कुष्ठ रोग, जिसे हैनसेन रोग भी कहते हैं, एक दीर्घकालिक बीमारी है जो संक्रमण से फैलती है। यह माइकोबैक्टीरियम लेप्री नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। इस बीमारी का असर मुख्य रूप से त्वचा, परिधीय नसों, ऊपरी श्वसन पथ की श्लैष्मिक सतहों और आँखों पर होता है। कुष्ठ नवजात शिशुओं से लेकर वृद्धावस्था तक किसी को भी अपनी चपेट में ले सकता है। हालाँकि, माइकोबैक्टीरियम लेप्री से प्रभावित होने वाले क़रीब 95% लोगों की स्थिति की गंभीरता कुष्ठ रोग होने तक नहीं पहुँचती।
कुष्ठ रोग का उपचार या इलाज
कुष्ठ रोग का उपचार मल्टी ड्रग थेरेपी (MDT) से संभव है। इसमें एक तय अवधि तक रोगी को कई दवाइयाँ दी जाती हैं। पॉसिबैसिलरी कुष्ठ रोग के उपचार के लिए डैप्सोन, रिफैम्पिसिन और क्लोफ़ाज़िमाइन दवाओं का इस्तेमाल छः महीने तक किया जाता है। मल्टीबैसिलरी कुष्ठ रोग के उपचार में यही दवाइयाँ बारह महीनों के लिए इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती हैं। यह उल्लेखनीय है कि 1995 से ही विश्व स्वास्थ्य संगठन किसी भी कुष्ठ रोगी को ये दवाइयाँ बिलकुल मुफ़्त उपलब्ध कराता आ रहा है।
पिछले 4 दशकों में 1 करोड़ 70 लाख कुष्ठ रोगियों का उपचार मल्टी ड्रग थेरेपी (MDT) से किया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन सदस्य देशों को यह सलाह देता है कि सिर्फ़ कुष्ठ रोगी का उपचार करने की बजाए कांटेक्ट ट्रेसिंग करके संक्रमित व्यक्ति के संसर्ग में आए लोगों की पहचान करके बचाव पर भी ध्यान दिया जाए।
कुष्ठ रोग के बारे में आँकड़े
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2021 के आंकड़ों के अनुसार वैश्विक स्तर पर कुल 1,33,781 पंजीकृत मामले थे जिनमें नए जुड़े मामलों की संख्या 1,40,546 थी।
- पंजीकृत मामलों में क़रीब 39% संख्या महिलाओं की थी।
- ज्यादातर नए मामले कुल 14 देशों से ही आते हैं।
- ब्राज़ील, भारत और इंडोनेशिया से ही कुष्ठ के कुल मामलों का 74% हिस्सा आता है।
कुष्ठ उपचारित लोगों में विकलांगता
कुष्ठ उपचारित विकलांगजन श्रेणी में उन लोगों को शामिल किया जाता है जिनका कुष्ठ का तो उपचार हो चुका है परन्तु वे निम्न कारणों से पीड़ित हैं:
- बिना किसी प्रत्यक्ष विकृति के हाथ-पैर में चेतना का ख़त्म या कम होना और साथ ही आँखों और आँखों की पुतलियों में चेतना की कमी तथा पक्षाघात होना
- प्रत्यक्ष विकृति और पक्षाघात होना लेकिन हाथ-पैर में इतनी ताकत होना कि रोज़मर्रा के काम किये जा सकें।
- बहुत अधिक शारीरिक विकृति और बढ़ती उम्र जिसके कारण रोज़गार मिलना मुश्किल हो
भारत में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 कुष्ठ उपचारित लोगों को विकलांग की श्रेणी में रखता है और वे विकलांगजन को मिलने वाले विशेष सुविधाओं के हकदार हैं।
कुष्ठ उपचारित लोगों के लिए विकलांगता प्रमाण पत्र
चूँकि भारत का कानून कुष्ठ उपचारित लोगों को विकलांग की श्रेणी में रखता है, इसलिये वे विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने के पात्र हैं। यह आवेदन करना उनके लिए ज़रूरी भी है क्योंकि बगैर एक वैध प्रमाण पत्र के वे कोई विशेष लाभ नहीं ले पायेंगे।
इसके लिए आपको नज़दीकी सरकारी हस्पताल से संपर्क करना होगा। आपकी स्थिति की जाँच करने के बाद ही चिकित्सीय मंडल एक उपयुक्त प्रमाण पत्र जारी करेगा।
कुष्ठ उपचारित लोगों की विकलांगता कैसे मापी जाती है?
कुष्ठ उपचारित विकलांगजन की विकलांगता को मापने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक ग्रेडिंग मानक तैयार किया है।
- ग्रेड 0
- आँखें: कुष्ठ के कारण आँखों में कोई विकार नहीं; आँखों की रौशनी में कोई कमी नहीं
- हाथ: कोई निश्चेतनता नहीं; कोई प्रत्यक्ष विकार या क्षति नहीं
- पैर: कोई निश्चेतनता नहीं; कोई प्रत्यक्ष विकार या क्षति नहीं
- ग्रेड 1
- आँखें: कुष्ठ के कारण आँखों में विकार लेकिन दृष्टि बहुत अधिक बाधित नहीं हुई
- हाथ: चेतना का कुछ ह्रास लेकिन कोई प्रत्यक्ष विकार नहीं
- पैर: चेतना का कुछ ह्रास लेकिन कोई प्रत्यक्ष विकार नहीं
- ग्रेड 2
- आँखें: कुष्ठ के कारण दृष्टि में बहुत अधिक विकार। इसमें लैगोफथाल्मोस, इरिडोसाइक्लाइटिस और कॉर्नियल ओपेसिटी भी शामिल हैं।
- हाथ: प्रत्यक्ष विकार का होना (जैसे घाव/दरारें, पंजे की उँगलियों तथा कलाइयों में सिकुड़न, विच्छेदन आदि)
- पैर: (जैसे घाव/दरारें, पंजे की उँगलियों तथा एडियों में सिकुड़न, विच्छेदन आदि)
उपरोक्त ग्रेड के अनुसार उपचारित व्यक्ति की विकलांगता का Eyes, Hands, Feet (EHF) मान निकाला जाता है। जिसका EHF मान जितना ज्यादा होगा उसकी विकलांगता का प्रतिशत उतना ही ज्यादा होगा। यह मान अधिकतम 12 तक जा सकता है।
- EHF मान 0 से 1 हो तो विकलांगता 20% तक होती है।
- EHF मान 2 से 3 हो तो विकलांगता 21% से 40% तक होती है।
- EHF मान 4 से 5 हो तो विकलांगता 41% से 60% तक होती है।
- EHF मान 6 से 7 हो तो विकलांगता 61% से 70% तक होती है।
- EHF मान 8 से 9 हो तो विकलांगता 71% से 80% तक होती है।
- EHF मान 10 से 11 हो तो विकलांगता 81% से 90% तक होती है।
- EHF मान 12 हो तो विकलांगता 91% से 100% तक होती है।
टिप्पणी 1: विकलांगता डोमिनेंट हाथ (ज्यादातर दाएँ) में हो तो विकलांगता प्रतिशत 10% बढ़ा दिया जाता है।
टिप्पणी 2: कुल स्थायी विकलांगता का प्रतिशत कभी 100 के ऊपर नहीं जाएगा।
टिप्पणी 3: प्रभावित व्यक्ति के चाहने या विकलांगता के बढ़ने के आसार होने पर दो साल के बाद विकलांगता का पुनर्मूल्यांकन किया जा सकता है।
नमस्कार महोदय अभी भी हमारे कई डॉक्टर को पता नही है और यह लोग कुष्ठ रोगियों का इलाज करने से कतराते है और इन्हे कुष्ठ विकलांगता का प्रमाण पत्र जारी नही करते है में भी इसी बीमारी से पीड़ित हूं
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