसी भी व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकती है जबकि बौद्धिक विकलांगता बाल्यकाल से ही होती है। बौद्धिक विकलांगता के लक्षण भी अमूमन पाँच वर्ष की आयु तक स्पष्ट हो जाते हैं।
- मानसिक विकार में दिमाग के विकास पर कोई असर नहीं होता जबकि बौद्धिक विकलांगता में दिमाग का विकास अवरुद्ध हो जाता है।
अंत में…
मानसिक विकार एक ऐसा विषय है जिस पर हमें अधिक सहज होने की ज़रूरत है। इस विषय पर चर्चा-परिचर्चा होना बहुत ज़रूरी है क्योंकि उसके बग़ैर मानसिक बीमारियों को लेकर जागरूकता नहीं आएगी। तो आइये मानसिक विकारों के सम्बंध में फैली भ्रांतियों और रूढ़ियों को हटा कर इस विषय पर वैज्ञानिक और व्यवहारिक दृष्टिकोण से बात करना शुरू करते हैं।
सर, क्या क्रोहन डिसिज़ मेन्टल इलनेस में आएगा?
कहना मुश्किल है। आप अपने जिला अस्पताल में CMO से मिलें और उनसे पता करें।
Sir.. Mere dost ko 25 year ki age mai osteoporosis ho gya… O disability mana jayega kisi catogary mai..
क्या इस फोरम में मानसिक चिंता, वर्तमान के बारे में ना सोचकर पूर्व में क्या हुआ था और भविष्य के बारे में चिंता के बारे में भी discussion किया जा सकता है। क्योंकि मुझे 1998 से ही एक विचित्र क़िस्म की बीमारी है जो हर 3-4 सालों में उभर जाता है और लगभग 3 महीना तंग करता है। फिर धीरे धीरे नार्मल हो जाता है। और ये बिना किसी कारण के किसी भी समय शुरू हो जाता है। इस समय भावुकता काफ़ी बढ़ जाती है, घर में suffocation महसूस होता है, खुली हवा में कुछ राहत मिलती है। अभी मैं 66 वर्ष का हूँ पर ये बीमारी मुझे 38 साल की उम्र से शुरू हुई है।
यह बहुत अच्छी बात है बाशुकी नाथ जी कि आप अपनी समस्या को हमसे शेयर करना चाहते हैं। इस तरह शेयर करने से समस्या कम होती है और उसके हल की संभावनाएँ भी बढ़ जाती हैं। यदि आप अपनी स्थिति के बारे में और विस्तार से लिखना चाहें तो मुझे अवश्य भेजें। हम आपकी बात को वेबसाइट पर प्रकाशित अवश्य करेंगे।