ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ए.एस.डी.) का नाम आपने कहीं न कहीं सुना होगा। लेकिन, क्या आपको लगता है कि आपके पास इस विकलांगता के विषय में सही जानकारियाँ हैं? क्या आपको मालूम है कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 द्वारा मान्य 21 विकलांगताओं की श्रेणी में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर को भी जगह दी गयी है?
इस आलेख में हम ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के विषय में कुछ ज़रूरी जानकारियाँ दे रहे हैं जो हम सबको पता होनी चाहिए। यह इसलिए भी ज्यादा ज़रूरी हो जाता है क्योंकि ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक अदृश्य विकलांगता है जिसके विषय में कई भ्रांतियाँ फैली हुई हैं।
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ए.एस.डी.) क्या है
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर की चिकित्सीय परिभाषा बताती है कि यह मस्तिष्क सम्बन्धी विकासात्मक विकारों का एक समूह है जो व्यक्ति के सम्प्रेषण और व्यवहार दोनों को प्रभावित करता है।
आसान शब्दों में कहें तो ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर ऐसी स्थितियों का समूह है जिनमें व्यक्ति का मस्तिष्क सामान्य से अलग तरीके से विकसित होता है। ए.एस.डी. से प्रभावित व्यक्ति के मस्तिष्क के काम करने का तरीका न सिर्फ़ सामान्य लोगों से अलग होता है बल्कि वे अन्य ए.एस.डी. प्रभावित व्यक्तियों से भी अलग होते हैं। यह कहा जा सकता है कि किसी भी प्रभावित व्यक्ति में ए.एस.डी. के लक्षण और उनकी तीव्रता औरों से अलग होती है जो उन्हें सबसे अलग बनाती है।
हालाँकि किसी व्यक्ति पर ए.एस.डी. के प्रभाव को उम्र के किसी भी पड़ाव पर देखा या पहचाना जा सकता है लेकिन इसे विकासात्मक विकार इसीलिए कहते हैं क्योंकि उमूमन इसके लक्षण दो वर्ष तक की आयु में दिखने लगते हैं। हालाँकि ये लक्षण इतने सूक्ष्म हो सकते हैं कि बाल्यवस्था में किसी का इन पर ध्यान ही न जाए।
यह स्थिति सोचने समझने की शक्ति से लेकर भावनाओं को महसूस करने की क्षमता और शारीरिक स्वास्थ्य जैसे व्यक्ति के जीवन के लगभग हर पहलु को प्रभावित करती है।
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ए.एस.डी.) के लक्षण
जैसा कि हमने पहले कहा कि ए.एस.डी. से प्रभावित कोई भी दो व्यक्ति लक्षण और उनकी तीव्रता के आधार पर एक दूसरे से काफ़ी भिन्न हो सकते हैं। ए.एस.डी. से जुड़े लक्षणों की एक लम्बी सूची है। उन लक्षणों को जानने से पहले आपके लिये यह समझना ज़रूरी है कि किसी भी ए.एस.डी. प्रभावित व्यक्ति में आपको यह सारे लक्षण नहीं मिल सकते और इनमें से कुछ लक्षणों के होने के बावजूद यह दावे से नहीं कहा जा सकता कि किसी व्यक्ति को ए.एस.डी. है ही। हम नीचे जिन लक्षणों की सूची दे रहे हैं वे सिर्फ़ इस बात की तरफ इंगित करते हैं कि उक्त व्यक्ति ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ए.एस.डी.) से प्रभावित हो सकता है।
- असामान्य शारीरिक मुद्रा या चेहरे के भाव
- आवाज़ में असामान्य स्वर
- हर किसी से नज़रें मिलाने से बचना
- विभिन्न परिस्थितियों असामान्य व्यवहार
- भाषा को समझने में असामान्य परेशानी
- बात करना देर से सीखना
- बात करते वक़्त स्वर में सामान्य उतार चढ़ाव का न होना
- सामाजिक मेलजोल स्थापित न कर पाना
- किसी एक विषय पर अत्यधिक ध्यान केन्द्रित होना
- सहानुभूति की कमी
- सामजिक इशारों को न समझ पाना
- शब्दों को उनके शाब्दिक अर्थ में ही समझ पाना
- किसी से घुलमिल न पाना
- दो तरफ़ा बातचीत कर पाने में कठिनाई
- किसी शब्द या बात को दोहराते रहना
- किसी एक हरकत को दोहराते रहना
- खुद को नुक्सान पहुँचाने का व्यवहार
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ए.एस.डी.) के कारण
ए.एस.डी. किसी एक कारण से नहीं होता। बल्कि यह किन-किन कारणों से हो सकता है इस पर भी वैज्ञानिकों के पास कोई सटीक जवाब नहीं हैं। अब तक कुछ कारणों की तो पहचान की गयी है लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि ए.एस.डी. की स्थिति उत्पन्न करने के लिए कई कारण साथ मिलकर काम करते हैं।
कुछ बातें जिन्हें वैज्ञानिकों द्वारा ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) का कारण माना गया है वे निम्नलिखित हैं-
- परिवार में ए.एस.डी. का इतिहास
- आनुवांशिक उत्परिवर्तन (म्युटेशन)
- फ्रजाइल एक्स सिंड्रोम या अन्य आनुवांशिक विकार
- जन्म देने वाले माता-पिता की आयु बहुत अधिक होना
- जन्म के वक़्त बच्चे का बहुत कम वज़न
- पर्यावरण में भारी धातु या अन्य विषकारी पदार्थों की अधिकता
- गर्भस्थ शिशु का विषाक्त दवाइयों के संपर्क में आना
अंत में…
हम जितना सोचते हैं ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर उससे कहीं अधिक लोगों को प्रभावित करता है। हमारे आस-पास भी कई ऐसे लोग होंगे जो ए.एस.डी. से प्रभावित हैं लेकिन उनके लक्षण इतने तीव्र नहीं हैं कि उनकी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी प्रभावित हो। इसी कारण कई लोगों को उनकी स्थिति का पता काफ़ी देर से चल पाता है। हालाँकि ए.एस.डी. से प्रभावित हर व्यक्ति विकलांगता की श्रेणी में नहीं आता।
अपने देश भारत की बात करें तो ए.एस.डी. प्रभावित उसी व्यक्ति को विकलांगता की श्रेणी में रखा जाता है जिसकी विकलांगता 40% या उससे ऊपर हो और उस व्यक्ति के रोज़मर्रा का जीवन ए.एस.डी. से प्रभावित हो।
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