बौनेपन से प्रभावित भारत के प्रसिद्ध व्यक्तियों की सूची
बौनेपन से प्रभावित भारत के प्रसिद्ध व्यक्तियों की सूची। बौनापन एक ऐसी स्थिति है जो व्यक्ति के शरीर की ऊँचाई को औसत से कम पर सीमित कर देती है।
बौनेपन से प्रभावित भारत के प्रसिद्ध व्यक्तियों की सूची। बौनापन एक ऐसी स्थिति है जो व्यक्ति के शरीर की ऊँचाई को औसत से कम पर सीमित कर देती है।
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कहानी एक बच्चे की जिसका एक हाथ नहीं है। जानिये कि कैसे वह अपने गुरु से शिक्षा लेकर विजेता बनता है।
पूजा प्रियम्वदा अदृश्य विकलांगता के साथ अपने प्रतिदिन के संघर्ष के बारे में बता रही हैं कि हमारी लड़ाई सिर्फ हमारी अदृश्य विकलांगताओं से ही नहीं बल्कि ग़लत मान्यताओं, जानकारी के अभाव से भी है।
दृष्टिहीनता की विकलांगता के रूप में परिभाषा और प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया
कुष्ठ रोग के उपचार के बाद यदि किसी व्यक्ति को आँखो, हाथों या पैरों में विकलांगता है तो उस व्यक्ति को दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के अनुसार विकलांगजन की श्रेणी में रखा जाएगा।
प्रदीप सिंह अपने कॉलम “ख़ुद से बातें” में बता रहे हैं कि विकलांगजन को समझने की अपेक्षा समाज द्वारा उन्हें स्वीकार करने पर अधिक ज़ोर देना चाहिये।
नुपुर शर्मा विकलांगता डॉट कॉम पर “खुलते पिंजरे” शीर्षक से अपना कॉलम आरम्भ कर रही हैं। कॉलम के अपने पहले लेख में वे सम्यक ललित द्वारा रचित “अब मैंने पर खोल लिये हैं” कविता पर चर्चा कर रही हैं।
बौनेपन को अब एक विकलांगता के रूप में परिभाषित किया जाता है। इस लेख में जानिये बौनेपन की परिभाषा, लक्षण और प्रकार के बारे में। इस स्थिति से प्रभावित व्यक्ति एक सामान्य जीवन जी सकते है।
आज के सोशल मीडिया के दौर में यह स्पष्ट है कि यदि विकलांगजन इस माध्यम पर एकजुट नहीं होंगे तो हम अपने अधिकारों की लड़ाई कभी नहीं जीत पाएँगे। सम्यक ललित का राही मनवा कॉलम
इस लेख में जानिए कि बहु-विकलांगता क्या है, इसकी परिभाषा, प्रकार और उदाहरण क्या हैं।
समाज में बनी रीतियों के कारण विकलांगजन को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। हर व्यक्ति को अपने तरीके से अपना जीवन जीने की छूट मिलनी चाहिये। संजीव शर्मा का आलेख…
मैंने अधिकांश केसों में यही पाया कि जो विकलांग और सामान्य भाई-बहनों के बीच का जो रिश्ता बचपन में बहुत मज़बूत होता था; वह समय के साथ-साथ अचानक कमज़ोर होने लगता है। बड़े होने पर अधिकतर सामान्य भाई-बहन, विकलांग भाई-बहनों को बोझ मानने लगते हैं। वे उनकी देखभाल प्यार से समर्पित होकर नहीं बल्कि सिर पर पड़ी एक अनचाही जिम्मेदारी मानकर करते हैं।
इस आलेख में नूपुर शर्मा विकलांग बच्चों के अपने भाई-बहन के साथ सम्बंध की पड़ताल कर रही हैं। अपने ग़ैर-विकलांग भाई-बहनों से मिलने वाले स्नेह और समर्थन का विकलांग बच्चों के बचपन में महत्त्वपूर्ण योगदान होता है।