बौद्धिक विकलांगता: अर्थ, कारण, इलाज और प्रमाणपत्र

bauddhik viklangta or intellectual disability in hindi

बौद्धिक विकलांगता भारत के दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के अंतर्गत दी गई विकलांगता के 21 प्रकार में शामिल है। यह विकलांगता का वह प्रकार है जिसके विषय में काफ़ी मिथक और ग़लत जानकारियाँ समाज में फैली हुई हैं। ऐसी विकलांगताओं के बारे में ग़लत जानकारियाँ कई बार काफ़ी नुकसानदेह हो सकती हैं।

आप तक इस विषय पर सही जानकारी पहुँचाने के उद्देश्य से यह आलेख लिखा गया है। आइये समझते हैं कि बौद्धिक विकलांगता क्या होती है। साथ ही हम बौद्धिक विकलांगता से जुड़े अन्य ज़रूरी तथ्यों पर भी चर्चा करेंगे।

बौद्धिक विकलांगता क्या होती है?

बौद्धिक विकलांगता सामान्य मानसिक क्षमताओं की कमी को दर्शाता एक व्यापक शब्द है। इसमें मुख्य रूप से दो श्रेणी की मानसिक अशक्तता या अक्षमता को शामिल किया जा सकता है:

  • बौद्धिक कार्यक्षमता की कमी (जैसे कि सीखना, समस्या का समाधान ढूँढना, निर्णय लेना आदि)
  • अनुकूलन कार्यक्षमता की कमी (रोज़मर्रा के काम जैसे कि बातचीत करना, स्वतंत्र जीवन जीना आदि)

यहाँ यह समझना ज़रूरी है कि ये बौद्धिक और अनुकूलन कार्यक्षमता की कमियाँ बच्चे की विकासात्मक अवधि में ही शुरू हो जाती हैं। ध्यान देने पर इसके लक्षण बचपन से ही नज़र आने लगते हैं। दो वर्ष की अवस्था तक में मोटर स्किल्स (चीज़ों को पकड़ना, उठाना आदि) और भाषा के प्रयोग में हो रही देरी नज़र आने लगती है। हालाँकि हल्की बौद्धिक विकलांगता की स्थिति में जब तक बच्चा विद्यालय जाकर पढ़ाई में पिछड़ने न लगे तब तक उसके विकास की गति में कमी बहुत साफ़ नज़र नहीं आती।

बौद्धिक विकलांगता को तीव्रता के आधार पर तीन हिस्सों में बाँटा जाता है –

  • हल्की (ज्यादातर प्रभावित लोग इसी हिस्से में होते हैं)
  • मध्यम
  • गंभीर

बौद्धिक विकलांगता के कारण

बौद्धिक विकलांगता अनेक कारणों से हो सकती है। इसके कुछ सामान्य कारण निम्नलिखित हैं:

  • आनुवांशिक कारण (जैसे कि डाउन सिंड्रोम या फ्रजाइल एक्स सिंड्रोम आदि)
  • कुछ बीमारियाँ (जैसे कि मेनिनजाईटिस, मीज़ल्स, व्हूपिंग कफ़)
  • बचपन में लगी सर पर चोट
  • विषाक्त पदार्थों का संपर्क (जैसे लेड या मरकरी)
  • मस्तिष्क की बनावट में विकृति
  • गर्भावस्था के दौरान माँ की बीमारी या अन्य पर्यावरणीय प्रभाव (शराब, ड्रग्स वगैरह का इस्तेमाल)
  • गर्भावस्था या प्रसव के दौरान हुआ संक्रमण
  • जन्म के दौरान होने वाली अनापेक्षित घटनाएँ (जैसे कि पर्याप्त ऑक्सीजन का न मिलना)

बौद्धिक विकलांगता का इलाज

बौद्धिक विकलांगता एक जीवन-पर्यंत रहने वाली स्थिति है। हालाँकि कुछ हस्तक्षेप और मदद से प्रभावित व्यक्ति अपने जीवन का बेहतर प्रबंधन करने योग्य हो सकता है। यह बात तय हो जाने पर कि कोई व्यक्ति बौद्धिक रूप से विकलांग है हमारा ध्यान इलाज की बजाए इस चीज़ पर होना चाहिए कि उस व्यक्ति की क्षमताएँ और ज़रूरतें क्या हैं और किस तरह का सहारा मिलने पर वह व्यक्ति निजी जीवन में अधिक स्वतंत्र हो सकता है।

इसके अलावा इस बात पर भी ध्यान दिया जाना ज़रूरी है कि प्रभावित व्यक्ति और उसके परिवार के लिए समाज में उचित समावेशी माहौल हो।

बौद्धिक विकलांगता के लिए विकलांगता प्रमाण पत्र

जैसा कि हमने शुरुआत में बताया था कि बौद्धिक विकलांगता दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत परिभाषित 21 विकलांगताओं में से एक है। इस कानून में बौद्धिक विकलांगता को प्रमाणित करने के भी नियम हैं। चूँकि यह शारीरिक विकलांगता से अलग है इसलिए इसके प्रामाणीकरण के भी नियम अलग हैं।

  • इस श्रेणी की विकलांगता के लिए प्रमाण पत्र तभी बन सकता है जब बच्चे की आयु कम-से-कम एक वर्ष की हो चुकी हो।
  • 1 वर्ष से 5 वर्ष तक के बच्चों को वैश्विक विकासात्मक विलंब का प्रमाणपत्र दिया जाता है। यह प्रमाणपत्र प्रमाणित करता है कि उक्त बच्चा विकास के वैश्विक मानदण्ड के हिसाब से धीरे विकसित हो रहा/रही है।
  • बौद्धिक विकलांगता का प्रमाणपत्र किसी भी बच्चे को 5 वर्ष पूरे कर लेने के बाद ही दिया जा सकता है।
  • 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को अस्थाई प्रमाण पत्र दिया जाता है। यह प्रमाणपत्र 3 साल की अवधि या बच्चे के 5 वर्ष के होने (इनमें से जो भी पहले हो) तक मान्य होता है।
  • 5 वर्ष के ऊपर के बच्चों के विकलांगता प्रमाणपत्र पर उसके नवीनीकरण की अवधि लिखी होती है। प्रमाणपत्र बच्चे के 5, 10 और 18 वर्ष के होने पर दोबारा बनवाने होते हैं।
  • 18 वर्ष की उम्र या उसके बाद दिया गया प्रमाणपत्र जीवनपर्यंत मान्य होता है।

बौद्धिक विकलांगता से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारियाँ

  • बौद्धिक अशक्तता कुल आबादी की तक़रीबन 1% आबादी को प्रभावित करती है।
  • बौद्धिक अशक्तता से प्रभावित कुल 85% व्यक्तियों को हल्की बौद्धिक विकलांगता होती है।
  • महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों के बौद्धिक रूप से विकलांग होने की संभावना अधिक होती है।

अंत में…

बौद्धिक विकलांगता का कोई इलाज नहीं है लेकिन प्रबंधन और थोड़ी सहायता प्रभावित व्यक्ति के जीवन को कई गुणा आसान कर सकती है। एक समाज के रूप में हमें बौद्धिक विकलांग व्यक्तियों के लिए हमें पक्षपाती रवैया नहीं रखना चाहिए। हमें एक समावेशी समाज का निर्माण करना चाहिए जहाँ हर कोई ख़ुद को सुरक्षित महसूस करे।

किसी भी बच्चे में बौद्धिक विकलांगता के लक्षण नज़र आने पर उनकी जाँच पूरी तरह से होनी चाहिए। यह इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि एंग्जायटी, ऑटिज्म, डिप्रेशन आदि जैसी कई स्थितियों में इससे मिलते जुलते लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। बगैर सटीक जाँच और जानकारी के व्यक्ति को वह सहायता नहीं दी जा सकती जिसकी उसे ज़रूरत है।

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Vijay Chandekar
Vijay Chandekar
9 months ago

Sir my son has cerebral palsy. Which category does he belong to? orthopaedic disability or intellectual disability?

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