विकलांगजन के लिए सुगमता का महत्त्व

accessibility in school toilet

लेखक: हिमांशु कुमार सिंह • गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, के रहने वाले और पोलियो से प्रभावित हिमांशु विकलांगता डॉट कॉम के ज़रिये अपनी बात साझा कर रहे हैं।

आज के समय में जब हम एक समावेशी और सुलभ समाज की बात करते हैं तो यह अनिवार्य है कि हर व्यक्ति को, चाहे वह शारीरिक रूप से सक्षम हो या विकलांग, समान सुविधाएँ और अधिकार प्राप्त हों। परंतु हकीकत यह है कि विकलांग व्यक्तियों के लिए आज भी कई सार्वजनिक स्थानों पर समुचित सुगमता (accessibility) की कमी है। चाहे वह स्कूल हो, कॉलेज हो, मॉल हो, सरकारी इमारत हो या सार्वजनिक शौचालय, हर जगह विकलांग व्यक्तियों को अपने रोज़मर्रा के कार्यों को पूरा करने के लिए कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

यह समझना ज़रूरी है कि सुगमता सिर्फ एक सुविधा नहीं, बल्कि एक अधिकार है, और इसे सभी सार्वजनिक स्थानों पर सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

विकलांग व्यक्तियों के लिए दैनिक जीवन में आने वाली चुनौतियाँ विविध प्रकार की होती हैं। कुछ व्यक्तियों को शारीरिक विकलांगता होती है, कुछ को दृष्टिबाधिता, कुछ को सुनने में कठिनाई होती है, और कुछ को मानसिक या संज्ञानात्मक विकलांगता होती है। यह सभी के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है कि उन्हें समाज में पूरी तरह से हिस्सा लेने के लिए आवश्यक सभी सुविधाएँ प्रदान की जाएँ।

शिक्षण संस्थान (स्कूल और कॉलेज)

शिक्षा हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है लेकिन विकलांग विद्यार्थियों के लिए स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई करना हमेशा आसान नहीं होता। कई शिक्षण संस्थानों में न तो रैंप की सुविधा होती है और न ही लिफ्ट की। व्हीलचेयर का उपयोग करने वाले विद्यार्थियों के लिए कक्षाओं तक पहुँचना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इसके अलावा श्रवणबाधित विद्यार्थियों के लिए सुनने के उपकरण या सांकेतिक भाषा की व्यवस्था की कमी भी एक बड़ी समस्या है।

समाधान: शिक्षण संस्थानों में रैंप, लिफ्ट और ब्रेल लिपि की पुस्तकें अनिवार्य की जानी चाहिए। साथ ही श्रवणबाधित छात्रों के लिए सांकेतिक भाषा के प्रशिक्षकों और ऑडियो-विजुअल शिक्षण सामग्री का उपयोग किया जाना चाहिए ताकि उनकी शिक्षा में कोई रुकावट न आए।

मॉल और पर्यटन स्थल

मॉल, सिनेमा हॉल और पर्यटन स्थलों पर विकलांग व्यक्तियों के लिए बहुत कम सुविधाएँ होती हैं। मॉल के शौचालय और अन्य सेवाओं तक पहुँचना कई बार उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसके अलावा, पर्यटन स्थलों पर दृष्टिहीन लोगों के लिए कोई विशेष मार्गदर्शन या सुविधाएँ नहीं होतीं, जिससे उनका वहाँ जाना मुश्किल हो जाता है।

समाधान: मॉल और पर्यटन स्थलों पर हर जगह पर रैंप की सुविधा होनी चाहिए। व्हीलचेयर के उपयोग के लिए उपयुक्त शौचालयों का निर्माण किया जाना चाहिए। पर्यटन स्थलों पर दृष्टिहीन लोगों के लिए विशेष ऑडियो गाइड और श्रव्य संकेतक होने चाहिए, ताकि वे आसानी से यात्रा का आनंद ले सकें।

सरकारी इमारतें और सेवाएँ

विकलांग लोगों के लिए सरकारी कार्यालयों में काम करना या सेवाओं का उपयोग करना कठिन होता है। कई सरकारी इमारतों में न तो रैंप होते हैं और न ही लिफ्ट, जिससे विकलांग व्यक्तियों के लिए उन तक पहुँचना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, सरकारी सेवाओं के लिए लंबी कतारें और पेचीदा प्रक्रियाएँ भी उनके लिए एक बाधा के रूप में काम करती हैं।

समाधान: हर सरकारी इमारत में रैंप, लिफ्ट और विकलांग लोगों के लिए विशेष काउंटर होने चाहिए। इसके अलावा डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा देकर विकलांग व्यक्तियों को ऑनलाइन माध्यम से भी सेवाएँ दी जानी चाहिए ताकि वे आसानी से अपने काम पूरे कर सकें।

सार्वजनिक परिवहन

बस, मेट्रो और ट्रेन जैसी सार्वजनिक परिवहन सेवाएँ विकलांग व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण होती हैं। अधिकांश बसों और ट्रेनों में व्हीलचेयर के लिए उपयुक्त स्थान नहीं होता, और न ही रैंप की सुविधा होती है। श्रवणबाधित और दृष्टिबाधित यात्रियों के लिए भी उपयुक्त घोषणाएँ और संकेतक नहीं होते जिससे उनकी यात्रा कठिन हो जाती है।

समाधान: सभी सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में विकलांग व्यक्तियों के बैठने के लिए विशेष स्थान और सुविधाएँ होनी चाहिए। बस स्टॉप और मेट्रो स्टेशनों पर श्रव्य संकेतक और सूचनात्मक घोषणाएँ होनी चाहिए ताकि सभी लोग आसानी से अपनी यात्रा पूरी कर सकें। इसके साथ ही, व्हीलचेयर उपयोगकर्ताओं के लिए विशेष रैंप और लिफ्ट की व्यवस्था भी की जानी चाहिए।

सार्वजनिक शौचालय

सार्वजनिक शौचालयों में विकलांग व्यक्तियों के लिए सुविधाएँ लगभग नगण्य होती हैं। अक्सर शौचालय का प्रवेश द्वार छोटा होता है और अंदर व्हीलचेयर के लिए पर्याप्त स्थान नहीं होता। इसके अलावा वहाँ पर पकड़ने के लिए रेलिंग की कमी होती है, जिससे विकलांग व्यक्ति को शौचालय का उपयोग करने में कठिनाई होती है।

समाधान: सार्वजनिक शौचालयों को ऐसे डिज़ाइन किया जाना चाहिये कि विकलांग व्यक्तियों सहित अन्य सभी लोग इन सुविधाओं का आसानी से प्रयोग कर सकें। इन शौचालयों में चौड़े दरवाज़े, पकड़ने के लिए रेलिंग, और आसानी से प्रयोग होने वाले फ्लश और पानी की सुविधा होनी चाहिए। साथ ही शौचालयों को साफ़ और सुरक्षित रखा जाना चाहिए।

विश्व की कुल जनसंख्या का लगभग 15% हिस्सा किसी न किसी प्रकार की विकलांगता से प्रभावित है। फिर भी विकलांगजन की समस्याओं और चुनौतियों को नज़रअंदाज़ किया जाता है।

एक प्रसिद्ध उद्धरण है: “विकलांगता बाधा नहीं है, लेकिन सुगमता की कमी एक बड़ी बाधा है।”

इस उद्धरण से यह स्पष्ट होता है कि विकलांग व्यक्ति अपनी विकलांगता के कारण पीछे नहीं रहते बल्कि सही सुविधाओं की कमी के कारण उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अगर समाज में सुगमता पर ध्यान दिया जाए, तो विकलांग व्यक्तियों के लिए जीवन और भी सुगम हो सकता है।

सार्वजनिक स्थानों पर विकलांग व्यक्तियों के लिए सुगमता सिर्फ एक आवश्यकता नहीं बल्कि यह उनका मौलिक अधिकार है। इसे सुनिश्चित करने के लिए सरकार, निजी संस्थान, और समाज सभी को मिलकर काम करना होगा। शिक्षा, पर्यटन, परिवहन और शौचालय सभी जगहों पर विकलांग व्यक्तियों के लिए विशेष सुविधाएँ होनी चाहिए।

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Pramila
Pramila
2 days ago

बहुत अच्छा लेख विकलांग जनों की सभी समस्याओं पर को ध्यान में रखते हुए समाधान भी दिया गया है

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