युद्ध की आग में विकलांगजन – उपेक्षित और अनदेखी चुनौती
युद्ध का वास्तविक चेहरा केवल सैन्य बलों या युद्ध के मैदान में दिखने वाली विजय में नहीं, बल्कि उन अनदेखी आवाज़ों में छिपा है, जो संघर्ष के बीच अपनी सुरक्षा और अधिकारों की मांग करती हैं।
युद्ध का वास्तविक चेहरा केवल सैन्य बलों या युद्ध के मैदान में दिखने वाली विजय में नहीं, बल्कि उन अनदेखी आवाज़ों में छिपा है, जो संघर्ष के बीच अपनी सुरक्षा और अधिकारों की मांग करती हैं।
मुकेश सब समझ गया कि क्यों पुजारी जी उसे यहाँ लेकर आये थे। वह दौड़कर पुजारी जी के पास पहुँचा और उन्हें गले से लगा लिया। वह समझ गया था कि जीवन का मूल्य क्या है। उसकी आँखों से प्रेम और ग्लानि के मिश्रित अश्रु बह रहे थे।
विकलांग व्यक्ति सिर्फ सहानुभूति के पात्र नहीं, वे सम्मान, अवसर और बराबरी के हकदार हैं। अब समय आ गया है कि समाज अपनी सोच बदले, ताकि हर व्यक्ति अपनी शर्तों पर जी सके, और कोई भी घोड़ा सिर्फ इसलिए मौत के घाट न उतार दिया जाए क्योंकि वह दौड़ नहीं सकता।
टिकट बुक कराने से पहले यह भी पुष्टि कर लें कि आपकी अपनी व्हीलचेयर पैक करने के लिए आपको भुगतान तो नहीं करना पड़ेगा क्योंकि लगभग सभी एयरलाइन यह सुविधा निशुल्क देती हैं, सिर्फ एयर इंडिया को छोड़कर।
मन इतना क्षुब्ध है कि मुख्यमंत्री और मीडिया को बहुत कुछ कहना चाहता है लेकिन हमें कोशिश करनी चाहिये कि हम मुख्यमंत्री मोहन यादव की तरह रौ में न बहें और गरिमापूर्ण आचरण करें। इसलिये बस इतना ही कहूँगा कि मुख्यमंत्री को अपनी इस टिप्पणी के लिये क्षमा मांग लेनी चाहिये।
मुख्यमंत्री के मुख्य मंत्री मोहन यादव द्वारा विकलांजन के बारे में दिया गया यह बयान असंवेदनशील, अपमानजनक और भेदभावपूर्ण है। यह भारतीय संविधान, लोकतांत्रिक मूल्यों और सामाजिक समरसता के खिलाफ है।
रेनबो 2025 कार्यक्रम में विभिन्न स्कूलों के प्रतिभागी विद्यार्थियों ने गीत गाए, नृत्य किया, पेंटिंग की, ड्रॉइंग की, मॉडल्स बनाये… इसके अलावा भी और अनेक गतिविधियों में इन बच्चों ने अपनी प्रतिभा प्रदर्शित की।
कलाराम राजपुरोहित अहमदाबाद मेट्रो में व्हीलचेयर पर अपने सफ़र के अनुभव को इस आलेख में बता रहे हैं। वे अहमदाबाद मेट्रो स्टेशनों पर उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी भी दे रहे हैं।
निओमोशन कम्पनी की निओ-फ़्लाई व्हीलचेयर की अच्छी और ख़राब बातें। यह व्हीलचेयर ख़रीदने से पहले आपको ये बातें जान लेनी चाहिये।
अभी तुम्हारी नौकरी चल रही खर्चा-पानी निकल रहा है, कहाँ आजकल विकलांगजन को नौकरी मिल रही है? तुम चुपचाप शांत होकर अपना काम करती रहो। ज़्यादा हीरोइन बनने की कोशिश मत करो।
गोआ में ऐसी बहुत-सी दुकानें और रेस्त्रां मिल जाएँगे जिनमें व्हीलचेयर आराम से जा सकती है। यह गोआ का एक अच्छा पक्ष है। ट्रैफ़िक भी अधिक नहीं है इसलिये आप किसी भी जगह आराम से गाड़ी में बैठ व उतर सकते हैं।
ऐसे ही एक विद्यार्थी की याचिका पर निर्णय देते हुए कोर्ट ने कहा कि यदि विकलांगजन को उचित समायोजन (reasonable accommodation) से वंचित किया जाएगा तो यह मौलिक अधिकार का हनन होगा और यह राष्ट्र के लिये हानिकर भी साबित होगा।
विकलांगता से प्रभावित व्यक्ति न केवल अपराध का शिकार होते हैं, बल्कि कुछ दुर्लभ मामलों में अपराधी भी बन सकते हैं। ऐसे मामलों में न्यायिक प्रणाली और समाज की जिम्मेदारी बनती है कि वह विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करे और उन्हें अपराध के जाल से बचाए।
लगभग मुफ़्त में बनने और प्रसारित होने वाला यह कंटेंट हर तरह की ज़िम्मेदारी से रिक्त होता है। मोबाइल कैमरा इन युवाओं के हाथों में उसी तरह है जैसे बंदर के हाथ में उस्तरा।
सरकारी नौकरी और प्राइवेट नौकरी में बहुत अंतर होता है। प्राइवेट नौकरी एक बहती नदी की तरह होती है, आज आप इस कम्पनी में तो कल किसी दूसरी कंपनी में लेकिन सरकारी नौकरी एक समुद्र की तरह होती है, सालो-साल एक ही जगह, एक ही टेबल पर, वही रोज के लोगो के साथ काम करते समय निकल जाता है।