आम बोलचाल की भाषा में हम औसत से कम ऊँचाई वाले किसी भी व्यक्ति को बौना कह देते हैं। कई बार तो लम्बे-लम्बे लोगों के बीच बैठे औसत ऊँचाई वाले इंसान को भी बौनेपन का तमगा दे दिया जाता है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि बौनापन वास्तव में एक चिकित्सकीय रूप से परिभाषित शब्द है। यही नहीं, भारत समेत अन्य कई देशों में इसे विकलांगता की श्रेणी में भी रखा जाता है। इस आलेख में हम बौनेपन की एक विकलांगता के रूप में व्याख्या कर रहे हैं।
बौनापन क्या है?
बौनापन शारीरिक विकास सम्बन्धी एक विकार है जिसमें व्यक्ति के शरीर की ऊँचाई का बढ़ना अवरुद्ध हो जाता है। बौनेपन से प्रभावित व्यक्ति की ऊँचाई उस देश के लोगों की औसत ऊँचाई से कम होती है।
अमेरिका (अमेरिकन डिसेबिलिटी एक्ट के तहत), दक्षिण अफ्रीका और भारत (दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत) जैसे कई देशों में बौनेपन को विकलांगता की श्रेणी में रखा जाता है।
भारत में मानक परिभाषा के हिसाब से वयस्क होने के बाद भी चिकित्सकीय या आनुवांशिक कारणों से 4 फीट 10 इंच (147.32 सेमी) से कम ऊँचाई वाले व्यक्ति को बौनेपन से प्रभावित माना जाता है।
बौनेपन से प्रभावित व्यक्तियों की औसत ऊँचाई भारत में 4 फीट (122 सेमी) होती है।
बौनेपन के कारण
बौनापन किसी भी व्यक्ति में चिकित्सकीय या आनुवांशिक कारणों से हो सकता है। इन चिकित्सकीय और आनुवांशिक कारणों की संख्या 200 से भी ऊपर है। कई बार तो बौनेपन का कोई कारण पता ही नहीं चल पाता। ज़्यादातर मामलों में माता के अंडे या पिता के शुक्राणु में हुए उत्परिवर्तन के कारण बच्चे में बौनापन आ जाता है।
बौनेपन के प्रकार
बौनेपन के अनेक प्रकार होते हैं – इन्हें मोटे तौर पर दो भागों में विभाजित किया जा सकता है:
- समानुपातिक या सदृश बौनापन – इस प्रकार के बौनेपन में पूरा शरीर आनुपातिक ढंग से छोटा होता है। इसमें व्यक्ति के शरीर, हाथ और पैर सभी में वृद्धि की बराबर कमी होती है जिसके कारण व्यक्ति का शरीर समानुपातिक नज़र आता है। यह स्थिति आम तौर पर शरीर के विकास से जुड़े हार्मोनल विकारों के कारण होती है।
- अनुपातहीन बौनापन – इस प्रकार के बौनेपन में शरीर का अनुपात सामान्य नहीं होता। प्रभावित व्यक्ति के शरीर के कुछ भाग औसत ऊँचाई के होते हैं और कुछ अन्य भागों में यह वृद्धि कम होती है। उदाहरण के तौर पर हाथ और पैर विशेष रूप से छोटे हो सकते हैं और शरीर अनुपातहीन नज़र आ सकता है। इस प्रकार का बौनापन सामान्यतः आनुवांशिक कारणों से होता है।
बौनेपन के कुछ मामलों में विकास के अवरोध के साथ ही पैरों के मुड़े होने या रीढ़ की हड्डी के घुमावदार हो जाने (स्कोलियोसिस) जैसी कुछ अतिरिक्त समस्याएँ भी आती हैं। हालाँकि ज्यादातर मामलों में बाकी चीज़ें सामान्य होती हैं और व्यक्ति कमोबेश सामान्य जीवन जी पाता है।
क्या बौनापन एक बीमारी है?
यह काफ़ी रोचक है कि बौनापन विकलांगता तो है लेकिन यह कोई बीमारी नहीं है। बौनेपन से प्रभावित व्यक्ति को बौनेपन के लिए किसी इलाज की ज़रूरत नहीं होती और वे प्रायः सामान्य जीवन जीते हैं।
बौनेपन के विभिन्न प्रकार बस यह बताते हैं कि उस स्थिति से प्रभावित व्यक्ति के शरीर की संरचना और अनुपात कैसे होंगे।
कुछ लोगों में यह भ्रान्ति होती है कि बौने या छोटे कद के लोगों में बौद्धिक क्षमता कम होती है। यह बिलकुल बेबुनियाद बात है; बौनेपन से प्रभावित लोगों में उमूमन सामान्य स्तर की ही बौद्धिक क्षमता होती है और वे एक सफल जीवन जी सकते हैं।
सर मेरी बेटी की हाइट 4 फ़ुट 7 इंच है। वह scolosis से पीड़ित है और उसका ऑपरेशन AIIMS मे हो रखा है। रीढ़ की हड्डी मे रोड लगी है जो लाइफ टाइम रहेगी। उसका एक पैर 3 सेमी छोटा है। क्या उसका बौनेपन की श्रेणी में डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट बन सकता है?
जी हाँ, आपकी बेटी का विकलांगता प्रमाण पत्र बन सकता है। बौनेपन की श्रेणी में भी और लोकोमोटर डिसएबिलिटी की श्रेणी में भी।
मेरी हाइट 145 cm है। क्या मैं dwarfism का सर्टिफ़िकेट बनवा सकती हूँ?
हाँ, आप आवेदन कर सकती हैं।
Sir me Rajasthan beawer district se hu Sir meri height 144 c.m he sir Mera Bonepan shreni me disability certificate ban sakta he kya