मेरी कल्पनाओं की दुनिया कब होगी वास्तविक?
नूपुर शर्मा बता रही हैं कि विकलांगजन की कल्पनाओं की दुनिया कैसी होती है और क्यों वह दुनिया वास्तविकता में नहीं बदलती।
नूपुर शर्मा बता रही हैं कि विकलांगजन की कल्पनाओं की दुनिया कैसी होती है और क्यों वह दुनिया वास्तविकता में नहीं बदलती।
एक ही चीज़ को देखने के अनेक दृष्टिकोण हो सकते हैं। व्हीलचेयर पर बैठी, बड़े-बड़े पंखो वाली एक बैले नर्तकी की तस्वीर के बारे में नूपुर शर्मा बता रही हैं अपना नज़रिया।
समाज की विकलांगजन से किस तरह की अपेक्षाएँ होती हैं इसके बारे में नुपूर शर्मा विस्तार से बता रही हैं। कई बार समाज की नकारात्मक अपेक्षाओं के कारण विकलांग व्यक्ति अपना जीवन खुल कर नहीं जी पाता और अपने लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाता।
नुपुर शर्मा अपने सार्वजनिक इमारतों की अगमता के बारे में अपने दो अनुभवों के बारे में बता रही हैं। नुपुर कहती हैं कि विकलांगजन को सही समय और सही जगह पर अपनी आवाज़ अवश्य उठानी चाहिये।
यहाँ पर हमने शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए आमतौर पर उपयोग किये जाने वाले कुछ शब्दों के अर्थ, उनके भाव और परिभाषा बताने का प्रयास किया है।