A vector image showing a person in wheelchair at the airport and an airplane taking off in the background.

आत्मनिर्भरता और व्हीलचेयर के साथ हवाई यात्रा

जब भारत में निजी एयरलाइन्स आयीं और हवाई यात्रा सर्वसुलभ होने लगी तो यातायात के क्षेत्र में जैसे क्रांति आ गयी। विकलांगजन और व्हीलचेयर इस्तेमाल करने वालों के लिए सुविधा का एक नया दौर ही आरम्भ हो गया। भारतीय रेल या बस में व्हीलचेयर के साथ यात्रा करना कितना कठिन काम है यह किसी से छिपा नहीं है। ऐसे में हवाई यात्रा एक वरदान बन कर आयी। हवाई यात्रा रेल की तुलना में थोड़ी महंगी अवश्य पड़ती है लेकिन व्हीलचेयर के अनुकूल होने के कारण रेल की तुलना में सब कुछ बहुत आसान होता है। ऐसा नहीं है कि हवाई यात्रा में व्हीलचेयर के साथ यात्रा करने में कुछ भी कठिनाई नहीं होती लेकिन लेकिन यातायात के अन्य साधनों, जैसे रेल या बस, से तुलना करें तो यह बहुत आसान है। टैक्सी से जाना भी आसान होता है लेकिन वह हवाई यात्रा से भी ज्यादा महंगी पड़ती हैं और कुछ निश्चित दूरी तक की यात्रा ही टैक्सी से संभव हो पाती है।

मेरी शुरुआती हवाई यात्राओं में परिवार का कोई न कोई व्यक्ति मेरे साथ होता था — और इस कारण से चीजें आसान हो जाती थीं। लेकिन एक बार ऐसी घटना हो गयी कि मुझे अकेले ही यात्रा करनी पड़ी। वर्ष 2014 की बात है; मुझे अपने मित्र के साथ दूसरे शहर से घर लौटना था। लेकिन यात्रा से कुछ ही दिन पहले मित्र का ऐक्सिडेंट हो गया और उनको फ़्रेक्चर हो गया। यात्रा में लगभग दो ही दिन शेष थे, इतनी जल्दी किसी परिवारजन का घर से मुझ तक पहुँचना और उसी फ़्लाइट में टिकट लेकर लौटना आसान नहीं था। इसलिए यह तय हुआ कि मैं अकेले ही यात्रा करूँगा और घर के पास जो हवाई अड्डा है वहाँ परिवार का कोई सदस्य मुझे लेने आ जाएगा।

मुझे अकेले यात्रा करने में डर तो नहीं था लेकिन यह नहीं पता था कि चीजें कैसे मैनेज होंगी, और जब आपको पता नहीं होता कि चीजें कैसे होंगी तो सहजता नहीं रहती। लेकिन जब तक हम केलकुलेटेड रिस्क नहीं लेंगे तब तक नयी चीजों के बारे में पता लगना भी मुश्किल होता है। मैंने एयरलाइन को फोन मिलाया तो उन्होंने कहा कि यहाँ से हम आपको कुछ नहीं बता सकते, आप हमारे काउंटर पर पहुँचिए फिर हम देखते हैं कि क्या हो सकता है।

एक परिचित मेरे साथ एयरपोर्ट आए कि मैं आपको बाहरी काउंटर तक पहुँचा दूँगा। हम दोनों सामान के साथ समय पर काउंटर पहुँच गए। जब काउंटर पर बैठे एयरलाइन के स्टाफ से बात की तो उन्होंने कहा कि अभी कोई अटेंडेंट खाली नहीं हैं आप थोड़ी देर प्रतीक्षा कीजिए। कुछ देर प्रतीक्षा करने के बाद भी कोई नहीं आया, मुझे लगने लगा कि हम लेट हो रहे हैं। इस बारे में दोबारा स्टाफ से बात की तो उन्होनें वही बात दोहरा दी कि अभी तो कोई फ़्री नहीं है, आप एक बार एंट्री कर लो फिर भेजते हैं किसी को। मैं व्हीलचेयर चला कर कर आराम से एयरपोर्ट के अन्दर पहुँच सकता था लेकिन बैग को उठाने की समस्या थी। जो मेरे संग आए थे वह मुझे मेन एंट्री तक साथ लाए फिर गेट पर जो सुरक्षा कर्मी थे उनको बताया। उन्होंने कहा आप बस यहीं गेट में अंदर जाकर सामने ही प्रतीक्षा करें। जब अटेंडेंट आएगा आपको ले जाएगा।

कुछ देर प्रतीक्षा करने के बाद अटेंडेंट आ गया और फिर वह मुझे आगे लेकर गया। कुल मिलाकर यात्रा सफलतापूर्वक पूरी हुई और मेरे लिए जैसे एक नया द्वार खुल गया और फिर मैंने देश के अनेक भागों में अकेले हवाई यात्राएँ की। इस तरह से यात्रा करने की आत्मनिर्भरता का सपना पूरा हुआ और अलग-अलग तरह के अनुभव प्राप्त करने का मौका मिला।

यदि आप भी व्हीलचेयर से हवाई यात्रा करने की योजना बना रहे हैं तो निम्नलिखित बातों का ध्यान रख कर अपने अनुभव को बेहतर बना सकते हैं:

  1. फ़्लाइट का टिकट बुक कराते ही तुरंत एयरलाइन के कस्टमर केयर को फोन मिलाएँ और उनको बताएँ कि आपको केबिन तक के लिए व्हीलचेयर चाहिए इसलिए उसे आपके पीएनआर के साथ दर्ज कर दें। पहले से दर्ज न कराने पर ऐन मौके पर आपको असुविधा भी हो सकती और कुछ एयरलाइन की तो नीति भी होती कि व्हीलचेयर पहले से बुक करवाएँ या कि वह एक फ़्लाइट में चार से ज़्यादा यात्रियों को व्हीलचेयर एसिस्टेंस नहीं दे सकते।
  2. यदि आप व्हीलचेयर के बिना बिलकुल नहीं चल सकते तो इस बात पर हर स्टेप पर जोर देना जरूरी होता है कि आपको केबिन व्हीलचेयर चाहिए, वरना व्हीलचेयर का आमतौर पर मतलब यह होता है कि आप चल कर हवाई जहाज के अंदर जा सकते हैं और कई बार तो यह भी मान लिया जाता है कि आप सीढ़ी भी चढ़ सकते हैं।
  3. समय से पहले पहुँचना बहुत ज़रूरी है। इससे सुविधा तो होती ही है साथ ही बहुत सारी चीजों को मैनेज़ करना भी आसान हो जाता है।
  4. आमतौर पर एयरलाइन आपको अपने बाहरी काउंटर से ही व्हीलचेयर एसिस्टेंस उपलब्ध करा देती हैं, लेकिन जहाँ से वाहन से उतरते हैं वहाँ से कई बार एयरलाइन का बाहरी काउंटर दूर होता है। इसलिए ऐसा बैग लेकर चलें जिसे आप व्हीलचेयर पर रख कर आसानी से व्हीलचेयर चला सकें अथवा आपके साथ कोई हो जो आपको बाहरी काउंटर तक छोड़ दे। इस सुविधा के लिए एयरलाइन कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लेती है लेकिन यदि आप भुगतान कर सकते हैं सभी बड़े हवाई अड्डों पर वाहन से उतरते ही पोर्टर सेवा उपलब्ध होती है, जो निश्चित भुगतान ले कर आपको एयरलाइन के अंदरूनी काउंटर पर छोड़ देते हैं।
  5. टिकट की हार्ड या सॉफ़्ट कॉपी और पहचान पत्र हेंडी रखें, इससे मौके पर खोजने में असुविधा होती है और अनावश्यक जाम लगता है।
  6. आपकी व्हीलचेयर को हवाई जहाज में लगेज वाली जगह रख दिया जाता है और आपको एयरलाइन की व्हीलचेयर पर शिफ़्ट कर दिया जाता है। यहाँ भी केबिन व्हीलचेयर अलग होती है तो उसका ध्यान रखा जाए। व्हीलचेयर के लिए कोई अतिरिक्त लगेज चार्ज नहीं देना होता, और मैन्यूअल व इलेक्ट्रिक दोनों तरह की व्हीलचेयर हम अपने साथ ले जा सकते हैं। व्हीलचेयर फ़ोल्डेबल होनी चाहिए और यदि पावर व्हीलचेयर है तो उसमें लीथियम बैटरी होनी चाहिये। व्हीलचेयर में यह अवश्य चेक कर लें कि कोई पार्ट ढीला न हो, और यदि कोई संवेदनशील भाग हो तो उसे स्वयं ही अच्छे से कवर कर दें।
  7. आपको अपने पास हवाई जहाज में क्या लगेज रखना है और क्या चेक-इन लगेज में, यह आप चेक-इन काउंटर पर अच्छे से अवगत कराएँ और अपने सहायक अटेंडेंट को भी इसकी जानकारी दें।
  8. सिक्योरिटी चेक के समय भी स्पष्ट बताएँ कि आप खड़े नहीं सकते और ध्यान से सभी मोबाइल, पर्स आदि अलग रखवा दें।
  9. यदि आपको वॉशरूम जाना है तो फ़्लाइट में चढ़ने से पहले ही अपने सहायक को बताएँ क्योंकि घरेलू उड़ानों में विकलांग यात्रियों को वॉशरूम ले जाने की कोई सही व्यवस्था नहीं होती। फ़्लाइट से उतरने के बाद भी आप अपने सहायक से कह कर वॉशरूम जा सकते हैं।
  10. आमतौर पर विकलांगता सर्टिफ़िकेट की मांग नहीं की जाती है, लेकिन फिर भी एयरपोर्ट पर और हवाई यात्रा के दौरान विकलांगता सर्टिफ़िकेट की प्रति अपने पास रखना अच्छा रहता है।
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Nupur sharma
Nupur sharma
8 months ago

हवाई यात्रा से सम्बन्धित महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए आपका धन्यवाद।

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