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ख़ुशियों के रंग

सूरज से मेरी दोस्ती १४ वर्ष पुरानी है। दोस्ती क्या, लोग शायद इसे सिर्फ़ जान-पहचान ही कहें, क्योंकि न वो कभी मेरे घर आता है और न ही मैं कभी उसके घर जाती हूँ। फ़ोन पर भी साल-छः महीने में एक-आध बार ही बात हो पाती है। लेकिन इतना है कि हम जब भी और जो भी बात करते हैं, वो बिल्कुल सच्ची होती हैं, बनावट रहित। मतलब ईमानदारी से भरी। इसीलिए हम एक दूसरे पर विश्वास करते हैं, बस! इतनी-सी है दोस्ती।

2019 में उसकी शादी थी तो वो अपने दोस्त के साथ मेरे घर आया था शादी का कार्ड देने। लेकिन, जैसा कि हमेशा होता है, मैं कहीं नहीं जाती हूँ, तो उसकी शादी में भी…

वो बहुत गुस्सा हुआ, क्योंकि उसे पूरी उम्मीद थी कि मैं आऊँगी। उसने कहा तुम्हें कोई परेशानी थी तो मुझे बताया होता, मैंने तुम्हें अपनी गाड़ी से बुलवा लिया होता। 17 जुलाई 2022 को उसके बेटे का पहला जन्मदिन था तो उसने मुझे फिर से बुलाया, और कहा कि कोई बहाना नहीं चलेगा, इस बार जरूर आना है। तो मैंने भी इस बार पापा से ज़िद करके उसके बेटे की जन्मदिन की पार्टी में गई।

मैंने देखा वहाँ शायद 50 से भी अधिक लोग दृष्टिहीन थे। बच्चे, बूढ़े, जवान, महिलाएँ, सभी दृष्टिहीन। जो अलग-अलग स्थानों से आकर वहाँ इकट्ठे हुए थे। सभी पढ़े-लिखे, आधुनिक, सरकारी नौकरियों वाले, ऊँचे ओहदे वाले, स्मार्ट।

केक कटने के बाद सभी भोजन के लिए बैठे। सभी गप्पे मारते, एक-दूसरे को छेड़ते, मज़ाक करते। कुछ मुश्किलों का समाधान निकालते, प्रोत्साहन देते। स्कूल-कॉलेज, परीक्षाओं की बातें करते। और हाँ! कुछ लोग तो पहेलियाँ पूछने वाला खेल भी खेल रहे थे। हवा में हाथ बढ़ाकर कहते “तू यहीं है न? मेरे सामने है या बगल में?” इन्हीं सब बातों के साथ भोजन चल रहा था। मैं भी इसका हिस्सा थी और उस पल का आनन्द ले रही थी, कि तभी माइक पर आवाज आई “हेलो! लेडीज एंड जेंटलमैन….”

ये सूरज था, उसने आये हुए सभी मेहमानों का आभार प्रकट किया। अपने पिछले दो-चार वर्ष के जीवन के विषय में बताया कि कैसे-कैसे उसके जीवन में बदलाव आते चले गये। फिर उसने अपने बच्चे को एक गीत समर्पित करते हुए गाना शुरू किया “तू मेरा दिल, तू मेरी जाँ…” वो बहुत अच्छा गा रहा था और सारा जलसा उसमें झूम रहा था। मैं उसे रिकॉर्ड करना चाह रही थी लेकिन मैं उस वक़्त खाना खा रही थी।

क्योंकि, सूरज एक गायक है तो सभी उससे और गीतों की फरमाइश करने लगे, उसने और भी गीत सुनाएँ।

मैंने उस दिन एक नई दुनिया देखी, बिल्कुल रोमांचकारी। नया अनुभव। क्योंकि, ये वो लोग थे जिन्होंने घर से निकलते हुए, आईना देखकर ये नहीं सोचा होगा कि ‘अपने चेहरे और कपड़ों को थोड़ा और संवार लूँ, जिससे जलसे में आकर्षण का केन्द्र बनूँ।’ उन्होंने हमेशा अपने सद्गुणों, व्यवहार पर बल दिया और सबको आकर्षित किया। मुझे हमेशा याद रहेगा वह समारोह।

सूरज एसबीआई में शाखा प्रबंधक हैं।

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