कोठारी इंटरनेशनल स्कूल, नोएडा हर वर्ष ‘रेनबो’ नामक एक कार्यक्रम का आयोजन करता है। विद्यालय परिसर में विविधता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किये जाने वाले इस कार्यक्रम में दिल्ली-एन.सी.आर. क्षेत्र के बहुत से स्कूलों के विशेष आवश्यकताओं वाले विद्यार्थी भाग लेते हैं और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं। रेनबो 2025 इस कड़ी में सातवाँ कार्यक्रम था जिसका आयोजन आज 11 फ़रवरी 2025 को किया गया। इस कार्यक्रम में करीब 40 स्कूलों के 320 विद्यार्थियों ने भाग लिया।
विशेष आवश्यकताओं वाले विद्यार्थी ऑटिज़्म, डाउन सिन्ड्रोम, ए.डी.एच.डी., लर्निंग डिसेबिलिटीज़, बौद्धिक विकलांगता जैसी स्थिति से प्रभावित होते हैं। इन विद्यार्थियों को शिक्षित करने के लिये स्कूलों में विशेष शिक्षकों द्वारा ख़ास-तौर पर डिज़ाइन किया गया पाठ्यक्रम, पुस्तकें व अन्य सामग्री प्रयोग में लाई जाती है। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि ये विद्यार्थी अन्य विद्यार्थियों के साथ मिलजुल कर ही शिक्षा प्राप्त करें और अपनी-अपनी व्यक्तिगत क्षमताओं का विकास करें।
मुझे रेनबो 2025 में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेने का सम्मान व सौभाग्य मिला। इससे पहले रेनबो 2019 में भी मुझे भाग लेने का अवसर मिला था। कोठारी इंटरनेशनल स्कूल, नोएडा में विशेष आवश्यकताओं वाले विद्यार्थियों के लिये इस समय 22 शिक्षकों और सहयोगियों का स्टाफ़ कार्य करता है। इनमें से गौरव अदीब और अक़्सी नक़वी मेरे अच्छे मित्र हैं — रेनबो विभाग की पूरी टीम इस समय लगभग 90 विद्यार्थियों के लिये समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करती है। इस स्कूल में केवल रेनबो विभाग ही नहीं बल्कि बोर्ड ऑफ़ ट्रस्टीज़ व प्रिंसिपल से लेकर सभी शिक्षकों व सहयोगी स्टाफ़ का काम और व्यवहार ऐसा है कि वे मन को जीत लेते हैं। मैंने अन्य किसी भी स्कूल में विशेष और समावेशी शिक्षा के प्रति इतना समर्पण नहीं देखा है। यही कारण है कि रेनबो कार्यक्रम में हर वर्ष प्रतिभागियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। इस वर्ष रेनबो 2025 में इतनी बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने भाग लिया कि सभी प्रस्तुतियों को स्कूल के भीतर ही कई अलग-अलग स्थानों पर आयोजित करना पड़ा।
कोठारी इंटरनेशनल स्कूल, नोएडा के अधिकांश हिस्से व्हीलचेयर के लिये सुगम्य हैं लेकिन कई स्थानों पर रैम्प नहीं बनी थी। गौरव और अक़्सी यह जानते थे कि अब मै व्हीलचेयर प्रयोग करता हूँ। ऐसे में उनके लिये आसान रास्ता तो यह होता कि वे किसी ऐसे व्यक्ति को मुख्य अतिथि का सम्मान देते जिसे व्हीलचेयर और रैम्प की आवश्यकता न हो — लेकिन इस स्कूल के समावेशन के प्रति समर्पण का यह एक और उदाहरण है कि कार्यक्रम से एक दिन पहले ही हर उस जगह लकड़ी के अस्थायी रैम्प बनवा दिये गये जहाँ मुझे जाना था। मुझे इन रैम्प्स की तस्वीरें भेज कर यह भी पूछा गया कि क्या ये मेरे लिये सुविधाजनक हैं – यदि किसी बदलाव की आवश्यकता हो तो कृपया बतायें।
कोठारी इंटरनेशनल स्कूल और रेनबो टीम ने आसान रास्ता चुनने की अपेक्षा समावेशन का वह रास्ता चुना जिसे वास्तव में चुना जाना चाहिये। समावेशन इतना भी मुश्किल काम नहीं है — हमें बस इसे व्यवहार में ला कर वास्तविकता में बदलने की ज़रूरत है। लकड़ी के ये अस्थायी रैम्प देख कर मेरा मन इतना आनंदित हुआ कि मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता — मेरे लिये इन रैम्प्स को बनाकर स्कूल ने एक ऐसा उदाहरण पेश किया है जिसे मिसाल ही कहा जाएगा। इसके अलावा भी रेनबो टीम ने मेरी सभी आवश्यकताओं और सहजता का इतनी सटीकता के साथ ध्यान रखा कि मैं वास्तव में समावेशित महसूस करने लगा। बाद में सभी ने मुझे आश्वासन दिया कि जल्दी ही इन अस्थायी रैम्प्स को स्थायी बना दिया जाएगा।
आज के रेनबो 2025 कार्यक्रम में विभिन्न स्कूलों के प्रतिभागी विद्यार्थियों ने गीत गाए, नृत्य किया, पेंटिंग की, ड्रॉइंग की, मॉडल्स बनाये… इसके अलावा भी और अनेक गतिविधियों में इन बच्चों ने अपनी प्रतिभा प्रदर्शित की। रेनबो कार्यक्रम प्रतिभागिता और प्रयास का पर्व है इसलिये इस में भाग लेने वाले सारे ही बच्चे विजेता होते हैं और सभी को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया जाता है। इन सब बच्चों की प्रस्तुतियाँ देखकर मैं आनंदित होता रहा और अंत में जब इन सभी को मेडल पहनाने का अवसर मिला तो मैंने खुद को सम्मानित अनुभव किया।
इस कार्यक्रम के ज़रिये मुझे थियेटर कलाकार कुलजीत सिंह और थियेटर व विकलांगता के क्षेत्र में शोधकर्ता डॉ. मानसी ग्रोवर से मिलने अवसर भी मिला। आप दोनों भी इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे। रेनबो 2019 में इसी तरह मैं अपराजिता शर्मा से मिला था। हालांकि मैं और अपराजिता जी काफ़ी समय से एक-दूसरे परिचित थे लेकिन मिलने का अवसर हमें रेनबो 2019 में ही मिला था। अब अपराजिता जी हमारे बीच नहीं हैं लेकिन हमने उन्हें और उनके सुंदर काम को खूब याद किया।
कोठारी इंटरनेशनल स्कूल, नोएडा की प्रिंसिपल डॉ. संगीता अरोड़ा के नेतृत्व में आयोजित हुए रेनबो 2025 ने हमारे मन में रंग-बिरंगी आशाओं और सपनों को उकेर दिया है। स्कूल की पूरी टीम को मैं दिल से धन्यवाद देना चाहता हूँ।
A gamut of emotions surged reading this.
Respect for the team at school who work so religiously for inclusion. The temporary ramps created speak volumes of their dedication.
Best wishes to the school and all the kids.
Thanks to the author for writing this post and articulating the experience so beautifully!