दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए घर को सुगम्य बनाने के तरीके

a blind woman reading a braille book sitting on a chair in a drawing room.

सुगम्यता शब्द सुनते ही हम व्हीलचेयर और उसके लिए बने रैम्प के बारे में सोचने लगते हैं। लेकिन विकलांगता केवल चलन सम्बन्धी नहीं होती और सुगम्यता केवल रैम्प तक सीमित नहीं है। हालाँकि व्हीलचेयर के लिए सुगम्य स्थान भी बहुत अधिक नहीं हैं लेकिन यह एक ऐसा विषय है जिस पर कुछ हद तक बातें होती हैं। दृष्टिबाधितों के लिए सुगम्य स्थान एक ऐसा विषय है जो सामान्यतः चर्चा में नहीं रहता।

अपने घर में कुछ छोटे-छोटे बदलाव लाकर हम उसे किसी दृष्टिबाधित व्यक्ति के लिए भी अनुकूलित कर सकते हैं। घर में एक छोटा-सा परिवर्तन परिवार के किसी दृष्टिबाधित सदस्य के जीवन को बहुत आसान बना सकता है। इस आलेख में हम ऐसे ही कई छोटे-छोटे बदलावों की बात कर रहे हैं जो दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए सुगम्यता के लिहाज़ से बड़े कदम हो सकते हैं।

अपने घर की प्रकाश व्यवस्था पर ध्यान दें

यह एक बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी है कि दृष्टिबाधित लोगों को प्रकाश की आवश्यकता नहीं होती या प्रकाश के होने या न होने से उन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता। वास्तव में अधिकांश दृष्टिबाधित लोगों के लिए प्रकाश एक ज़रूरी चीज़ है। कई दृष्टिहीन व्यक्ति भी प्रकाश को अनुभव पाते हैं। सो, आपको अपने घर को प्रकाश के लिहाज़ से सुगम्य बनाने के लिए क्या करना चाहिए?

  • हॉलवे, सीढ़ियाँ, प्रवेश द्वार आदि जैसी जगहों को अच्छे से प्रकाशित रखें।
  • कहीं भी आँखों को चौंधियाने वाली रौशनी नहीं होनी चाहिए यह ज्यादातर दृष्टिबाधितों को असहज करती है।
  • प्राकृतिक प्रकाश को भीतर लाने के लिए कमरों में खिड़कियाँ होनी चाहिए लेकिन उन पर परदे भी होने चाहिए ताकि पूरे दिन ज़रूरत के हिसाब से प्रकाश को नियंत्रित किया जा सके।
  • घर में सारी बत्तियाँ एक ही ऊँचाई पर होनी चाहिए ताकि अनावश्यक छाया किसी अल्प-दृष्टि वाले व्यक्ति को भ्रमित न करे।
  • अलमारियों के अन्दर भी बत्तियाँ होनी चाहिए और वे ऐसे लगी होनी चाहिए कि प्रकाश देखी जाने वाली वस्तु पर गिरे न कि देखने वाले के चेहरे पर।
  • कंप्यूटर, टीवी आदि जैसे स्क्रीन ऐसे जगह नहीं होने चाहिए जहाँ उन पर सीधे प्रकाश गिरे। इससे आँखें चुंधियाँ सकती हैं और दृष्टिबाधित व्यक्ति भ्रमित हो सकता है।

पूरे घर में रंगों के भेद बनाये रखने पर ध्यान दें

रंगों का महत्व दृष्टिबाधित लोगों के लिए भी बहुत होता है। वे किसी चीज़ को जल्दी खोज सकते हैं यदि उस चीज़ का रंग उसके बैकग्राउंड से बिलकुल अलग हो। अपने घर में कंट्रास्ट रंगों का इस्तेमाल कर के आप परिवार के किसी दृष्टिबाधित सदस्य की ज़िन्दगी काफ़ी आसान कर सकते हैं।

  • दरवाज़े का हैंडल दरवाज़े से बिलकुल अलग/कंट्रास्ट रंग का होना चाहिए।
  • दीवार यदि हल्के रंग की है तो स्विच बोर्ड गहरे रंग का होना चाहिए।
  • फर्नीचर पीछे की दीवार के रंग से बिलकुल अलग रंग का होना चाहिए।
  • हर सीढ़ी का किनारा कंट्रास्ट रंग से रंग होना चाहिए ताकि दृष्टिबाधित व्यक्ति यह आसानी से समझ सके कि सीढियों की शुरुआत कहाँ से हो रही है। इससे दृष्टिबाधित व्यक्ति को सीढियों की ऊँचाई और गहराई का अंदाज़ा लगाने में भी मदद मिलती है।
  • इसी तरह रसोई में सिंक और काउंटरटॉप के किनारे भी कंट्रास्ट रंग से रंगे होने चाहिए ताकि दृष्टिबाधित व्यक्ति बिना टकराए अपना काम कर सके।
  • फल-सब्जी काटने का चॉपिंग बोर्ड एक तरफ हल्के और दूसरी तरफ गहरे रंग का होना चाहिए ताकि दृष्टिबाधित व्यक्ति किसी भी रंग के फल और सब्जी आसानी से काट सके। उँगलियों को कटने से बचाने के लिए फिंगर कैप का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • बाथरूम का फ़र्श और दीवार अलग रंग के होने चाहिए। यदि ऐसा नहीं है तो कम-से-कम किनारों को कंट्रास्ट रंग से रंगा जाना चाहिए ताकि व्यक्ति दोनों में अंतर कर पाए। हैंगर, बेसिन, कमोड, नल आदि दीवारों के रंग के नहीं होने चाहिए।

अपने घर को स्पर्शनीय प्रभाव दें

दृष्टिबाधित व्यक्ति अपने आस-पास के वातावरण को समझने के लिए स्पर्श का काफ़ी प्रयोग करते हैं इसलिए आपको चाहिए कि आप अपने घर में इस चीज़ को जगह दें। डॉक्टर भी दृष्टिबाधित बच्चों को दृष्टि की कमी को स्पर्श से पूरा करने की कोशिश करने की सलाह देते हैं क्योंकि ज्यादातर मामलों में आँखों की रौशनी एक-सी नहीं रहती।

  • जब भी आप कोई फर्नीचर लें तो अलग-अलग बनावट और टेक्सचर वाला फ़र्नीचर लेने की कोशिश करें। इससे कोई भी दृष्टिबाधित व्यक्ति टेक्सचर से एक कमरे के फर्नीचर को दूसरे से अलग पहचान पाएगा।
  • किचन में टैकटाइल तरीके की मार्किंग होनी ही चाहिए।
  • फ़र्श पर स्ट्रिप्स या चेक जैसे डिज़ाइन नहीं होने चाहिए। ये डिज़ाइन भ्रमित करते हैं।
  • सभी स्विच को उभरे हुए अक्षरों से चिन्हित किया जा सकता है जिससे कि दृष्टिबाधित व्यक्ति बगैर सहायता अपना काम कर सकें। उदाहरण के तौर पर फैन के स्विच पर उभरा हुआ एफ़ चिपकाया जा सकता है।
  • सीढियों के हैण्डरेल्स पहली और आख़िरी सीढ़ी के कुछ आगे तक होने चाहिए।
  • दृष्टिबाधित व्यक्ति के व्यक्तिगत इस्तेमाल की चीजों को भी ऐसा बनाया जा सकता है कि वे स्पर्श से पहचान सके। उदाहरण के तौर पर उनके टूथब्रश पर रबरबैंड लगाने से वे अपना टूथब्रश बिना किसी सहायता के पहचान पाएँगे।
  • इसी तरह उनके कपड़ों पर भी कढ़ाई से कुछ निशान बनाए जा सकते हैं।

अपने घर को सुरक्षित बनाएँ

सुरक्षा की ज़रूरत तो हर किसी को होती है पर दृष्टिबाधित लोगों के साथ टकराने और गिरने का खतरा ज्यादा होता है। यदि आपके घर में कोई दृष्टिबाधित व्यक्ति हो तो आपको अपने घर को सुरक्षित बनाने के लिए ज्यादा ध्यान देना होगा।

  • पकड़ने के लिए ग्रैब-बार ज़रूरत के अनुसार हर जगह लगाएँ। कमोड और शॉवर के पास तो यह बहुत ही ज़रूरी है।
  • फ़र्श पर चीजें बिखरी हुई नहीं होनी चाहिए और कुछ गिर जाने पर उसे तुरंत ही साफ किया जाना चाहिए।
  • यदि दृष्टिबाधित व्यक्ति हाथों के सहारे दीवार को छूते हुए अपना रास्ता ढूंढता है तो हाथों की ऊँचाई पर कोई तस्वीर या फ्रेम ना लगाए। दीवार टटोलते समय इस तरह की चीज़ों के गिरने से व्यक्ति को चोट लगा सकती है।
  • फ़र्श पर कालीन बिछे हों तो उनके किनारों पर टेप लगा होना चाहिए जिससे किसी के उलझ कर गिरने का खतरा न हो।
  • फ़र्श बहुत चिकने और चमकीले नहीं होने चाहिए। ज्यादा चमकीले फर्शों पर हर चीज़ की छाया दिखती है और यह किसी दृष्टिबाधित व्यक्ति को भ्रमित कर सकती है।

सुगम्यता के ऐसे छोटे-छोटे बदलावों से आप किसी की ज़िन्दगी में काफ़ी बड़े बदलाव ला सकते हैं। इस विषय पर आपकी जो भी राय हो हमसे साझा कीजिए।

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