सोशल मीडिया पर विकलांगजन एकजुट नहीं हैं…
आज के सोशल मीडिया के दौर में यह स्पष्ट है कि यदि विकलांगजन इस माध्यम पर एकजुट नहीं होंगे तो हम अपने अधिकारों की लड़ाई कभी नहीं जीत पाएँगे। सम्यक ललित का राही मनवा कॉलम
राही मनवा — विकलांगता डॉट कॉम पर सम्यक ललित का कॉलम
आज के सोशल मीडिया के दौर में यह स्पष्ट है कि यदि विकलांगजन इस माध्यम पर एकजुट नहीं होंगे तो हम अपने अधिकारों की लड़ाई कभी नहीं जीत पाएँगे। सम्यक ललित का राही मनवा कॉलम
सम्यक ललित अपने साप्ताहिक कॉलम “राही मनवा” में बता रहे अपनी हाल की हवाई यात्रा के दौरान हुए कुछ अनुभवों के बारे में।
ओला और उबर टैक्सी ड्राइवरों का विकलांगजन के साथ व्यवहार कैसा है? क्या वे विकलांगजन की विशेष-आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये प्रशिक्षित है? सम्यक ललित का कॉलम राही मनवा…
यह एक अक्सर पूछा जाने वाला प्रश्न है कि क्या विकलांगजन विदेश जा सकते हैं? इस लेख में इस प्रश्न का विस्तार से उत्तर दिया गया है।
राही मनवा 04: लोगों द्वारा ख़ुद तय की गई अपनी संकीर्ण-सीमाओं के कारण ही हम एक प्यासे समाज में रह रहे हैं — यहाँ हर कोई किसी-न-किसी रूप में प्यासा है क्योंकि हम अपनी संकीर्ण सीमा से बाहर निकल कर रेगिस्तान में कुएँ खोदने कोशिश नहीं करते…
राही मनवा 04: कल फ़ेसबुक पर मित्र संजय कुमार वैद्य ने मुझसे पूछा कि मैं ‘दिव्यांग’ शब्द को लेकर क्या सोचता हूँ। मुझसे यह प्रश्न अक्सर पूछा जाता है और मैंने विभिन्न मंचों से अपना जवाब बताया भी है। आज सोचा कि संजय भाई के प्रश्न का उत्तर फ़ेसबुक पर न देकर ‘राही मनवा’ के ज़रिये दिया जाए ताकि यह बात अधिक लोगों तक पहुँचे।
आनुवांशिक विकारों से अपनी संतान की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये संतान उत्पत्ति के बारे में सोचने से पहले स्त्री-पुरुष को अपनी जाँच करा लेनी चाहिये।
सम्यक ललित का विकलांगता विषयो पर नियमित कॉलम ‘राही मनवा’: 30 अप्रैल 2023 — बात मेरी पहली व्हीलचेयर की
विकलांगता विषयों पर सम्यक ललित का कॉलम ‘राही मनवा’: 23 अप्रैल 2023…