इस आलेख में हम जो बात करने जा रहे हैं उसका सम्बन्ध ‘नज़रिये’ से है। इस दुनिया को देखने का हम सबका अपना-अपना नज़रिया होता है। यह ‘नज़रिया’ ही है जो एक ही विषयवस्तु के कई अलग-अलग पहलू हमारे सामने रखता है। यह हमें न सिर्फ किसी विषयवस्तु के विभिन्न पहलुओं के बारे में बल्कि हमारे स्वयं के विचारों और सोच के बारे में भी बताता है।
आगे कुछ कहने से पहले मैं आप सभी पाठकगण का ध्यान ऊपर दी गई तस्वीर की ओर ले जाना चाहती हूँ। साथ ही आप सभी से अनुरोध करती हूँ कि इस तस्वीर को देखकर आपके मन में सबसे पहले जो भी विचार आये हैं; उन्हे नीचे कमेंट बॉक्स में ज़रूर लिखिये; ताकि एक ही विषयवस्तु को अलग-अलग नज़रियों व पहलुओं से देखने व समझने का अवसर हम सभी को प्राप्त हो सके।
कुछ दिन पहले मैं गूगल पर व्हीलचेयर यूज़र लड़की की तस्वीर ख़ोज रही थी। अचानक मुझे यह तस्वीर दिखाई दी। इस तस्वीर ने मुझे अपनी ओर आकर्षित किया और बिना ज़्यादा सोच-विचार किये मैंने इस तस्वीर को अपनी फेसबुक प्रोफ़ाइल पर क़वर फोटो के रूप में लगा दिया| ऐसा करने के कुछ ही समय बाद ही मेरे एक मित्र ने मुझसे इस तस्वीर का अर्थ पूछा और मैंने ‘पता नहीं’ कहकर बात ख़त्म कर दी — क्यूंकि तस्वीर को लेकर मैंने कोई ग़हन अध्ययन तो किया नहीं था।
तभी किसी अन्य व्यक्ति ने मुझे मेरे फेसबुक अकाउंट से इस तस्वीर को हटा देने को कहा और बोला कि इस तरह की तस्वीरें नहीं लगानी चाहियें। इस तरह की विषयवस्तु से समाज को अच्छा संदेश नहीं जाता है। उन सज्जन के ऐसा कहने पर मैंने फेसबुक से इस फोटो को हटा तो दिया; लेकिन इस बात से परेशान हो गयी कि आख़िर इस तस्वीर में ऐसी कौन-सी कमियाँ हैं जो अन्य लोगों को तो दिखाई दे रही थी; पर जिन्हें मैं नहीं देख पा रही थी। मैंने इस तस्वीर में कोई समस्या खोजने की काफ़ी कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पायी। मुझे तो बस इस लड़की के बड़े-बड़े फैले हुए पंख, बैले डांसिंग शूज़ और व्हीलचेयर सकारात्मकता के परिचायक ही लग रहे थें।
तब मैंने अपनी यह परेशानी मेरे पथप्रदर्शक ललित सर को बताई। सर ने मेरा मार्गदर्शन किया और समझाया कि “हर विषयवस्तु के कई पहलू होते हैं और हर व्यक्ति का किसी विषयवस्तु को देखने का अपना एक अलग नज़रिया होता है| कोई व्यक्ति जिस पहलू को महत्वपूर्ण मानता है उस व्यक्ति के लिए वह पूरी विषयवस्तु उस एक पहलू में ही समाहित हो जाती है। वह पहलू सकारात्मक या नकारात्मक, अच्छा या बुरा कुछ भी हो सकता है; लेकिन यह बिल्कुल भी ज़रूरी नहीं कि कोई अन्य व्यक्ति भी उसी पहलू को महत्वपूर्ण मानें। एक पहलू के आधार पर हम पूरी विषयवस्तु का आकलन नहीं कर सकते।”
तब मुझे समझ आया कि इस तस्वीर में मैं एक लड़की को देखती हूँ जो व्हीलचेयर का प्रयोग कर रही है। शारीरिक रुप से भले ही वह अक्षम है; लेकिन इसके फैले हुए बड़े-बड़े पंख इस बात का प्रतीक हैं कि यह एक मज़बूत इरादे वाली साहसी लड़की है; जो अपनी शारीरिक अक्षमता को अपनी सफलता के मार्ग की बाधा नहीं बनने देती। यह साहस के पंख लगाकर ऊँची उड़ान भर सकती है। साथ ही इसके फैले हुए पंख इसकी विस्तृत सोच को भी दर्शाते हैं| इसके डांसिग शूज़ इस बात के प्रतीक लगे कि शारीरिक अक्षमता की वजह से यह अपनी इच्छाओं का त्याग नहीं करती है बल्कि अपनी इच्छाएँ पूरी करने की कोशिशें करती हैं और उन्हें पूरा करने के अन्य रास्ते भी तलाशती है।
कुछ लोगों को यह तस्वीर व्यवहारिक होने की अपेक्षा काल्पनिक अधिक लगे। उन्हें व्हीलचेयर और डांसिंग शूज़ बेमेल या विरोधी चीज़े लग सकती हैं। उनके नज़रिये से यह लड़की जो व्हीलचेयर पर है डांस कैसे कर सकती है, या फिर डांस कर सकती है तो व्हीलचेयर इसके किस काम की है? उनके नज़रिये से इन दोनों स्थितियों में तालमेल नहीं बैठता है और किसी व्यक्ति के पंख तो होते ही नहीं हैं। ये सब केवल कल्पनाओं में ही संभव हैं। इसलिए वे लोग तस्वीर को व्यवहारिक की अपेक्षा काल्पनिक ही मानेगें।
वहीं कुछ लोग इन दोनों विरोधी वस्तुओं को लड़की की आत्मशक्ति और दृढ़ निश्चय का प्रतीक मानेगें। यह मानेगें कि लड़की दो विरोधी परिस्थितियों में सामंजस्य बनाने में समर्थ है। उनके नज़रिये से व्हीलचेयर जहाँ लड़की की अक्षमता और सीमित दायरों का बोध कराती है वहीं इसके फैले हुए बड़े पंख सब बंधनों से मुक्त होकर आगे बढ़ जाने की बात करते हैं। डांसिंग शूज़ लड़की के सपनों और उसकी मज़बूत इच्छाशक्ति को दर्शाते हैं; जो प्रतिकूल परिस्थितियों में न सिर्फ़ जीवन जी सकती है बल्कि जीवन को ख़ुशहाल और लक्ष्यपूर्ण बनाने की भी कोशिशें करती हैं।
इस तस्वीर को देखने का कुछ लोगों का नज़रिया यह भी है कि उनके अनुसार ऐसी तस्वीरों से समाज में ग़लत संदेश जाता है। अत: इस तरह की विषय-वस्तु समाज में प्रसारित नहीं करनी चाहिए। जिन लोगों का ऐसा नज़रिया होता है उन्हें लड़की के पंखो और परिधान पर आपत्ति हो सकती है। वे शायद लड़की के खुले, बड़े पंखों और वेशभूषा को लड़की के बेपरवाह और अत्याधुनिक होने का प्रतीक मान सकते हैं। जो कि एक पुरुषप्रधान समाज में कभी भी स्वीकार्य नहीं होता है। यहाँ तो लड़कियों को व उनकी सोच को हज़ार प्रतिबंधों में रहना होता है और अगर बात एक विकलांग लड़की की हो रही है तो फिर कहना ही क्या! कुछ लोग एक विकलांग लड़की को तो इस स्वरूप में बिल्कुल भी नहीं देख सकते।
मेरे नज़रिये से कोई अक्षमता हमारे शरीर के एक या अधिक अंगो को प्रभावित ज़रूर कर सकती है। हमारी गतिविधियों को कुछ सीमित कर सकती है; लेकिन जीवन में आगे बढ़ने, खुश रहने, अपनी इच्छाओं को पूरा करने से क़तई नहीं रोक सकती। हमें सिर्फ़ दृढ़ निश्चय, साहस और सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ने की ज़रूरत होती है। अपने लिए स्वयं रास्ते ख़ोजने की ज़रूरत होती है। दूसरे लोग हमारे बारे में क्या सोच रहे हैं, इस पर हमें ज़्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए। अपनी बुद्धि और विवेक का प्रयोग कर अपने व्यक्तित्व का निर्माण करना चाहिए न कि दूसरे की सोच का बिना सोचे-समझे समर्थन करना चाहिए। यहाँ हमने इस तस्वीर से सम्बंधित कुछ अलग-अलग नज़रियों के बारे में बात की है। इस तस्वीर के बारे में आपका क्या नज़रिया है कृपया कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताइए। आपकी प्रतिक्रिया का हमें इंतज़ार रहेगा।
Sahi baat hai… sbka nazariya alag alag hota hai
व्हीलचेयर यानी विकलांग लड़की, पंख यानी हौसला 👍👍
Your perception was right on sharma ji